कनेर का फूल किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं ?? | Kaner ka phool kis bhagwan ko chadhaya jata hai | kaner ke phool ke bare me jankari hindi me | कनेर के फूल के बारे में जानकारी
वैसे तो हमारी प्रकृति के गोद में अनेको प्रकार के पेड़ पौधे फल फूल जीव जंतु पाए जाते हैं. और सभी का धरती पर अपना अपना खास महत्व हैं लेकिन आज हम बात करेंगे औषधीय गुणों से युक्त भगवान के पूजन में प्रयुक्त होने वाले ‘कनेर और उसके फूल’ के बारे में। कनेर को संस्कृत में करवीर पुष्प और इंग्लिश में Oleander के नाम से जानते हैं।कनेर के फूल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं पहला सफेद और दूसरा पीला। जिसमें सफेद पुष्प आयुर्वेद की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता हैं। कनेर के पेड़ आयुर्वेद में विशेष होने के साथ साथ विषैले भी होते हैं। इसीलिए इनका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। कनेर के तने के साथ साथ फूलों और जड़ो में भी जहर होती हैं । लेकिन यह भी सही है कि कनेर के जड़,तना, फूल और पत्तियां का उपयोग आयुर्वेद के दवा बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता हैं। इनकी पत्तियां नुकीली लंबा लगभग 5 इंच लंबी और 1 इंच से भी कम चौड़ी होती हैं। सबसे खास बात यह है कि इनकी पत्तियों और तने में एक विशेष प्रकार का उजला दूध के समान द्रव्य भरा रहता हैं जिसका प्रयोग आयुर्वेद में चिकित्सा के लिए करते हैं। कनेर के पौधे झाड़ियों के समान होते है जिसकी लंबाई 10 फिट से ज्यादा नहीं होती हैं।
कहाँ कहाँ पाए जाते हैं कनेर के पुष्प
कनेर के फूल और इसके पेड़ भारत के लगभग सभी स्थानों पर पाए जाते हैं। खास कर के उत्तर भारत एवं मध्यप्रदेश में इनकी भरपूर संख्या पाई जाती हैं। भारत के अलावा इसके पड़ोसी देशों और विश्व के आमतौर पर सभी देशों में पाया जाता हैं। कनेर एक झाड़ी के रूप में पाये जाने वाले सदाहरित पौधे होते हैं। इनके फूल तो वर्ष भर निरन्तर खिलते रहते हैं परंतु सबसे ज्यादा फूल गर्मियों के मौसम में ही अपने वास्तविक आकार में खिलते हैं।
कनेर के फूल का वास्तुशास्त्र महत्व
वास्तुशास्त्र के अनुसार कनेर के पेड़ से जिस प्रकार से वर्ष भर फूल खिलते रहते हैं उसी प्रकार कनेर के पेड़ जिस घर में होते हैं वहाँ वर्ष भर धन की निरंतरता बनी रहती हैं। अगर आप कनेर के पेड़ किसी खास मुहूर्त में घर के आस पास या गार्डन में लगाने से घर में सुख, समृद्धि बनी रहती हैं। कनेर के पेड़ के उपस्थिति के कारण नकारात्मक ऊर्जा चली जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का समावेश होता हैं। जिस घर के आंगन या गार्डन में कनेर के पीले पेड़ होते हैं वहाँ साक्षात माता लक्ष्मी का वास होता हैं।
कनेर के पुष्प का औषधीय महत्व
कनेर का पेड़ और उसके फूल संजीविनी बूटी की तरह कार्य करते हैं। शायद ही कोई ऐसा रोग होगा जिसका इलाज कनेर नही कर सकता होगा। घाव या फोड़े फुंसी को ठीक करने में कनेली के पत्ते का चूर्ण सहायक होता हैं। त्वचा रोग में दाद खाज खुजली में कनेली के जड़ बहुत मददगार होता हैं। बालों का झड़ना, चेहरे पर दाग धब्बो और पिम्पल दूर करने में सहायक होते हैं। सांप बिच्छु का जहर भी इनके लेपन से कम हो सकता हैं। हृदय से संबंधित बीमारी, बवासीर, दस्त की समस्या, नपुंसकता और जोड़ो के दर्द को भी यह कनेली का पेड़ ठीक कर सकता हैं। सफेद दाग से लेकर रेबीज की बीमारी और दांत दर्द और धातुरोग को भी समाप्त कर सकता हैं। कम शब्दों में बोले तो कनेर का वृक्ष और उसका फूल आयुर्वेद चिकित्सा के लिए वरदान हैं ।
कनेर का फूल किस भगवान को चढ़ाना चाहिए
वास्तव में तो कनेर का फूल लगभग सभी देवी देवताओं को चढ़ाया जाता हैं लेकिन फिर भी सफेद रंग का फूल माता लक्ष्मी जी को अत्यंत प्रिय हैं। अगर आप लक्ष्मीजी की कृपा को प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको सफेद कनेर का फूल लक्ष्मी जी को अर्पित करनी चाहिए। पीले रंग के कनेर का फूल भगवान श्री विष्णु जी को चढ़ाया जाता हैं जिसके उपरांत वो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
कनेर के पेड़ और पुष्प को लेकर आवश्यक सावधानियां
जिस प्रकार हर सुखमय वस्तु दुख को उत्पन्न करने का कारण होता हैं। ठीक उसी प्रकार तमाम रोगों को ठीक करने वाला, देवी देवताओं को प्रसन्न करने वाला, कनेर का पुष्प या उसका पेड़ खतरों से भरा हैं। कनेर के पेड़ से निकलने वाला सफेद द्रव्य बहुत ही खतरनाक होते हैं। कनेर के पेड़ में सभी हिस्सों में जहर भरा हुआ रहता हैं यहाँ ताकि इसके फूल में भी जहर होता हैं। इसीलिए कनेर के पेड़ को घर में कभी नही लगानी चाहिए। कनेर के पेड़ को बच्चों के पहुँच से दूर रखना चाहिए। इसका उपयुक्त स्थान घर के बाहर या फिर गार्डन में होता हैं।
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