Shiva Panchanana Stotram | शिव पंचानन स्तोत्रम्: दोस्तों नमस्कार, आज हम आपको इस लेख के जरिए शिव पंचानन स्तोत्रम् के बारे में बात करेंगे। भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है, लेकिन कुछ स्थानों पर पंचमुखी शिवलिंग जो सद्योजात, वामदेव, अघोरा, तत्पुरुष और ईशाना का पूजा की जाती है। जिसमें पंचमुखी भगवान शिव का वर्णन किया गया है। यह दुर्लभ स्तोत्र भगवान शिव के इन पाँचों मुखों का स्वरूप दर्शाती है। शिव के जो चार मुख चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। पाँचवाँ मुख जो आकाश की ओर इशारा करता है। वह सार्वभौमिक मुख है, जो पवित्रता और आध्यात्मिक प्रगति का प्रतीक है।
शिव पंचानन स्तोत्रम्
प्रलेयाचला मिन्दु कुंडा दवलम गोक्षीरा फेना प्रभुम,
भस्मभ्यंग मनंग देह दहन ज्वाला वलि लोचनम् ।
विष्णु ब्रह्मरूल गानर्चितः पदंजरग्वेधा नधोध्यायम्,
वन्देहं सकलं कलंग रहितं स्थानोर्मुखं पश्चिमम् ॥ १ ॥
गौरम कुमकुमा पंगिलम सुथिलकम व्यापांडु गंडा स्थलम,
ब्रूविक्षेप कदक्ष वीक्षण लसद् संसक्त कर्णोधफलम् ।
स्निग्धं बिंबफलाधरं प्रहसीथम नीलाल कलमकृतम्,
वंदे यजुष वेद घोष जनकं वक्त्रं हर्ष्योत्रम् ॥ २॥
समवर्ताग्नि तदिथ प्रथम कनक प्रसारधि थेजो मयम्,
गम्बीरा ध्वनि सम वेद जनकम् थमराधरं सुंदरम् ।
अर्धेंदु द्युति फल पिंगला जटा भार प्रभधोरागम,
वन्दे सिद्ध सुरसुरेन्द्र नामिथं पूर्वं मुखं सूलीना ॥ ३ ॥
कालभ्र ब्रमरंजन द्युति निभं व्यवहार पिंगेक्षणम्,
कर्णोधबसीथा भोगी मस्तका मणिप्रोथफुला दम्ष्ट्रकुराम ।
सर्प प्रोथाका पाला शुक्तिसाका लव्यकीर्णसच्छेकरम्,
वन्दे दक्षिणा मेस्वरस्य वदनाचाधर्व वेधोध्यायम् ॥ ४॥
व्यक्त-व्यक्त निरूपिथं च परमं षद् त्रिम्सा तथ्वधिकम,
तस्माद् उतरा थत्वा मक्षरमिति धेय्यं सदा योगीभि ।
ओंकाराधि समस्त मंत्र जनकम् सूक्ष्ममधि सूक्ष्मम् परम,
वंदे पंचमनीश्वरस्य वदनं खं व्यापि थेजो मयम ॥ ५॥
येथानि पंच वदाननबि (वदनानि) महेश्वरस्य,
ये कीर्तियन्ति पुरुष सततं प्रदोषे ।
गचन्थि वे शिव पुरिम रुचिरै विमानै,
क्रेदंति नंदन वने सह लोक पलै ॥
इति शिवपञ्चाननस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Shiva Panchanana Stotram
Praleyachala mindu kunda davalam goksheera phena prabham,
Bhasmabhyanga mananga deha dahana jwaala valee lochanam ।
Vishnu brahmarul ganarchitha padanjargwedha nadhodhayam,
Vandeham sakalam kalanga rahitham Sthanormukham paschimam ॥ 1 ॥
Gouram kumkuma pangilam suthilakam vyapandu ganda sthalam,
Broovikshepa kadaksha veekshshana lasad samsaktha karnodhphalam ।
Snighdham bimbaphaladharam prahasitham neelala kalamkrutham,
Vande yajusha veda gosha janakam vakthram harsyotharam ॥ 2 ॥
Samvarthagni thadith prathaptha kanaka praspardhi thejo mayam,
Gambeera dhwani sama veda janakam thamradharam sundaram ।
Ardhendu dhyuthi phaala pingala jata bhara prabhadhoragam,
Vande sidha surasurendra namitham poorvam mukham soolina ॥ 3 ॥
Kalabhra bramaranjana dhyuthi nibham vyavartha pingekshanam,
Karnodhbasitha bhoghi masthaka maniprothphulla damshtrakuram ।
Sarpa prothaka pala shukthisaka lavyakeernasachhekaram,
Vande dakshina meswarasya vadanachaadharva vedhodhayam ॥ 4 ॥
Vyaktha vyaktha niroopitham cha paramam shad thrimsa thathwadhikam,
Thasmad uthara thatwa maksharamithi dheyyam sada yogibhi ।
Omkaaradhi samastha manthra janakam sookshmadhi sookshmam param,
Vande panchamamneeswarasya vadanam Kham vyapi thejo mayam ॥ 5 ॥
Yethani Pancha Vadananbi Maheswarasya,
Ye Keerthayanthi Purusha Sathatham Pradoshe ।
Gachanthi they Shiva Purim Ruchirair Vimanai,
Kredanthi Nandana Vane Saha Loka Palai ॥
Credit the Video: Swar Mandir YouTube Channel
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