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Shri Ram Stuti | श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन | श्री राम स्तुति

Shree Ram Stuti

Credit the Video : Sonika Sharma Agarwal – Topic YouTube Channel

श्री राम स्तुति : श्री रामचंद्र कृपालु भजुमन – Shri Ram Stuti : मर्यादा पुरुषोत्तम राम को भारतीय युवा अपना आदर्श मानते हैं। युगों-युगों से श्रीराम के कठिन तपोबल और माता सीता के विरह की गाथा हम सुनते आ रहे है। अपने पिता के एक वचन को पूरा करने की खातिर भगवान श्री राम ने अयोध्या का राज पाठ त्यागकर 14 वर्ष वनवास काटे थे। भगवान विष्णु के मानव अवतार श्री राम की स्तुति करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि आप श्री राम के परम भक्त हनुमान का पूजन करते तो भी श्री राम स्तुति कर उनका आशीवार्द प्राप्त कर सकते हैं। इसी क्रम में हम आपकी मदद के लिए लेकर आएं हैं श्री राम स्तुति : श्री रामचंद्र कृपालु भजुमन – Shri Ram Stuti आशा करते हैं, आप श्री राम स्तुति का प्रतिदिन पाठ कर श्री राम का स्नेह और आर्शीवाद दोनों प्राप्त करने में सफल होंगे।

Shri Ram Stuti

॥ Doha ॥

Shri Ramachandra Kripalu Bhajuman,
Harana Bhavabhaya Daarunam ।
Navakanja Lochana Kanja Mukhakara,
Kanja Pada Kanjaarunam ॥1॥

Kandarpa Aganita Amita Chhav Nava,
Neela Neerara Sundaram ।
Patapita Maanahum Tadita Ruchi Shuchi,
Navmi Janaka Sutaavaram ॥2॥

Bhaju Deena Bandhu Dinesh Daanav,
Daityavansha Nikandanam ।
Raghunanda Aananda Kanda Kaushala,
Chanda Dasharatha Nandanam ॥3॥

Sira Mukuta Kundala Tilaka Chaaru,
Udaaru Anga Vibhooshanam ।
Aajaanu Bhuja Shara Chaapadhara,
Sangraama-jita-khara Dooshanam ॥4॥

Ram Shri Ram Ram Shri Ram
Ram Shri Ram Ram Shri Ram

Iti Vadati Tulsidas Shankar,
Shesha Muni Manaranjanam ।
Mama Hridayakanja Nivaas Kuru,
Kaamaadi Khaladal Ganjanam ॥5॥

Manu Jaahin Raacheu Milihi So Baru,
Sahaja Sundara Saanvaro ।
Karuna Nidhaan Sujaan Seelu,
Sanehu Jaanat Raavaro ॥6॥

Ehi Bhaanti Gauri Asees Suni Siya,
Sahita Hiyan Harashi Ali ।
Tulsi Bhavaanihi Pooji Puni Puni,
Mudit Man Mandir Chalee ॥7॥

Ram Shri Ram Ram Shri Ram
Ram Shri Ram Ram Shri Ram

॥ Sortha ॥

Jaani Gauri Anukool,
Siya Hiya Harashu Na Jaye Kaheen ।
Manjula Mangala Moola,
Bam Anga Pharkana Lage ।

श्री राम स्तुति

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन

॥दोहा॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

राम श्रीराम राम राम श्रीराम
राम श्रीराम राम राम श्रीराम

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

राम श्रीराम राम राम श्रीराम
राम श्रीराम राम राम श्रीराम

॥सोरठा॥

जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास

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