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Yatha Shivastatha Vishnu Yatha Vishnustatha Shiva | यथा शिवस्तथा विष्णुर्यथा विष्णुस्तथा शिव

Yatha Shivastatha Vishnu Yatha Vishnustatha Shiva

Yatha Shivastatha Vishnu Yatha Vishnustatha Shiva | यथा शिवस्तथा विष्णुर्यथा विष्णुस्तथा शिव: दोस्तों नमस्कार, आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से यथा शिवस्तथा विष्णुर्यथा विष्णुस्तथा शिव मंत्र के बारे में बताने वाले हैं। आदि शंकराचार्य ने पूरे भारतवर्ष का भ्रमण किया और चार मठ स्थापित किए, इनमें से तीन मठ (बद्रीनाथ धाम, द्वारका और पुरी) जो श्री नारायण को समर्पित हैं। रामेश्वरम् मठ, जो भगवान शिव को समर्पित है। रामेश्वरम मठ की स्थापना स्वयं भगवान श्रीपति विष्णु ने अपने प्रिय शंकर जी के लिए की थी। यह श्लोक दर्शाता है कि हरिहर की लीला कितनी अद्भुत और अद्वितीय है। जिस प्रकार सभी नदियों में गंगा महान है, सभी देवताओं में भगवान विष्णु सर्वोत्तम हैं, उसी प्रकार सभी वैष्णवों में भगवान शिव सबसे महान हैं। शिव भगवान विष्णु के महान भक्त भी हैं और शिव स्वयं विष्णु के स्वरूप भी हैं। शिव और विष्णु दोनों एक ही परम तत्त्व के दो रूप हैं। जब व्यक्ति इन दोनों में कोई भेद नहीं देखता, तब तक वह सुरक्षित और दीर्घायु रहता है। जो विष्णु की पूजा भक्तिभाव से करता है और शिव की आराधना भक्तिभाव के साथ करता है, जो न शंकर न ही विष्णु से द्वेष करता है, ऐसा भक्त मेरे अत्यंत प्रिय होता है।

यथा शिवस्तथा विष्णु

सकंदपुराण २३ । ४१ :

यथा शिवस्तथा विष्णुर्यथा विष्णुस्तथा शिव: ।
अन्तरं शिवविष्ण्वोश्र भनागपि न विद्यते ।।

अर्थ: जैसे शिव हैं, वैसे ही विष्णु हैं, और जैसे विष्णु हैं, वैसे ही शिव हैं। शिव और विष्णु में कोई अंतर नहीं है।

Yatha Shivastatha Vishnu

Yatha Shivastatha Vishnu Yatha Vishnustatha Shiva
Antaram Shivavishnvoshra Bhanagapi Na Vidyate

Credit the Video : Amrita Chaturvedi YouTube Channel

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