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October 5, 2025
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अवधेशानंद गिरी महाराज: जीवन को समझने और नकारात्मक विचारों को दूर करने की प्रेरणा

भारत की पावन धरती पर संतों और महापुरुषों की परंपरा हमेशा से समाज को दिशा दिखाती रही है। इनमें से एक प्रमुख नाम है स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज, जिनके जीवन और शिक्षाएं आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। जूना अखाड़े के प्रमुख और हरिद्वार में स्थापित हरिहर आश्रम के संरक्षक, स्वामी अवधेशानंद गिरी ने अपने आध्यात्मिक ज्ञान और सरल जीवनशैली से लोगों को जीवन का सही अर्थ समझाया है।

उनकी एक प्रमुख सीख है: “यदि आप जीवन को समझना चाहते हैं और नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो शास्त्रों का अध्ययन करें।” यह कथन न केवल गहरा है, बल्कि यह आज के आधुनिक युग में भी उतना ही प्रासंगिक है।

प्रारंभिक जीवन और आध्यात्मिक यात्रा

स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के एक साधारण परिवार में हुआ। बचपन से ही उनकी रुचि आध्यात्मिकता और धर्म की ओर थी। उनके मन में सवाल उठते थे कि जीवन का असली उद्देश्य क्या है? मानव जीवन का मूल्य और उसकी दिशा क्या होनी चाहिए? इन सवालों के जवाब खोजने के लिए उन्होंने कम उम्र में ही सांसारिक जीवन को त्यागकर संन्यास का मार्ग चुना। जूना अखाड़े में दीक्षा लेने के बाद उन्होंने गुरु परंपरा के माध्यम से वेद, उपनिषद, गीता और अन्य शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। यह अध्ययन उनके जीवन का आधार बना और उन्होंने इसे अपने अनुयायियों के साथ साझा किया।

शास्त्रों का अध्ययन: जीवन को समझने की कुंजी

स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज का मानना है कि शास्त्र केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि वे जीवन जीने की कला सिखाते हैं। उनके अनुसार, शास्त्रों में वह ज्ञान समाहित है जो मनुष्य को नकारात्मकता, तनाव और भटकाव से बचाता है। भगवद्गीता, रामायण, उपनिषद और अन्य शास्त्रों में जीवन के हर पहलू का समाधान मौजूद है। स्वामी जी कहते हैं, “शास्त्रों का अध्ययन मन को शुद्ध करता है, विचारों को सकारात्मक बनाता है और जीवन को एक नई दिशा देता है।”

उनके प्रवचनों में वे अक्सर भगवद्गीता के श्लोकों का उदाहरण देते हैं। जैसे, गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं:
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”

इसका अर्थ है कि हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, फल की चिंता किए बिना। स्वामी जी इस श्लोक के माध्यम से समझाते हैं कि नकारात्मक विचार तब उत्पन्न होते हैं, जब हम परिणामों की चिंता में डूब जाते हैं। शास्त्रों का अध्ययन हमें यह सिखाता है कि कर्म में ही शक्ति है और यह मन को शांत रखने में मदद करता है।

नकारात्मक विचारों से मुक्ति

आज के दौर में तनाव, चिंता और नकारात्मकता मानव जीवन का हिस्सा बन चुकी है। स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज का कहना है कि नकारात्मक विचारों का मूल कारण है मन का भटकाव और सही ज्ञान का अभाव। वे कहते हैं कि शास्त्रों में वह शक्ति है जो मन को स्थिर करती है। उदाहरण के लिए, उपनिषदों में आत्मा और परमात्मा के संबंध को समझाने वाले मंत्र हमें यह सिखाते हैं कि हमारा असली स्वरूप शुद्ध और असीम है। इस सत्य को समझने से मन में उठने वाली नकारात्मकता धीरे-धीरे कम होने लगती है।

स्वामी जी अपने अनुयायियों को सलाह देते हैं कि रोजाना कुछ समय शास्त्रों के अध्ययन के लिए निकालें। यह जरूरी नहीं कि आप घंटों पढ़ें; केवल एक श्लोक या एक कहानी को गहराई से समझने की कोशिश करें। जैसे, रामायण में भगवान राम का जीवन हमें धैर्य, कर्तव्य और सत्य के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हम अपने मन की अशांति को कम कर सकते हैं।

स्वामी जी का जीवन दर्शन

स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज का जीवन दर्शन बहुत सरल लेकिन प्रभावी है। वे कहते हैं कि जीवन में सुख और शांति तभी मिलती है, जब हम अपने भीतर की अज्ञानता को दूर करते हैं। शास्त्रों का अध्ययन इस अज्ञानता को दूर करने का सबसे अच्छा साधन है। वे यह भी मानते हैं कि शास्त्रों का ज्ञान केवल पढ़ने तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे अपने जीवन में उतारना चाहिए।

उनके प्रवचनों में वे अक्सर कहते हैं: “जीवन एक यात्रा है, और शास्त्र इस यात्रा का नक्शा हैं। बिना नक्शे के आप भटक सकते हैं, लेकिन शास्त्रों का सहारा लेकर आप सही दिशा में चल सकते हैं।”

समाज के प्रति योगदान

स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने न केवल आध्यात्मिक क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हरिहर आश्रम के माध्यम से उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में कई पहल शुरू की हैं। वे मानते हैं कि शास्त्रों का ज्ञान हमें न केवल व्यक्तिगत रूप से मजबूत बनाता है, बल्कि समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी बढ़ाता है।

प्रेरणा का संदेश

स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज का संदेश आज के युवाओं के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है। वे कहते हैं कि आधुनिक तकनीक और भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपने मूल से कटते जा रहे हैं। शास्त्रों का अध्ययन हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है और जीवन को सही दिशा देता है। उनकी सीख है कि हर दिन कुछ समय आत्मचिंतन और शास्त्रों के अध्ययन के लिए निकालें। इससे न केवल नकारात्मक विचार दूर होंगे, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और शांति का संचार होगा।

स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज का जीवन और उनकी शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि सच्चा सुख और शांति बाहरी साधनों में नहीं, बल्कि आत्मिक ज्ञान में छिपी है। शास्त्रों का अध्ययन न केवल हमें जीवन का सही अर्थ समझाता है, बल्कि यह हमें नकारात्मकता से मुक्त करके सकारात्मकता की ओर ले जाता है। उनकी यह सीख कि “यदि आप जीवन को समझना चाहते हैं और नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो शास्त्रों का अध्ययन करें,” हर उस व्यक्ति के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है जो अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहता है।

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