Credit the Video : T-Series Bhakti Sagar YouTube Channel
Hanuman ji ki Aarti (हनुमान जी की आरती): सनातन धर्म में पूजा का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आरती और मंत्र जाप के बाद पूजा समाप्त मानी जाती है। आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा से भगवान की भक्ति में डूब जाना। वैसे तो हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित माना जाता है, लेकिन कहा जाता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल कमजोर हो तो उसे हनुमान जी की आरती करनी चाहिए। मान्यता है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की आरती करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। घर में नियमित रूप से हनुमान जी की आरती की जाए तो घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। घर में हनुमान जी की आरती करने से कई लाभ होते हैं। आइए यहां पढ़ें हनुमानजी की पूरी आरती और जानें इसके फायदे।
हनुमान जी की आरती
॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ ।
वातात्मजं वानरयूथ मुख्यं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥
॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर काँपे।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाये॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियाराम जी के काज सँवारे॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे।
लाये संजिवन प्राण उबारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
पैठि पताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाईं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे॥
लंक विध्वंस किये रघुराई।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
Hanuman Ji Ki Aarti
॥ Shri Hanuman Stuti ॥
Mano-Javam Maaruta-Tulya-Vegam
Jitendriyam Buddhi-Mataam Varissttha ।
Vaata-Atmajam Vaanara-Yuutha-Mukhyam
Shriiraama-Duutam Sharannam Prapadye ॥
॥ Hanuman Ji Ki Aarti ॥
Aarti Kije Hanuman Lala Ki ।
Dushat Dalan Ragunath Kala Ki ॥
Jake Bal Se Giriver Kaanpe ।
Rog Dosh Ja Ke Nikat Na Jaanke ॥
Anjani Putra Mahabaldaye ।
Santan Ke Prabhu Sada Sahaye ॥
Aarti Kije Hanuman Lala Ki ।
De Beeraha Raghunath Pathai ।
Lanka Jaari Siya Sudhi Laiye॥
Lanka So Kot Samundra Se Khaiy ।
Jaat Pavan Sut Baar Na Laiye ॥
Aarti Kije Hanuman Lala Ki ।
Lanka Jaari Asur Sab Maare ।
Siya Ramji Ke Kaaj Sanvare ॥
Lakshman Moorchit Parhe Sakare ।
Aan Sajeevan Pran Ubhaare ॥
Aarti Kije Hanuman Lala Ki ।
Paith Pataal Tori Yamkare ।
Ahiravan Ke Bhuja Ukhaare ॥
Baayen Bhuja Asur Dal Mare ।
Daayen Bhuja Sab Santa Jana Tare ॥
Aarti Kije Hanuman Lala Ki ।
Surnar Munijan Aarti Utare ।
Jai Jai Jai Hanuman Uchaare ॥
Kanchan Thaar Kapoor Lo Chhai ।
Aarti Karat Aajani Mai ॥
Aarti Kije Hanuman Lala Ki ।
Jo Hanuman ji Ki Aarti Gaave ।
Basi Baikuntha Amar Padh Pave ॥
Lanka Vidvance Kiye Ragurai ।
Tulsidas Swami Aarti Gaaie ॥
Aarti Kije Hanuman Lala Ki ।
Dushat Dalan Ragunath Kala Ki ॥
Disclaimer : Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी की आस्था को ठेस पहुंचना नहीं चाहता। ऊपर पोस्ट में दिए गए उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता और जानकारियों के अनुसार, और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि (https://bhaktibharatki.com/) किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करता। हनुमान जी की आरती के उच्चारण, किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। हनुमान जी की आरती का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है।