Pandurangashtakam | Panduranga Ashtakam | श्री पांडुरंग अष्टकम्: स्तों नमस्कार, आज हम आप लोगों को इस पोस्ट के माध्यम से श्री पांडुरंग अष्टकम् के बारे में बताएँगे। श्री आदि शंकराचार्य द्वारा संस्कृत में रचित पांडुरंगाष्टकम् एक अत्यंत मनोहर स्तोत्र है। महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पंढरपुर स्थित भगवान विष्णु के अवतार श्री पांडुरंग को भगवान विठ्ठल या पांडुरंग विट्ठल, के नाम से जाना जाता है। जो व्यक्ति श्री पांडुरंग अष्टकम् का नित्य पाठ करता है, वह अपने पिछले जन्मों के सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
Pandurangashtakam
Panduranga Ashtakam
श्री पांडुरंग अष्टकम्
महायोगपीठे तटे भीमरथ्या
वरं पुंडरीकाय दातुं मुनींद्रैः ।
समागत्य तिष्ठंतमानंदकंदं
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ॥ 1 ॥
तटिद्वाससं नीलमेघावभासं
रमामंदिरं सुंदरं चित्प्रकाशम् ।
वरं त्विष्टकायां समन्यस्तपादं
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ॥ 2 ॥
प्रमाणं भवाब्धेरिदं मामकानां
नितंबः कराभ्यां धृतो येन तस्मात् ।
विधातुर्वसत्यै धृतो नाभिकोशः
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ॥ 3 ॥
स्फुरत्कौस्तुभालंकृतं कंठदेशे
श्रिया जुष्टकेयूरकं श्रीनिवासम् ।
शिवं शांतमीड्यं वरं लोकपालं
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ॥ 4 ॥
शरच्चंद्रबिंबाननं चारुहासं
लसत्कुंडलाक्रांतगंडस्थलांतम् ।
जपारागबिंबाधरं कंजनेत्रं
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ॥ 5 ॥
किरीटोज्ज्वलत्सर्वदिक्प्रांतभागं
सुरैरर्चितं दिव्यरत्नैरनर्घैः ।
त्रिभंगाकृतिं बर्हमाल्यावतंसं
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ॥ 6 ॥
विभुं वेणुनादं चरंतं दुरंतं
स्वयं लीलया गोपवेषं दधानम् ।
गवां बृंदकानंददं चारुहासं
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ॥ 7 ॥
अजं रुक्मिणीप्राणसंजीवनं तं
परं धाम कैवल्यमेकं तुरीयम् ।
प्रसन्नं प्रपन्नार्तिहं देवदेवं
परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगम् ॥ 8 ॥
स्तवं पांडुरंगस्य वै पुण्यदं ये
पठंत्येकचित्तेन भक्त्या च नित्यम् ।
भवांभोनिधिं तेऽपि तीर्त्वांतकाले
हरेरालयं शाश्वतं प्राप्नुवंति ॥ 9 ॥
इति श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीमच्छंकरभगवत्पादाचार्य विरचितं श्री पांडुरंगाष्टकम् ।
Credit the Video : AaryaSA Official YouTube Channel
Disclaimer: Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com) वेबसाइट का उद्देश्य किसी की आस्था या भावनाओं को ठेस पहुंचना नहीं है। इस वेबसाइट पर प्रकाशित उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता, जानकारियों के अनुसार और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। इस पोस्ट पर दिए गए जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और शैक्षिक उद्देश्य के लिए बनाया गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com) इसमें चर्चा की गई किसी भी तरह जानकारी, मान्यता, सटीकता, पूर्णता या विश्वसनीयता की पूर्ण रूप से गारंटी नहीं देते। श्री पांडुरंग अष्टकम् का अर्थ और महत्व को अमल में लाने से पहले कृपया संबंधित योग्य विशेषज्ञ अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। श्री पांडुरंग अष्टकम् का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है। इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी का उपयोग पूरी तरह से उपयोगकर्ता की अपनी ज़िम्मेदारी पर है। किसी भी प्रकार की हानि, नुकसान, या परिणाम के लिए हम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार नहीं होंगे।
