November 25, 2025
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Shree Gopal Ashtakam | गोपाल अष्टकम | भज श्री गोपालं दीन दयालं

Shree Gopal Ashtakam

Shree Gopal Ashtakam | गोपाल अष्टकम | भज श्री गोपालं दीन दयालं: दोस्तों  नमस्कार, आज हम आप लोगों को इस पोस्ट के माध्यम से गोपाल अष्टकम के बारे में बताएँगे। मान्यता के अनुसार जो महिलाएं मां बनने वाली हैं, उन महिलाओं को भगवान श्रीकृष्ण के इस श्रीगोपाल अष्टकम का रोजाना 108 बार जाप करना चाहिए। इस अष्टकम जाप करनेसे उन महिलाओं को अच्छे-अच्छे सोच विचार अने लगेंगे। जिससे कि गर्भ में पलने वाले बच्चे पर इसका अच्छा असर पड़ सकेगा। कहा जाता है कि प्रेग्नेंसी के समय महिलाएं जो भी करती हैं उसका अच्छा या बुरा असर बच्चे पर भी पड़ता है। तो अच्छी संतान प्राप्ति के लिए महिलाओं को भगवान श्री कृष्ण को समर्पित श्री गोपाल अष्टकम का पाठ करना चाहिए।

गोपाल अष्टकम

Shree Gopal Ashtakam

भज श्री गोपालं दीन दयालं, वचन रसालं ताप हरम्
विहरति स्वच्छन्दं आनन्द कन्दं, श्री वृज चन्द्रं ब्रह्म परं ।
पूरण शशिवदनं शोभा सदनं, जित छवि मदनं रूपवरम् ॥
हलधर वरबीरं श्याम शरीरं, गुण गम्भीरं धीर धरं ।
भज श्री गोपालं दीन दयालं, वचन रसालं ताप हरम् ॥१॥

राजत वनमाला रूप विशाला, चाल मराला सुरत हरम् ।
कुण्डल धृत करणं गिरिवर धरणं, निजजन शरणं कृपाकरं ॥
गोपन कृत संगं ललित त्रिभङ्गं, लजित अनंगं साम परं ।
भज श्री गोपालं दीन दयालं, वचन रसालं ताप हरम् ॥२॥

जलधर वर श्यामं पूरण कामं, अति सुख धामं दुःख हरं ।
वृन्दावन क्रीडित असुरन पीडित, व्रज तिय व्रीडित रसिक वरम् ॥
नूपुर ध्वनि चरणं मुनि मन हरणं, तारण तरणं तुष्ट तरम् ।
भज श्री गोपालं दीन दयालं, वचन रसालं ताप हरम् ॥३॥

राधा उर हारं रूप अपारं, नीर विहारं चीर हरं ।
कुंचित वर केशं मुकुट विशेषं, गोप सुवेषं निगम परम् ॥
अति कोमल चरणं वेद विचरणं, जगदुद्धरणं मृदुल तरं ।
भज श्री गोपालं दीन दयालं, वचन रसालं ताप हरम् ॥४॥

अलकन सुख राजत मन्मथ लाजत, किंकिणि बाजत मधुर स्वरं ।
वन्शी कृत नादं हरत विषादं, त्रिक्रम पादं तिमिर हरम् ॥
भक्तन आधीनं चरित नवीनं, परम प्रवीणं प्रेम परं ।
भज श्री गोपालं दीन दयालं, वचन रसालं ताप हरम् ॥५॥

अति नृत्य प्रबीरे धीर समीरे, यमुना तीरे रास करं ।
कलमान अनूपं श्याम स्वरूपं, त्रिभुवन भूपं मोद भरम् ॥
राधा गुण गायक ब्रज सुख दायक, सुर वर नायक वेणु धरं ।
भज श्री गोपालं दीन दयालं, वचन रसालं ताप हरम् ॥६॥

सुन्दर मृदु हासं विपिन विलासं, कुञ्ज निवासं केलि करं ।
युवती दृग अंजन जन मन रंजन, केशी भंजन भार हरम् ॥
भूषण निज भवनं गजपति गमनं, कालिय दमनं नृत्य करं ।
भज श्री गोपालं दीन दयालं, वचन रसालं ताप हरम् ॥७ ॥

गोरज मुख शोभित सुर नर लोभित, मन्मथ क्षोभित दृष्य परं ।
गोपन सह भुञ्जे विपिन निकुञ्जे, वत्सन पुञ्जे द्रुहिण हरम् ॥
ये छवि नारायण लखि नारायण, भये परायण अखिल नरं ।
भज श्री गोपालं दीन दयालं, वचन रसालं ताप हरम् ॥८॥

Credit the Video : Murlidhar Maharaj YouTube Channel

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