तुलसीदास जी द्वारा रचित महाकाव्य रामचरितमानस का पंचम सोपान है सुंदरकांड। सुंदरकांड के पाठ (Sunderkand Ka Path) में रामभक्त, पवनपुत्र मारुतिनंदन हनुमानजी महाराज का यशोगान किया गया है। जिस प्रकार हनुमान चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभदाता माना गया है उसी प्रकार सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand Ka Path) करना भी बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।
चलिये जानते हैं सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand Ka Path) करने के चमत्कारिक लाभ।
सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand Ka Path) करने से व्यक्ति के सभी नकारात्मक विचार दूर हो जाते हैं। सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand Ka Path) सभी प्रकारों की पीडा, रोगो या भय से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। अगर आप इस पाठ को मंगलवार या शनिवार के दिन नियमित रूप से करते हैं तो यह अटल फलदायी होता है तथा हनुमान जी महाराज की कृपा से आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
सुंदरकांड के पाठ (Sunderkand Ka Path) को नियमित रूप से करने से सभी ग्रहों का बुरा प्रभाव नष्ट हो जाता है। इस पाठ को हफ्ते में कम से कम एक बार जरूर करना चाहिए लेकिन ध्यान रहे अगर आपने इस को मंगलवार को शुरू किया है तो आगे आने वाले हफ्तों में भी आपको इसे मंगलवार को ही करना है इसी प्रकार इसे शनिवार को शुरू किया है तो आगे आने वाले हफ्तों में आपको इसे शनिवार को ही करना है।
नियमित रूप से हर हफ्ते सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand Ka Path) करने से गृह कलेश दूर होता है और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। मनुष्य के विषम स्थिति में फसे होने पर ज्योतिषी, विद्वान पंडित मनुष्य को संकल्प के साथ सुंदरकांड पाठ करने को कहते हैं ताकी मनुष्य की सारी परेशानियां दूर हो जाएं और उसको सुख, शांति और समृद्धि मिले।
कहते हैं सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand Ka Path) करने से हमें रामभक्त हनुमान जी का आशीर्वाद तो मिलता ही है साथ में माता सीता और प्रभु श्री राम का भी आशीर्वाद मिलता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। सुंदरकांड के पाठ के साथ आपको हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए अगर व्यक्ति चाहे तो हनुमान चालीसा के पाठ को तो वह प्रतिदिन एक निश्चित समय पर कर सकता है।
आइए अब जानते हैं सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand Ka Path) करने की विधि के बारे में।
Sunderkand Path Vidhi (सुंदरकांड पाठ विधि)
सुंदरकांड पाठ को आप अपनी सुविधा के अनुसार सुबह या शाम किसी भी समय कर सकते हैं। इस पाठ को शुरू करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उसके बाद प्रभु श्री राम और हनुमान जी महाराज का स्मरण करें और अपने घर के पूजा स्थल में प्रभु श्री राम और हनुमान जी महाराज के प्रतिमा के सामने फूल अर्पित करें एवम घी का दीपक जलावे एवम जिस भी मनोकामना की आपूर्ति हेतू आप इस पाठ को कर रहे हैं हाथ जोड़ प्रभु श्री राम और हनुमानजी महाराज के सामने निवेदन करें। इसके बाद आसन ग्रहण कर पाठ शुरू करें लेकिन पाठ शुरू करने से पहले आपको गणेश जी महाराज का ध्यान करना है और उनसे प्रार्थना करनी है कि, गणेश जी महाराज आप विघ्नहर्ता हो आपकी कृपा से इस पाठ के दोरां किसी प्रकार का कोई विघ्न न आए एवम मेरा पाठ बिना किसी विघ्न के संपूर्ण हो साथ ही साथ आपको पूरी एकग्रता के साथ पाठ को करना है। सुंदरकांड पाठ के बाद आप हनुमान चालीसा का पाठ भी करें और हनुमान जी की आरती अवश्य करें अगर आप चाहें तो आरती से पहले आप हनुमान जी महाराज का प्रभु श्री राम का भजनों के द्वारा गुणगान भी कर सकते हैं।
Sunderkand paath ke doraan dhyaan rakhne yogya baaten(सुंदरकाण्ड पाठ के दोराँ ध्यान रखने योग्य बातें)
- पाठ को करते समय मन को न भटकने दे एकाग्र चित होकर के पाठ करें।
- जिस भी दिन आप सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand Ka Path) करें उस दिन वासना के विचारो से परहेज़ करे और वासना के प्रभाव में हो कोई काम न करे, सात्विक भोजन को ही ग्रहण करे और मास, मदिरा इनका सेवन नहीं करे।
हम आशा करते हैं जिस भी मनोकामना की पूर्ति हेतू आप सुंदरकांड पाठ को करने जा रहे हैं प्रभु श्री राम और हनुमान जी महाराज आपकी उन मनोकामना को निश्चय ही पूरा करें।
जय जय श्री राम जय जय श्री हनुमान।