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November 17, 2024
Chalisa

Vindhyeshwari Chalisa | विंध्याचल चालीसा

Credit the Video: T-Series Bhakti Sagar by Sanjay Giri YouTube Channel

Vindhyeshwari Chalisa

॥ Doha ॥

Namo Namo Vindhyeshvari,
Namo Namo Jagadamb ।

Santajanon Ke Kaj Mein,
Karati Nahin Vilamb ॥

॥ Chalisa ॥

Jai Jai Jai Vindhyachal Rani ।
Aadishakti Jagavidit Bhavani ॥

Sinhavahini Jai Jagamata ।
Jai Jai Jai Tribhuvan Sukhadata ॥

Kasht Nivaran Jai Jagadevi ।
Jai Jai Sant Asur Sur Sevi ॥

Mahima Amit Apar Tumhari ।
Shesh Sahas Mukh Varnat Haari ॥

Dinan Ko Du:kh Harat Bhavani ।
Nahin Dekho Tum Sam Kou Daani ॥

Sab Kar Manasa Puravat Mata ।
Mahima Amit Jagat Vikhyata ॥

Jo Jan Dhyan Tumharo Lavai ।
So Turatahi Vanchhit Phal Pavai ॥

Tumhin Vaishnavi Tumhin Rudrani ।
Tumhin Sharada Aru Brahmani ॥

Rama Radhika Shyama Kali ।
Tumhin Matu Santan Pratipali ॥

Uma Madhvi Chandi Jvala ।
Vegi Mohi Par Hohu Dayala ॥

Tumhin Hingalaj Maharani ।
Tumhin Shitala Aru Vigyani ॥

Durga Durg Vinashini Mata ।
Tumhin Lakshmi Jag Sukh Data ॥

Tumhin Jahnavi Aru Rudrani ।
He Mavati Amb Nirvani ॥

Ashtabhuji Varahini Deva ।
Karat Vishnu Shiv Jakar Seva ॥

Chaunsatthi Devi Kalyani ।
Gauri Mangala Sab Gunakhani ॥

Patan Mumbadant Kumari ।
Bhadrikali Suni Vinay Hamari ॥

Bajradharini Shok Nashini ।
Aayu Rakshini Vindhyavasini ॥

Jaya Aur Vijaya Vaitali ।
Matu Sugandha Aru Vikarali ॥

Naam Anant Tumhari Bhavani ।
Varanai Kimi Manush Agyani ॥

Japar Kripa Matu Tab Hoi ।
Jo Vah Karai Chahe Man Joi ॥

Kripa Karahu Mopar Maharani ।
Siddh Karahu Ambe Mam Baani ॥

Jo Nar Dharai Matu Kar Dhyana ।
Takar Sada Hoy Kalyana ॥

Vipati Tahi Sapanehu Nahin Aavai ।
Jo Devikar Jaap Karavai ॥

Jo Nar Kahan Rn Hoy Apara ।
So Nar Path Karai Shat Bara ॥

Nishchay Rn Mochan Hoi Jai ।
Jo Nar Path Karai Chit Lai ॥

Astuti Jo Nar Padhe Padhave ।
Ya Jag Mein So Bahu Sukh Pave ॥

Jaako Vyadhi Satave Bhai ।
Jaap Karat Sab Door Parai ॥

Jo Nar Ati Bandi Mahan Hoi ।
Baar Hajar Path Kari Soi ॥

Nishchay Bandi Te Chhut Jai ।
Saty Vachan Mam Manahu Bhai ॥

Jaapar Jo Kachhu Sankat Hoi ।
Nishchay Devihin Sumirai Soi ॥

Ja Kahan Putr Hoy Nahin Bhai ।
So Nar Ya Vidhi Kare Upai ॥

Panch Varsh Jo Path Karavai ।
Nauratan Mahan Vipr Jimavai ॥

Nishchay Hohin Prasann Bhavani ।
Putr Dehin Ta Kahan Gunakhani ॥

Dhvaja Nariyal Aan Chadhavai ।
Vidhi Samet Poojan Karavavai ॥

Nit Prati Path Karai Man Lai ।
Prem Sahit Nahin Aan Upai ॥

Yah Shri Vindhyachal Chalisa ।
Rank Padhat Hove Avanisa ॥

Yah Jan Acharaj Manahu Bhai ।
Kripa Drshti Japar Hoi Jai ॥

Jai Jai Jai Jag Matu Bhavani ।
Kripa Karahu Mohi Nij Jan Jaani ॥

विंध्याचल चालीसा

॥ दोहा ॥

नमो नमो विन्ध्येश्वरी,
नमो नमो जगदम्ब ।

सन्तजनों के काज में,
करती नहीं विलम्ब ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥

सिंहवाहिनी जै जगमाता ।
जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥

कष्ट निवारण जै जगदेवी ।
जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥

महिमा अमित अपार तुम्हारी ।
शेष सहस मुख वर्णत हारी ॥

दीनन को दु:ख हरत भवानी ।
नहिं देखो तुम सम कोउ दानी ॥

सब कर मनसा पुरवत माता ।
महिमा अमित जगत विख्याता ॥

जो जन ध्यान तुम्हारो लावै ।
सो तुरतहि वांछित फल पावै ॥

तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी ।
तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी ॥

रमा राधिका श्यामा काली ।
तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली ॥

उमा माध्वी चण्डी ज्वाला ।
वेगि मोहि पर होहु दयाला ॥

तुम्हीं हिंगलाज महारानी ।
तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी ॥

दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता ।
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता ॥

तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी ।
हे मावती अम्ब निर्वानी ॥

अष्टभुजी वाराहिनि देवा ।
करत विष्णु शिव जाकर सेवा ॥

चौंसट्ठी देवी कल्यानी ।
गौरि मंगला सब गुनखानी ॥

पाटन मुम्बादन्त कुमारी ।
भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी ॥

बज्रधारिणी शोक नाशिनी ।
आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी ॥

जया और विजया वैताली ।
मातु सुगन्धा अरु विकराली ॥

नाम अनन्त तुम्हारि भवानी ।
वरनै किमि मानुष अज्ञानी ॥

जापर कृपा मातु तब होई ।
जो वह करै चाहे मन जोई ॥

कृपा करहु मोपर महारानी ।
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी ॥

जो नर धरै मातु कर ध्याना ।
ताकर सदा होय कल्याना ॥

विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै ।
जो देवीकर जाप करावै ॥

जो नर कहँ ऋण होय अपारा ।
सो नर पाठ करै शत बारा ॥

निश्चय ऋण मोचन होई जाई ।
जो नर पाठ करै चित लाई ॥

अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे ।
या जग में सो बहु सुख पावे ॥

जाको व्याधि सतावे भाई ।
जाप करत सब दूर पराई ॥

जो नर अति बन्दी महँ होई ।
बार हजार पाठ करि सोई ॥

निश्चय बन्दी ते छुट जाई ।
सत्य वचन मम मानहु भाई ॥

जापर जो कछु संकट होई ।
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ॥

जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई ।
सो नर या विधि करे उपाई ॥

पाँच वर्ष जो पाठ करावै ।
नौरातन महँ विप्र जिमावै ॥

निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी ।
पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी ॥

ध्वजा नारियल आन चढ़ावै ।
विधि समेत पूजन करवावै ॥

नित प्रति पाठ करै मन लाई ।
प्रेम सहित नहिं आन उपाई ॥

यह श्री विन्ध्याचल चालीसा ।
रंक पढ़त होवे अवनीसा ॥

यह जन अचरज मानहु भाई ।
कृपा दृश्टि जापर होइ जाई ॥

जै जै जै जग मातु भवानी ।
कृपा करहु मोहि निज जन जानी ॥

***

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