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November 17, 2024
Chalisa

Vishnu Chalisa Lyrics in English | विष्णु चालीसा लिरिक्स – Bhakti Bharat Ki

Vishnu Chalisa Lyrics in English – ( विष्णु चालीसा पाठ )

Credit the Video : Bhakti Bhajan Mantra YouTube Channel

Vishnu Chalisa

Vishnu Chalisa Lyrics in English

॥ Doha ॥

Vishnu Sunie Vinay Sevak Ki Chitalay ।
Kirat Kuchh Varnan Karoon Dijai Gyan Batay ।

॥ Chaupai ॥

Namo Vishnu Bhagwan Kharari ।
Kasht Nashavan Akhil Bihari ॥ 1 ॥

Prabal Jagat Mein Shakti Tumhari ।
Tribhuvan Phail Rahi Ujiyari ॥ 2 ॥

Sundar Roop Manohar Soorat ।
Saral Swabhav Mohani Moorat ॥ 3 ॥

Tan Par Pitambar Ati Sohat ।
Baijanti Mala Man Mohat ॥ 4 ॥

Shankh Chakr Kar Gada Biraje ।
Dekhat Daity Asur Dal Bhaje ॥ 5 ॥

Satya Dharm Mad Lobh Na Gaje ।
Kam Krodh Mad Lobh Na Chhaje ॥ 6 ॥

Santabhakt Sajjan Manaranjan ।
Danuj Asur Dushtan Dal Ganjan ॥ 7 ॥

Sukh Upajay Kasht Sab Bhanjan ।
Dosh Mitay Karat Jan Sajjan ॥ 8 ॥

Pap Kat Bhav Sindhu Utaran ।
Kasht Nashakar Bhakt Ubaran ॥ 9 ॥

Karat Anek Roop Prabhu Dharan ।
Keval Aap Bhakti Ke Karan ॥ 10 ॥

Dharani Dhenu Ban Tumahin Pukara ।
Tab Tum Roop Ram Ka Dhara ॥ 11 ॥

Bhar Utar Asur Dal Mara ।
Ravan Adik Ko Sanhara ॥ 12 ॥

Aap Varah Roop Banaya ।
Haranyaksh Ko Mar Giraya ॥ 13 ॥

Dhar Matsy Tan Sindhu Banaya ।
Chaudah Ratanan Ko Nikalaya ॥ 14 ॥

Amilakh Asuran Dwand Machaya ।
Roop Mohani Aap Dikhaya ॥ 15 ॥

Devan Ko Amrt Pan Karaya ।
Asuran Ko Chhavi Se Bahalaya ॥ 16 ॥

Kurm Roop Dhar Sindhu Majhaya ।
Mandrachal Giri Turat Uthaya ॥ 17 ॥

Shankar Ka Tum Phand Chhudaya ।
Bhasmasur Ko Roop Dikhaya ॥ 18 ॥

Vedan Ko Jab Asur Dubaya ।
Kar Prabandh Unhen Dhundhwaya ॥ 19 ॥

Mohit Bankar Khalahi Nachaya ।
Usahi Kar Se Bhasm Karaya ॥ 20 ॥

Asur Jalandhar Ati Baldai ।
Shankar Se Un Kinh Ladai ॥ 21 ॥

Har Par Shiv Sakal Banai ।
Keen Sati Se Chhal Khal Jai ॥ 22 ॥

Sumiran Keen Tumhen Shivarani ।
Batalai Sab Vipat Kahani ॥ 23 ॥

Tab Tum Bane Munishwar Gyani ।
Vrinda Ki Sab Surati Bhulani ॥ 24 ॥

Dekhat Tin Danuj Shaitani ।
Vrinda Aay Tumhen Laptani ॥ 25 ॥

Ho Sparsh Dharm Kshati Mani ।
Hana Asur Ur Shiv Shaitani ॥ 26 ॥

Tumne Dhruv Prahalad Ubre ।
Hirankush Adik Khal Mare ॥ 27 ॥

Ganika Aur Ajamil Tare ।
Bahut Bhakt Bhav Sindhu Utare ॥ 28 ॥

Harahu Sakal Santap Hamare ।
Krpa Karahu Hari Sirajan Hare ॥ 29 ॥

Dekhahun Main Nij Darash Tumhare ।
Deen Bandhu Bhaktan Hitkare ॥ 30 ॥

Chahat Apka Sevak Darshan ।
Karahu Daya Apani Madhusoodan ॥ 31 ॥

Janoon Nahin Yogy Jap Poojan ।
Hoy Yagy Stuti Anumodan ॥ 32 ॥

Shiladaya Santosh Sulakshan ।
Vidit Nahin Vratabodh Vilakshan ॥ 33 ॥

Karahun Apka Kis Vidhi Poojan ।
Kumati Vilok Hot Dukh Bhishan ॥ 34 ॥

Karahun Pranam Kaun Vidhisumiran ।
Kaun Bhanti Main Karahu Samarpan ॥ 35 ॥

Sur Muni Karat Sada Sevakai ।
Harshit Rahat Param Gati Pai ॥ 36 ॥

Deen Dukhin Par Sada Sahai ।
Nij Jan Jan Lev Apnai ॥ 37 ॥

Pap Dosh Santap Nashao ।
Bhav-bandhan Se Mukt Karao ॥ 38 ॥

Sukh Sampatti De Sukh Upjao ।
Nij Charanan Ka Das Banao ॥ 39 ॥

Nigam Sada Ye Vinay Sunavai ।
Padhai Sunai So Jan Sukh Pavai ॥ 40 ॥

***

Vishnu Chalisa Lyrics in Hindi

॥ विष्णु चालीसा लिरिक्स ॥

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी ॥ 1 ॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥ 2 ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत ॥ 3 ॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत।
बैजन्ती माला मन मोहत ॥ 4 ॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे।
देखत दैत्य असुर दल भाजे ॥ 5 ॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥ 6 ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ॥ 7 ॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।
दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥ 8 ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण ॥ 9 ॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण।
केवल आप भक्ति के कारण ॥ 10 ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।
तब तुम रूप राम का धारा ॥ 11 ॥

भार उतार असुर दल मारा।
रावण आदिक को संहारा ॥ 12 ॥

आप वाराह रूप बनाया।
हिरण्याक्ष को मार गिराया ॥ 13 ॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया।
चौदह रतनन को निकलाया ॥ 14 ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया।
रूप मोहनी आप दिखाया ॥ 15 ॥

देवन को अमृत पान कराया।
असुरन को छबि से बहलाया ॥ 16 ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया।
मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ॥ 17 ॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।
भस्मासुर को रूप दिखाया ॥ 18 ॥

वेदन को जब असुर डुबाया।
कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया ॥ 19 ॥

मोहित बनकर खलहि नचाया।
उसही कर से भस्म कराया ॥ 20 ॥

असुर जलंधर अति बलदाई।
शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ॥ 21 ॥

हार पार शिव सकल बनाई।
कीन सती से छल खल जाई ॥ 22 ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।
बतलाई सब विपत कहानी ॥ 23 ॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥ 24 ॥

देखत तीन दनुज शैतानी।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ॥ 25 ॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।
हना असुर उर शिव शैतानी ॥ 26 ॥

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे।
हिरणाकुश आदिक खल मारे ॥ 27 ॥

गणिका और अजामिल तारे।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥ 28 ॥

हरहु सकल संताप हमारे।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे ॥ 29 ॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥ 30 ॥

चहत आपका सेवक दर्शन।
करहु दया अपनी मधुसूदन ॥ 31 ॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥ 32 ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ॥ 33 ॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन।
कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥ 34 ॥

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण।
कौन भांति मैं करहुँ समर्पण ॥ 35 ॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई।
हर्षित रहत परम गति पाई ॥ 36 ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई।
निज जन जान लेव अपनाई ॥ 37 ॥

पाप दोष संताप नशाओ।
भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥ 38 ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ।
निज चरनन का दास बनाओ ॥ 39 ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥ 40 ॥

***

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