नई दिल्ली: सोमवार का दिन हिंदू धर्म में भगवान शिव की भक्ति के लिए खास माना जाता है। मंदिरों में भक्तों की भीड़, शिवलिंग पर दूध-जल चढ़ाने की परंपरा और सोमवार व्रत की धूम—ये सब इस दिन को और खास बनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोमवार को ही शिव का दिन क्यों माना जाता है? आइए, जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक वजहें।
चंद्रमा और शिव का गहरा नाता
सोमवार को संस्कृत में सोमवार कहते हैं, जिसका मतलब है चंद्रमा का दिन। भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है। शिव पुराण के अनुसार, चंद्रदेव को दक्ष प्रजापति ने शाप दिया था कि उनकी चमक खत्म हो जाएगी। तब चंद्रमा ने शिव की शरण ली। शिव ने उन्हें अपने मस्तक पर स्थान दिया, जिससे चंद्रमा की चमक लौट आई। यही वजह है कि सोमवार को शिव की पूजा खास होती है। भक्त मानते हैं कि इस दिन शिव पूजा से चंद्रमा की कृपा भी मिलती है।
ज्योतिष में सोमवार का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन और भावनाओं का कारक माना जाता है। अगर कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, तो मानसिक अशांति हो सकती है। शिव को ग्रह पीड़ा हर माना जाता है। सोमवार को शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाने और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से चंद्रमा के दुष्प्रभाव कम होते हैं। यही कारण है कि भक्त इस दिन शिव मंदिरों में उमड़ते हैं।
सोमवार व्रत की परंपरा
सोमवार का व्रत भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। खासकर महिलाएं सोलह सोमवार व्रत रखती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए कठिन तप किया था, जो सोमवार को और खास था। अविवाहित लड़कियां अच्छे वर के लिए और विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। भक्त सुबह स्नान कर, शिवलिंग पर बिल्वपत्र और दूध चढ़ाते हैं। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप भी इस दिन विशेष फल देता है।
श्रावण में सोमवार की महिमा
श्रावण मास में सोमवार का महत्व और बढ़ जाता है। इस दौरान काशी विश्वनाथ, सोमनाथ और महाकालेश्वर जैसे मंदिरों में भक्तों का तांता लगता है। कांवड़ यात्रा में लाखों भक्त गंगा जल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। श्रावण के सोमवार को शिव भक्त उपवास रखते हैं और रुद्राभिषेक करते हैं। मान्यता है कि इस दिन शिव की कृपा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
आध्यात्मिक नजरिया
शिव को महायोगी कहा जाता है, जो मन को शांत और स्थिर करते हैं। चंद्रमा मन का प्रतीक है। सोमवार को शिव की पूजा से मन की चंचलता कम होती है। ध्यान और भक्ति से भक्त अपने अंदर शांति और संतुलन पाते हैं। शिव का चंद्रमा से नाता हमें समय के चक्र और जीवन की नश्वरता की भी याद दिलाता है।
हर कोई कर सकता है पूजा
शिव को भोलेनाथ यूं ही नहीं कहा जाता। वे साधारण भेंट से भी प्रसन्न हो जाते हैं। एक बिल्वपत्र, एक लोटा जल या सच्चे मन से ॐ नमः शिवाय का जाप—बस इतना ही काफी है। चाहे मंदिर जाएं या घर पर पूजा करें, शिव की कृपा सब पर बरसती है।
आज करें शिव दर्शन
आज 8 दिसंबर 2025, सोमवार है। देशभर के शिव मंदिरों में विशेष पूजा और अभिषेक का आयोजन हो रहा है। अगर आप भी शिव भक्त हैं, तो आज मंदिर जाएं या घर पर ही शिवलिंग की पूजा करें। महामृत्युंजय मंत्र या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। इससे मन को शांति और जीवन में सकारात्मकता आएगी।
नोट: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। सोमवार व्रत या पूजा से पहले अपने गुरु या पंडित से सलाह लें।
