29.4 C
Bhubaneswar
September 8, 2025
Blog

सच्चे संतों की पहचान: परम पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज का प्रेरक संदेश

महाराज जी ने स्पष्ट किया कि सच्चे संतों की पहचान केवल बाहरी लक्षणों जैसे दाढ़ी, जटा, तिलक, या विशेष वेशभूषा से नहीं की जा सकती। ये बाहरी रूप मात्र हैं, जो साधुता का सही परिचायक नहीं हैं।

वृंदावन: परम पूज्य वृंदावन रसिक संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने हाल ही में एक प्रवचन में “इस घोर कलियुग में सच्चे संतों की पहचान कैसे करें?” विषय पर गहन प्रकाश डाला। उनके प्रवचन में सच्ची साधुता के आंतरिक गुणों और भक्ति के सार को उजागर किया गया, जो समाज के लिए एक प्रेरक मार्गदर्शन है।

बाहरी रूप नहीं, आंतरिक गुण हैं सच्चे संतों की पहचान

महाराज जी ने स्पष्ट किया कि सच्चे संतों की पहचान केवल बाहरी लक्षणों जैसे दाढ़ी, जटा, तिलक, या विशेष वेशभूषा से नहीं की जा सकती। ये बाहरी रूप मात्र हैं, जो साधुता का सही परिचायक नहीं हैं। उन्होंने कहा, “असली साधुता का लक्षण है मन का भगवान में पूर्ण आसक्ति, करुणा, सहनशीलता, और कलुष रहित जीवन।” सच्चा संत वही है, जो भगवान में पूरी तरह डूबा हो, जिसके मन में कामना, क्रोध, लोभ, मोह, मद, और मत्सर जैसे विकार न हों।

भगवान की कृपा से ही संभव है सच्चे संतों का दर्शन

महाराज जी ने जोर देकर कहा कि सच्चे संतों को पहचानने की शक्ति केवल भगवान की कृपा से ही प्राप्त हो सकती है। बाहरी दृश्य के आधार पर संत और असंत का भेद करना संभव नहीं है। कई बार लोग दिखावे के लिए साधुता का अभिनय करते हैं, लेकिन सच्चे संतों का स्वरूप आंतरिक रूप से भिन्न होता है। “सच्चे संतों का समाज और एकांत दोनों ही उज्जवल होते हैं। उनकी भक्ति में प्रेम, सहनशीलता, और समता का भाव होता है,” उन्होंने बताया।

भगवान का सम्मान साधारण वस्त्रों में बैठे संत को

प्रवचन में महाराज जी ने एक प्रेरक उदाहरण साझा किया, जिसमें भगवान ने साधारण वस्त्रों में बैठे एक संत को पहचाना और सम्मान दिया, जबकि अन्य लोग उनकी महानता को नहीं समझ पाए। यह उदाहरण इस बात को रेखांकित करता है कि सच्चे संतों का दर्शन और ज्ञान बिना हरि कृपा के संभव नहीं है।

सच्ची साधुता का आधार: मन की पवित्रता और समर्पण

महाराज जी ने अपने संदेश में इस बात पर बल दिया कि सच्चे संत की पहचान उनके मन की पवित्रता, भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण, और आंतरिक गुणों से होती है। बाहरी आभूषण या दिखावा साधुता का मापदंड नहीं हो सकता। उन्होंने भक्तों को प्रेरित करते हुए कहा कि सच्चे संतों की संगति और उनके मार्गदर्शन से ही जीवन में सही दिशा प्राप्त की जा सकती है।

समाज के लिए प्रेरणा

परम पूज्य श्री हित प्रेमानंद जी महाराज का यह संदेश न केवल भक्तों के लिए, बल्कि समस्त समाज के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है। यह हमें सिखाता है कि सच्चाई और भक्ति का मार्ग आंतरिक शुद्धता और भगवान के प्रति पूर्ण निष्ठा से ही प्रशस्त होता है। इस प्रवचन ने भक्तों को यह समझने के लिए प्रेरित किया कि सच्चे संतों की पहचान के लिए हमें अपने मन को भी शुद्ध और भक्ति से परिपूर्ण करना होगा।

Facebook
Instagram
YouTube

Related posts

Nama Ramayanam | Ramayanam in 108 Stanzas | Life Story of Shri Rama

bbkbbsr24

How to keep Maha Shivratri 2023 fast | जानिए महाशिवरात्रि का व्रत करने के नियम, विधि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

bbkbbsr24

भीष्म और अन्य योद्धा – एक कहानी

Bimal Kumar Dash