December 21, 2025
Mantra

Bho Shambho Shiv Shambho Svayambho | भो शंम्भो शिव शम्भो स्वयंभो

Bho Shambho Shiv Shambho Svayambho

Bho Shambho Shiv Shambho Svayambho | भो शंम्भो शिव शम्भो स्वयंभो: दोस्तों नमस्कार, आज हम आपको इस लेख के जरिए आद्या स्तोत्रम् के बारे में बात करेंगे। यह श्लोक भगवान शिव की महिमा और उनकी अनंत शक्तियों का गुणगान करता है। जो स्वयं उत्पन्न हुए हैं, जो गंगा नदी को अपने जटाओं में धारण करते हैं। जो किसी भी गुण या आकार में बंधे नहीं हैं।

भो शंम्भो शिव शम्भो स्वयंभो

शिव भो शंम्भो शिव शम्भो स्वयंभो
भो शम्भो शिव शम्भो स्वयंभो

गङ्गाधर शंकर करुणाकर मामव भवसागर तारक

निर्गुण परब्रह्म स्वरुप गमगम भूत प्रपञ्चा रहित
निज गुहानिहित नितान्त अनन्त आनन्द अतिशय अक्सयलिङ्ग

धिमित धिमित धिमि धिमिकित किततों तों तों तरिकित तरिकितकित तों
मातङ्ग मुनिवर वन्दिता इष सर्व दिगंबर वेस्तित
वेस इष सबेष नित्य निरञ्जन नित्य न अतेष इष सबेष सर्वेश

Bho Shambho Shiv Shambho

Shiv Bho Shambho Shiv Shambho Svayambho
Bho Shambho Shiv Shambho Svayambho

Gangaadhar Shankar Karunaakar Mamav Bhavasagar Tarak

Nirgun Parabrahm Svaroop Gam Gam Bhoot Prapanch Rahita
Nijani Guhit Nitaant Anant Aanand Atishay Akshyaling

Dheemit Dhamit Dhimi Dhimit Kiton Ton Ton Tarikit Trikitkit Ton
Maatang Munivar Vandita Eesh Sarv Digambar Vestita
Ves Eesh Sabesh Nity Niranjan Nity Na Atesh Eesh Sabesh Sarvesha

Credit the Video: Swar Mandir YouTube Channel

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