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December 6, 2024
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आक, मदार, अर्क का फूल किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं ?

आक, मदार, अर्क का फूल किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं ? | aak, madar, Arak ka phool kis bhagwan ko chadhaya jata hai | aak ke phool ke bare me puri jankari hindi me | आक के पुष्प के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में

आक, मदार एवं अर्क एक ही पौधे के अलग अलग नाम हैं। जिसका वानस्पतिक नाम ‘calotropis gigantea’ हैं। ये एक प्रकार के औषधीय और समृद्धि प्रदान करने वाला, ईश्वर को प्रसन्न रखने वाला एक सर्व गुण युक्त चमत्कारी पौधा हैं। इसे अकौआ के नाम से भी जानते हैं।इसका वृक्ष 5 से 7 फ़ीट ऊँचा होता हैं और इनके पत्तियां मोटे बरगद के पत्तियों के समान होते हैं। आक के फल आम के आकार में होते है परंतु इसके अंदर रुई के समान पदार्थ पाये जाते हैं जिसका कोई उपयोग नहीं हैं। आक का पौधा या पुष्प में जितना औषधीय गुण पाया जाता हैं उससे कही ज्यादा इसमें विषैले गुण पाए जाते हैं। ज्यादा मात्रा में इसका सेवन कर लेने से ग्रसित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती हैं।इस पौधे को उपविष की संज्ञा दी गयी हैं। परंतु आयुर्वेद चिकित्सक सही मात्रा में आक के पुष्प और पौधे का इस्तेमाल कर जटिल से जटिल रोग से छुटकारा दिला सकते हैं। इस आक के तने से उजला दूध के समान द्रव्य निकलता हैं जो आंखों को अंधा भी कर सकता हैं। कहने का तात्पर्य यह हैं कि आक या अर्क का फूल जितना आवश्यक हैं उतना खतरनाक भी हैं। जादू टोना और तांत्रिक क्रिया विधि में भी आक के फूल का उपयोग किया जाता हैं।

कहाँ कहाँ पाये जाते हैं आक के पौधा

भारत के सभी उच्च भूमियों पर या वैसे स्थानों पर जो शुष्क और रेतीली हो वहाँ इनकी उत्पत्ति हो जाती हैं। भारत के पड़ोसी देशों में भी आक के पौधे की उपस्थिति देखी जा सकती हैं। गर्मी के मौसम में आक का पौधा अपनी पूर्ण आकार को प्राप्त कर लेता हैं। परंतु बारिश के मौसम के दौरान अपनी क्षमता को धीरे धीरे खोने लगता हैं और अंततः सुख जाता हैं।

आक के पौधे का प्रकार

अर्क या आक के पौधे की तीन उप जातीया भी पाई जाती हैं। पहली जाती में श्वेत रंग का फूल होते हैं। जबकि दूसरी जाति में इसके फूल हल्की पीली परंतु श्वेत होते हैं। जिसे मंदार कहा जाता हैं। जिसमे विषैले दूध की मात्रा अधिक होती हैं। जबकि आक के तीसरी जाति के पौधे में केवल एक तना होता हैं, जिस पर चार पत्ते होते हैं जिसे राजार्क कहते हैं। और इनके फूल चांदी के समान उजले होते हैं परंतु वर्तमान में ये आक के दुर्लभ जाति हैं। भारत में इसकी पहली और दूसरी जातियॉ पाई जाती हैं।

Arak-Ka-Phool
Source on Google: Arak-Ka-Phool

 

आक के पुष्प या पौधे का वास्तु दोष के महत्व

जिस प्रकार से आक विषैले पौधे के श्रेणी में आता हैं उसी प्रकार से इसके वास्तु दोष से संबंधित अपने मायने हैं। जिस भी घर में आक का पौधा मौजूद हो तो उस घर के सदस्यों के ऊपर नकारात्मक ऊर्जा अपना प्रभाव दर्ज नही कर सकती। जिस घर में अशांति, नकारात्मक ऊर्जा, छोटी छोटी लड़ाई झगड़े, होते रहते हैं उनको आक के पौधे को मुख्य द्वार पर लगाना चाहिए। आक का पौधा शनि के साढ़ेसाती को कम करने का काम करता हैं। जिस घर में आक का पौधा होता हैं वहाँ लक्ष्मी जी का वास होने लगता हैं। अगर किसी व्यक्ति को बुरी नजर की समस्या बार बार होती रहती हैं तो वो आक के पौधे की जड़ को ताबीज में बांध कर गले मे धारण कर समस्या से निजात पा सकता हैं।

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आक के पुष्प या पौधे का औषधीय महत्व

विषैला पौधा होने के साथ साथ आक का पौधा औषधीय गुणों से युक्त हैं। आक के पौधे का जड़, तना, फूल सभी औषधि के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। नाखूना रोग, शीत ज्वर, गठिया रोग के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। खांसी, खतरनाक रोग हैजा, खाज खुजली इत्यादि में भी आक के पौधे का प्रयोग किया जाता हैं। अर्क से दातुन करने से दांतों के समस्त रोगों से मुक्ति पाया जा सकता हैं। किडनी रोग में भी आक का पौधे से जरूरी औषधि बनाया जाता हैं। लेकिन ध्यान रहे बिना आयुर्वेद चिकित्सक के सलाह के आक के पौधे से चिकित्सा नहीं करनी चाहिए ।

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आक, मदार, अर्क का फूल किस भगवान को चढ़ाना चाहिए

वैसे तो आक का फूल लगभग सभी देवी देवताओं को चढ़ाया जा सकता हैं। अगर आप आक के पुष्प को श्रद्धापूर्वक भगवान शिव के चरणों मे अर्पित करते हैं तो भगवान भोले जल्द ही प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना को पूर्ण कर देंगे। माना जाता है कि अर्क के पौधे में भगवान श्री गणेश जी का वास होता हैं। इसीलिये गणेश भगवान के पूजन में आक का पुष्प चढ़ाने से भगवान गणेश जी हर इच्छा की पूर्ति करते हैं।

आक के पौधे से संबंधित सावधानियां

जिस प्रकार से आक के पौधे और उसके पुष्प में औषधीय और ईश्वर को प्रसन्न करने के गुण पाये जाते हैं उससे भी खतरनाक इनमें मनुष्य को मारने की गुण भी मौजूद होते हैं। इसीलिए आक के पौधे से कोई भी चिकित्सकीय उपचार बिना किसी आचार्य के सलाह पर नहीं करना चाहिए। बच्चों को आक के पौधे से दूर रखना चाहिए क्योंकि इससे निकलने वाले सफेद दूध जैसे निकलने वाले द्रव्य आंखों को अंधे कर सकते हैं।

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