How to Live for 100 Years | सौ साल जीने का रास्ता: दोस्तो नमस्कार, आज हम आप लोगों को इसी पोस्ट के माध्यम से सौ साल जीने का रास्ता के बारे में बात करेंगे। तो दोस्तों सबसे पहले आइए जानते हैं:
यथा बलम तथा निदानम्:
सबसे बड़ा बल जो इस दुनिया में इंसान के पास है, वो है कुंभक। कुंभक उसको करने का सही तरीका क्या है। उसको थोड़ा सरल शब्दों में समझते हैं। योग में कहा गया “यथा बलम तथा निदानम्” जितना शरीर के पास बल होगा उतना ज्यादा वो किसी भी बीमारी का निदान कर पाएगा। किसी भी चीज से छुटकारा पाएगा। यह बल शरीर के पास आता कहां से।
हमारे ग्रंथों में हठयोग प्रदीपिका में और भाव प्रकाश निघंटू में, कुंभक की अत्यंत सुंदर तरीके से चर्चा की गई है। इसकी बात शिव संहिता में भी की गई है। इसकी बात विज्ञान भैरव तंत्र में भी की गई है। जब भैरव भैरवी संवाद हो रहा है, तो भैरवी भैरव से पूछती हैं कि किम बलम सत्वबलम। इस जगत का सबसे बड़ा बल क्या है? भैरव उत्तर देते हैं। महादेव उत्तर देते हैं। कुंभक बलम सर्व बलम।
हमारे योगी जो हिमालय में बैठकर के 100-100 साल की तपस्याएं करते हैं। बिना खाए, खिचड़ी मुद्रा लगा के बैठे रहते हैं। 100-1020 साल के बाद, वो सीधा कुंभ के मेले में आकर के निकलते हैं। वो क्या करते, वे श्वास को रोकने (Breath Retention) का अभ्यास करते हैं। केवल हम कुंभक की एक ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं, जहां सांसे शून्य के बराबर हो जाती हैं। उस ब्रेथ-रोध (Breath Retention) की अवस्था को ही कुंभक कहा जाता है।
हमारी सांस का लेना है, पूरक। सांस का छोड़ना है, रेचक। इन दोनों के बीच में एक स्थिति आती है, जहां पर ना हम सांस ले रहे हैं, ना हम छोड़ रहे हैं। जबकि हम सांस को रोक लेते हैं। उसको कहा गया कुंभक। कुंभक का मतलब होता है घड़ा। घड़े के भीतर जैसे खाली जगह होता है, उसी प्रकार जब हम श्वास को भीतर रोक लेते हैं, तो वह अवस्था को कुंभक कहा जाता है।
दो तरह के कुंभक हैं। एक है अंतः कुंभक जो हम अंदर सांस लेने के बाद यानी पूरक। पूरक का मतलब (Inhalation) यानी साँस भीतर लेना। हमने पूरक किया। सांस को रोक लिया। हमने रेचक किया (Exhalation) यानी साँस को बाहर छोड़ना। सांस को रोक लिया। बाह्य कुंभक इस कुंभक को जो व्यक्ति साध लेता है, वह जीवन में किसी भी चीज को हासिल कर सकता है। कुंभक को साधने वाला व्यक्ति शतशतायु हो सकता है। शतशतायु शतायु का मतलब 100 साल शत बार शतायु हो सकता है। कुंभक को साधने वाला व्यक्ति हर एक रोग का निधान इस (Breath Retention) में छुपा कुंभक में है।
कुंभक बलम सर्वबलम:
हमारे शास्त्रों में, यह बोला गया कि, जो लोग कुंभक की प्रक्रिया के साथ, खेचरी मुद्रा (Khechari Mudra), अपनी जिह्वा (Jihva) को पीछे की ओर मोड़कर ऊपर तालु से लगाता है, वो योगी जो 100 सालों तक सूर्य की एनर्जी (Nutrition) से जीवित हैं। इसकी एक बड़ा विज्ञान है। अगर हम उस योगिक मुद्रा कुंभक को साध लें, तो जब हमने ब्रेथ को होल्ड किया, इससे हमारी जो प्राण ऊर्जा है, हमारे सातों चक्र (Balance) होने लगते हैं। हमारी दिनचर्या में हमको कोई जोर वाला काम करना हो, तो हम कुंभक लगाते हैं। जो मजदूर लोग काम कर रहे हैं, वो दिन भर कुंभक लगाता है। वो दिन भर अपनी ब्रेथ को (Retain Breath) रिटेन कर रहा है। वो उसको सबसे बड़ा (Nutrition) दे रहा है। अगर हम सांस को रोकेंगे, मतलब हम अपने प्राण को होल्ड करते हैं। इससे हमारा नर्वस सिस्टम सारा का सारा (Balance) हो जाता है।
नोट: किसी भी बीमारी का पूर्ण उपचार के लिए सौ साल जीने का रास्ता का उपाय को प्रयोग से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें। डॉक्टरी परामर्श पर ही सौ साल जीने का रास्ता का उपाय को इस्तेमाल किया जाता है।
धान दे: जिसको हार्ट के प्रॉब्लम है, ब्रेथ की प्रॉब्लम है, जिनको हाई बीपी है, प्रेग्नेंट लेडीज है, वो लोग सौ साल जीने का रास्ता का उपाय नहीं करना चाहिए।
संपर्क करे: ऐसे देखा जाए तो हम कोई संत, पंडित, स्वास्थ्य सलाहकार अथवा विशेषज्ञ नहीं है। लेकिन परमात्मा का जो ज्ञान हमें मिला है, उसी के आधार पर हम आपको बता सकते हैं। सौ साल जीने का रास्ता का जो उच्चतम सोपान है, उसका अभ्यास नाम के साथ किया जा सकता है।
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