नई दिल्ली: डॉ. नीति कौशिक के वीडियो “FULL MOON ON 07 SEPTEMBER 2025 (LUNAR ECLIPSE)” में 7 सितंबर 2025 को होने वाले पूर्णिमा और आंशिक चंद्र ग्रहण के आध्यात्मिक महत्व पर गहन चर्चा की गई है। यह खगोलीय घटना न केवल एक प्राकृतिक दृश्य है, बल्कि व्यक्तिगत परिवर्तन, उपचार, और जीवन की प्राथमिकताओं को पुनः स्थापित करने का एक अनूठा अवसर भी है। डॉ. कौशिक ने इस अवधि में जीवन को बदलने वाली 10 शक्तिशाली आध्यात्मिक प्रथाओं को साझा किया है, जो पितृ पक्ष के दौरान और भी प्रभावी हो सकती हैं।
चंद्र ग्रहण का आध्यात्मिक महत्व
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है, जिससे चंद्रमा पर छाया पड़ती है। यह छाया हमारे जीवन में भ्रम या भटकाव का प्रतीक है। डॉ. कौशिक के अनुसार, यह ग्रहण तीन प्रमुख जीवन क्षेत्रों को प्रभावित करता है:
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रचनात्मकता: नई ऊर्जा और प्रेरणा का उदय।
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आदर्शवाद: मूल मूल्यों को समझने और मजबूत करने का समय।
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भ्रम: भय या भटकाव को पहचानकर उसे दूर करने का अवसर।
इसके साथ ही, यह ग्रहण पहचान, बेचैनी, और महत्वाकांक्षा जैसे क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है, जिससे आत्म-सिद्धि की इच्छा, ऊर्जा का उछाल, और आंतरिक अशांति का अनुभव हो सकता है।
10 शक्तिशाली आध्यात्मिक प्रथाएं
डॉ. कौशिक ने इस चंद्र ग्रहण के दौरान निम्नलिखित आध्यात्मिक गतिविधियों की सिफारिश की है, जो व्यक्तिगत विकास और उपचार में सहायक हो सकती हैं:
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पितृ पक्ष में पूर्वजों से जुड़ाव के लिए ध्यान: पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और प्रार्थना के लिए विशेष ध्यान।
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आध्यात्मिक या नमक स्नान: नकारात्मक ऊर्जा को मुक्त करने के लिए नमक या औषधीय स्नान।
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जर्नलिंग: आत्म-बलिदान और भक्ति पर आधारित प्रश्नों के साथ आत्म-चिंतन।
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आंतरिक शांति और जिम्मेदारियों का संतुलन: महत्वपूर्ण कर्तव्यों को पहचानने के लिए शांत मन से चिंतन।
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स्वयं को पत्र लेखन: असुरक्षाओं को मुक्त करने और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आत्म-लेखन।
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सोशल मीडिया से दूरी और आध्यात्मिक पढ़ाई: आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन और डिजिटल शोर से बचाव।
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योग और शारीरिक गतिविधियां: योग, श्वास व्यायाम, और क्रिस्टल के साथ ग्राउंडिंग के माध्यम से रुकी हुई भावनाओं को मुक्त करना।
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रचनात्मक लेखन: कविता, कहानी, या गीत लेखन के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करना और उपचार।
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सकारात्मक पुष्टि (अफर्मेशन्स): स्वीकृति, आंतरिक शांति, और भय को मुक्त करने के लिए सकारात्मक मंत्र।
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क्षमा और उपचार: पितृ पक्ष में हो’ओपोनोपोनो जैसी शक्तिशाली प्रार्थनाओं के माध्यम से क्षमा और भावनात्मक उपचार।
महत्वपूर्ण सलाह: प्रमुख निर्णयों से बचें
डॉ. कौशिक ने सलाह दी है कि 7 सितंबर से 21 सितंबर 2025 तक कोई भी बड़ा जीवन निर्णय, जैसे विवाह, संपत्ति खरीद, या बड़े निवेश, नहीं लेना चाहिए। इस अवधि के बाद ही ऐसे निर्णय लेने की सलाह दी गई है।
आत्म-विकास और उपचार का अवसर
यह चंद्र ग्रहण आत्म-विनाशकारी प्रवृत्तियों को पहचानने और उन्हें सचेत रूप से मुक्त करने का अवसर प्रदान करता है। पितृ पक्ष के दौरान क्षमा और प्रार्थना के माध्यम से भावनात्मक उपचार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यह अवधि जीवन की प्राथमिकताओं को पुनः स्थापित करने और आध्यात्मिक विकास के लिए एक अनमोल समय है।
निष्कर्ष
7 सितंबर 2025 का चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना से कहीं अधिक है; यह एक आध्यात्मिक यात्रा का द्वार है। डॉ. नीति कौशिक द्वारा सुझाई गई ये प्रथाएं न केवल व्यक्तिगत परिवर्तन को प्रोत्साहित करती हैं, बल्कि हमें अपने भीतर की शक्ति और शांति को पुनर्जनन करने का मार्ग भी दिखाती हैं। इस अवधि में सजगता और भक्ति के साथ इन प्रथाओं को अपनाकर हम अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।