November 1, 2025
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Maa Samaleswari Dhabalamukhi Besa | महालया में देखें संबलपुर के मां समलेश्वरी की धबलमुखी वेष

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Maa Samaleswari Dhabalamukhi Besa | महालया में देखें संबलपुर के मां समलेश्वरी की धबलमुखी वेष: दोस्तो नमस्कार, आज हम आप लोगों को इसी पोस्ट के माध्यम से महालया में देखें संबलपुर के मां समलेश्वरी की धबलमुखी वेश के बारे में बात करेंगे। तो दोस्तों आइए इसके बारे में जानते हैं:

माँ समलेश्वरी का धवलमुखी वेश:

सदैव सिंदूर वर्ण में विराजमान संबलपुर की अधिष्ठात्री देवी माँ समलेश्वरी विशेष अवसर पर, आगामी महालय में भक्तों को पावन (शुभ्र श्वेत रूप) धवलमुखी वेष में दर्शन देते हैं। भक्तों का विश्वास है कि धवलमुखी माँ समलेई के दर्शन करना गंगा में पवित्र स्नान करने के समान है।इस पवित्र वेष को “गंगादर्शन” कहा जाता है।

भक्तों की आस्था में माँ समलाई:

महानदी तट पर स्थित शिमुली वृक्ष के नीचे माँ समलाई का आसन था। इसी कारण उनका नाम समलाई पड़ा। बाद में इन्हीं के नाम पर माँ समलेश्वरी का नाम प्रचलित हुआ। उनके नाम से ही संबलपुर नगर की पहचान बनी। माँ की पूजा केवल पश्चिम ओडिशा की आस्था और संस्कृति का प्रतीक ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे विशाल भूभाग के लोग भी माँ समलेश्वरी की पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि माँ के पावन धवलमुखी वेष के दर्शन से भक्तों को शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

षोडश पूजा का महत्व:

पुजारी के अनुसार मूलाष्टमी तिथि को माँ समलेश्वरी के पीठ पर विशेष षोडश पूजा होती है। इस अवसर पर माँ को १६ ज्योति रूपों में पूजा जाता है। दुर्गा, नारायणी, ईशानी, विष्णुमाया, शिवा, सती, नित्या, सत्य, भगवती, सर्वाणी, सर्वमंगला, अंबिका, वैष्णवी, गौरी, पार्वती, सनातनी रूप में माँ समलेश्वरी की पूजा-अर्चना की जाती है। धवलमुखी वेष के बाद नवरात्रि पूजा आरंभ होती है। नवरात्रि पर माँ विभिन्न अवतार धारण करती हैं। जैसे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और राजराजेश्वरी।

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