October 28, 2025
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Matrahin Pitrahin Gunhin Dhanhin | मातृहीन पितृहीन गुणहीन धनहीन

Matrihin Pitrahin Gunhin Dhanhin

Credit the Video : Bhakti YouTube Channel

Matrahin Pitrahin Gunhin Dhanhin | मातृहीन पितृहीन गुणहीन धनहीन: दोस्तो नमस्कार, आज हम आप लोगों को इसी पोस्ट के माध्यम से मातृहीन पितृहीन गुणहीन धनहीन (Matrahin Pitrahin Gunhin Dhanhin) मंत्र के बारे में बताएंगे। जब माता मैना देवी ने उनके राज पुरोहित से अपने जमाता शिवजी का वर्णन जानना चाहा, तो राजपुरोहित ने बताया कि शिवजी भस्म रमाए, सर्पों की माला पहने, गले में मुंडमाल धारे, और नंगे पांव वन-वन भटकते हैं।

मातृहीन पितृहीन गुणहीन धनहीन

मातृहीन, पितृहीन, गुणहीन, धनहीन, देहहीन, उदासीन विपिन विहारी है।
शीशगंग, भालचंद्र, नेत्रलाल, कंठव्याल, भस्मयुक्त, नग्नतन, जटा जूटधारी है।
भूतेश्वर, नागेश्वर, डमरू त्रिशूलधर, अशुची का घर, बैल उसकी सवारी है।
सत्यम् शिवम् सुंदरम् उसे कहे वेद, कन्या का तुम्हारी वही शिव अधिकारी है।

Matrahin Pitrahin Gunhin Dhanhin

Matrahin Pitrahin Gunhin Dhanhin Dehahin Udasin Vipin Vihari Hai
Shishgang Vhalchandra Netralal Kanthvyal Bhasmayukt Nagnatan Jata Jutadhari Hai
Bhuteshwar Nageshwar Damaru Trishuldhar Ashuchi Ka Ghar Bel Uski Sawari Hai
Satyam Shivam Sundaram Use Kahe Ved Kanya Ka Tumhari Vahi Shiv Adhikari Hai

जब माता मैना देवी ने अपने राज पुरोहित से शिव जी का वर्णन सुना, तो उन्होंने व्याकुल होकर कहा – कैसा यह वर, क्या मेरी बेटी पार्वती का जीवन ऐसा होगा। जो भस्म रमाए, सर्पों की माला पहने, गले में मुंडमाल धारे, नंगे पांव वन-वन भटके। क्या मेरी कन्या पार्वती का ऐसा जीवन होगा। परंतु माता मैना यह नहीं जानती थीं कि वे स्वयं आदिशक्ति की जननी हैं, और उनकी पुत्री महादेव की अर्धांगिनी बनने के लिए ही जन्मी हैं।

यही प्रेम और विश्वास की परीक्षा है – जो बाहर से साधारण और कठोर प्रतीत होता है, वही भीतर से दिव्यता और अनंत प्रेम का स्रोत होता है। भले संसार तुम्हारे मार्ग को न समझे, लेकिन यदि वह मार्ग सत्य और शिवत्व से भरा है, तो वही परम कल्याणकारी है।
यह वर्णन माता मैना देवी के प्रेम और विश्वास की परीक्षा थी, यह सीख लेनी चाहिए, जो उन्हें शिवजी के वास्तविक रूप और उनकी शक्ति को समझने में मदद करेगा।

यह भी देखें: Om Krishnaya Vasudevaya Haraye

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