इटारसी, मध्य प्रदेश: एक ऐसी दुनिया में जहां मतभेद अक्सर लोगों को बांटते हैं, मध्य प्रदेश के इटारसी के 26 वर्षीय युवक आरिफ खान चिश्ती ने एकता की सच्ची मिसाल पेश की है। आरिफ ने हिंदू संत प्रेमानंद महाराज, जो किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, को अपनी किडनी दान करने की पेशकश की है। यह नेक कार्य न केवल संत के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है, बल्कि देश में भाईचारे और एकता का संदेश भी देता है।
एकता का प्रतीक: आरिफ का प्रेरणादायक कदम
नर्मदापुरम जिले के इटारसी की न्यास कॉलोनी में रहने वाले आरिफ खान चिश्ती ने वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के विचारों से प्रभावित होकर यह बड़ा फैसला लिया। 56 वर्षीय प्रेमानंद महाराज, जो राधा वल्लभ संप्रदाय से हैं, पिछले 18 वर्षों से ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से पीड़ित हैं और डायलिसिस पर निर्भर हैं। अपनी बीमारी के बावजूद, वह नियमित रूप से आध्यात्मिक प्रवचन और रात्रिकालीन पदयात्राएं करते हैं, जिनमें वह प्रेम और एकता का संदेश फैलाते हैं।
आरिफ ने एक वीडियो में महाराज को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और अमीर खुसरो के प्रति सम्मान व्यक्त करते देखा। इसने उनके दिल को छू लिया और उन्होंने 20 अगस्त, 2025 को प्रेमानंद महाराज और जिला कलेक्टर सोनिया मीणा को एक पत्र लिखकर अपनी किडनी दान करने की इच्छा जताई। अपने पत्र में आरिफ ने लिखा, “मैं रहूं या न रहूं, लेकिन आपका जीवन इस दुनिया के लिए बहुत कीमती है। मैं स्वेच्छा से अपनी एक किडनी आपको दान करना चाहता हूं।”
कौन हैं आरिफ खान चिश्ती?
12वीं कक्षा तक पढ़ाई करने वाले आरिफ इटारसी में एक ऑनलाइन सलाहकार और कानूनी दस्तावेज निर्माता के रूप में काम करते हैं। हाल ही में विवाहित आरिफ अपने पिता और तीन बड़े भाइयों के साथ रहते हैं। 2023 में अपनी मां के निधन से वह गहरे दुख में थे, लेकिन उनकी पत्नी और नए परिवार ने उन्हें हौसला दिया। अपनी पत्नी से चर्चा के बाद, आरिफ ने यह जीवन बदलने वाला निर्णय लिया। उन्होंने कहा, “प्रेमानंद महाराज हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं। नफरत के इस माहौल में उनके जैसे संतों की जरूरत है।”
प्रेमानंद महाराज: एकता और आध्यात्मिकता का प्रतीक
वृंदावन में आश्रम चलाने वाले प्रेमानंद महाराज अपनी आध्यात्मिक शिक्षाओं और सामुदायिक एकता पर जोर देने के लिए जाने जाते हैं। किडनी की बीमारी के बावजूद, वह अपने भक्तों के बीच प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। उनकी शिक्षाओं ने आरिफ जैसे लोगों को प्रेरित किया है, जो सूफी परंपरा का पालन करते हैं। महाराज की यह क्षमता कि वह धार्मिक सीमाओं को पार कर लोगों को जोड़ते हैं, आरिफ के इस कदम को और भी खास बनाती है।
समाज के लिए संदेश
आरिफ का यह कदम भारत भर में चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर उनके पत्र की प्रति वायरल हो रही है, और लोग इसे धार्मिक सीमाओं से परे इंसानियत की मिसाल मान रहे हैं। यह केवल एक किडनी दान का प्रस्ताव नहीं है, बल्कि एकता और करुणा का प्रतीक है। आरिफ ने कहा, “मैं चाहता हूं कि महाराज जैसे संत अपनी वाणी से राष्ट्रीय एकता का संदेश फैलाते रहें ताकि देश में शांति और सौहार्द का माहौल बने।”
आगे क्या?
किडनी दान की प्रक्रिया जटिल है, जिसमें चिकित्सकीय जांच और कानूनी मंजूरी शामिल है। आरिफ का पत्र, जो नर्मदापुरम जिला कलेक्टर के कार्यालय और ईमेल के माध्यम से भेजा गया है, इस दिशा में पहला कदम है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि दान की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी या नहीं, लेकिन आरिफ का यह कदम पहले ही लोगों के दिलों को छू चुका है। जिला प्रशासन और चिकित्सा अधिकारी अब इस प्रस्ताव का मूल्यांकन करेंगे।
आरिफ खान चिश्ती का प्रेमानंद महाराज को किडनी दान करने का प्रस्ताव केवल एक चिकित्सकीय निर्णय नहीं है, बल्कि यह भारत में एकता की भावना का प्रतीक है। ऐसे समय में जब मतभेद अक्सर सुर्खियां बनते हैं, इस युवक का निस्वार्थ कदम हमें याद दिलाता है कि इंसानियत अभी भी जीवित है। जैसे-जैसे यह कहानी देश भर में फैल रही है, यह हमें एकजुट करने वाली मूल्यों पर विचार करने का अवसर देती है। क्या आरिफ का यह कदम करुणा की व्यापक लहर को प्रेरित करेगा? समय ही बताएगा, लेकिन अभी के लिए, यह कहानी हर जगह लोगों के दिलों को छू रही है।