पितृ दोष निवारण मंत्र और विधि | Pitra Dosh Nivaran Mantra
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का समय पितरों के प्रति सच्ची श्रद्धा प्रकट करने का पखवाड़ा अर्थात श्राद्ध पक्ष माना जाता है। हिंदू धर्म के करीब-करीब सभी घरों में पितरों का पूजन किया जाता है। करीब-करीब सभी हिंदू घरों में पूर्वजों का श्राद्ध कर्म भी सच्ची श्रद्धा से किया जाता है।
पितरों का श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और पितर अपनी संतान को सुख और समृद्ध होने का आशीर्वाद देते हैं। दोस्तों यदि आपकी कुंडली में पितर दोष है तो पौराणिक मान्यता अनुसार पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए एक सिद्ध मंत्र है। जिसे पितृ दोष निवारण मंत्र के नाम से जाना जाता है।
आपको जानना जरूरी है कि, किसी इंसान की मृत्यु के पश्चात संबंधित परिवार वाले विधि विधान से अंतिम संस्कार नहीं करते है,या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो उस व्यक्ति के परिवार के लोगों को कई पीढ़ियों पर पितृ दोष लग जाता है। पितृ दोष के अशुभ प्रभाव से बचाव के लिए उम्र भर उसके परिवार वाले उपाय करने पड़ते हैं।
कुंडली में पितृ दोष लगने से जातक को असंख्य तकलीफों और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मानसिक तनाब बना रहता है। व्यक्ति के जीवन में हमेशा आर्थिक तंगी रहती है। इतना ही नहीं बना हुआ कार्य बिगड़ता है और सफलता उससे बहुत दूर चली जाती है। घर में अशांति रहती है और हमेशा किसी अनहोनी होने का डर लगा रहता है।
यदि आपके जीवन में भी ऐसा कुछ चल रहा हो और हर काम में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, तो हो सकता है कि आपकी कुंडली में भी पितृ दोष लगा है।
पितृ दोष निवारण मंत्र और उपाय
पितृ दोष के प्रभाव को निष्क्रिय करने के लिए आदि देव महादेव का मंत्र (ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात) का जाप करें या फिर महामृत्युंजय मंत्र ( ॐ त्र्यम्बकं स्यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥) का पूरी श्रद्धा के साथ पाठ करें।
आदि शंकर से अपने पितरों की मुक्ति के लिए पूरी निष्ठा के साथ प्रार्थना करें। ऐसा करने से कुंडली में पितृ दोष का प्रभाव जीवन से धीरे-धीरे कम होने लगेगा और जीवन में सुख और समृद्धि आना शुरू हो जाएगी।
दोस्तों यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो आपको प्रतिदिन ऐसे मंदिर में जाना चाहिए जहां पर पीपल का वृक्ष हो। पीपल के वृक्ष को हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की उपमा दी गई है। भगवान विष्णु वैकुण्ठ धाम के स्वामी है। ऐसे मंदिर में जाकर आप पीपल के वृक्ष पर दूध और जल मिलाकर अर्पित करें।
जल चढ़ाते समय ॐ पितृ देवतायै नम: का जाप करें। शाम के वक्त मंदिर में जाकर पीपल के वृक्ष के नीचे सरसो के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं और जीवन से कई सारे दुखों का निवारण होने लगता है।
पूजा के बाद अपने पितरों से आपसे हुई भूल-चूक की क्षमा मांगे और समृद्धि में सहायक होने का आशीर्वाद मांगे। ऐसे में पितृ प्रसन्न होते हैं और कुंडली में पाया जाने वाले पितृ दोष का प्रभाव धीरे-धीरे नष्ट होने लगता है।
पितृ दोष निवारण मंत्र
- ॐ पितृ देवतायै नम:
- ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
ऊपर दिए हुए किसी एक मंत्र का भी आप उपयोग कर सकते है और यह मंत्र आपको 108 बार प्रतिदिन जाप करना है !
पितृ दोष निवारण मंत्र पाठ बिधी
- हर रोज़ ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आधी कर लें।
- घर के मंदिर में धुप अगरबत्ती जलाएं, एक पवित्र लोटा जल भर ले और उसमें गंगा जल और एक पुष्प डाल दें।
- इसके बाद 108 बार गायत्री मंत्र का जाप कर लें।
- अपने पितृ का समरण करते हुए ऊपर लिखे हुए पितृ दोष मंत्र निवारण का जाप १०८ बार करें और अंत में उनका आशीर्वाद सदा आप और आपके परिवार पर बना रहें ऐसी प्रार्थना करें।
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