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Bhubaneswar
December 18, 2024
Bhajan

Ramayan Manka 108 | संक्षिप्त रामायण | रामायण मनका १०८

Credit the Video : GARGIE CREATIONS YouTube Channel

रामायण मनका 108 (Ramayan Manka 108) रामायण के एक अंश हैं। इस्मे भगवान राम के जीवन की प्रमुख घटनाओं को बताया गया है। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई रामायण हमें धर्म के रास्ते पर चलने की सीख देते हैं। रामायण मनका हमें सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन जीने की कला सिखाती है।

रामायण मनका 108 जप (Ramayan Manka 108) रामायण मनका हमें केसे मर्यादा में रहकर संसार में जीबन जीना चाहिए बो सीख देते हैं। (Aur Pahde Atma Rama Ananda Ramana) इस मंत्र का नियमित रूप से जपने से मन को शांति और सुख के साथ समृद्धि भी मिलता है। रामायण मनका 108 (Ramayn Manka Mala) (रामायण मनका माला) मंत्र का पाठ करने से श्री राम की कृपा कृपा प्राप्त होता है और सारे दुखों से मुक्ति मिलती है। (और पढ़े श्री राम बीज मंत्र “राम”) रामायण मनका माला पढ़ने से मन एकाग्र होता है, और सभी कष्टों से मुक्ति का लाभ मिलती है।

रामायण मनका पाठ के कितने फायदे:

  • मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • व्यक्ति का मन एकाग्र होता है।
  • सारे दुखों से मुक्ति मिलती है।
  • पूरी रामायण पढ़ने का लाभ मिलती है।

भगवान राम के प्रमुख नाम:

  • राम है।
  • रामचंद्र है।
  • राघव है।
  • रघुनाथ है।
  • जानकीवल्लभ है।
  • श्रीराम है।
  • सीतापति है।
  • सीताराम है।
  • माधव है।
  • श्रीहरि है।

भगवान राम के प्रमुख नाम और अर्थ:

श्री राम: जो सबका कल्याण करते हैं।
जय राम: जो सबकी कष्टों को दूर करते हैं।
सीताराम: जो सबके जीवन में सुख लाते हैं।
रघुनंदन: जो राजा दशरथ के पुत्र हैं।
रावणारि: जो रावण जैसे दुष्टों का नाश करते हैं।

Ramayan Manka 108 lyrics in Hindi

रामायण मनका १०८

मगंल भवन अमंगल हारी
द्रबहु सु दशरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम !!

हरी अनंत हरी कथा अनंता
कहही सुनही बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम !!

रघुकुल रीत सदा चली आयी
प्राण जाए पर वचन न जायी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम !!

रघुपति राघव राजाराम ।
पतितपावन सीताराम ॥
जय रघुनन्दन जय घनश्याम ।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम !!

भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे ।
दूर करो प्रभु दु:ख हमारे ॥
दशरथ के घर जन्मे राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 1 ॥

विश्वामित्र मुनीश्वर आये ।
दशरथ भूप से वचन सुनाये ॥
संग में भेजे लक्ष्मण राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 2 ॥

वन में जाए ताड़का मारी ।
चरण छुआए अहिल्या तारी ॥
ऋषियों के दु:ख हरते राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 3 ॥

जनक पुरी रघुनन्दन आए ।
नगर निवासी दर्शन पाए ॥
सीता के मन भाए राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 4॥

रघुनन्दन ने धनुष चढ़ाया ।
सब राजो का मान घटाया ॥
सीता ने वर पाए राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 5 ॥

परशुराम क्रोधित हो आये ।
दुष्ट भूप मन में हरषाये ॥
जनक राय ने किया प्रणाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 6 ॥

बोले लखन सुनो मुनि ग्यानी ।
संत नहीं होते अभिमानी ॥
मीठी वाणी बोले राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 7 ॥

लक्ष्मण वचन ध्यान मत दीजो ।
जो कुछ दण्ड दास को दीजो ॥
धनुष तोडय्या हूँ मै राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 8 ॥

लेकर के यह धनुष चढ़ाओ ।
अपनी शक्ति मुझे दिखलाओ ॥
छूवत चाप चढ़ाये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 9 ॥

हुई उर्मिला लखन की नारी ।
श्रुतिकीर्ति रिपुसूदन प्यारी ॥
हुई माण्डव भरत के बाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 10 ॥

अवधपुरी रघुनन्दन आये ।
घर-घर नारी मंगल गाये ॥
बारह वर्ष बिताये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 11 ॥

गुरु वशिष्ठ से आज्ञा लीनी ।
राज तिलक तैयारी कीनी ॥
कल को होंगे राजा राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 12 ॥

कुटिल मंथरा ने बहकाई ।
कैकई ने यह बात सुनाई ॥
दे दो मेरे दो वरदान ।
पतितपावन सीताराम ॥ 13 ॥

मेरी विनती तुम सुन लीजो ।
भरत पुत्र को गद्दी दीजो ॥
होत प्रात वन भेजो राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 14 ॥

धरनी गिरे भूप ततकाला ।
लागा दिल में सूल विशाला ॥
तब सुमन्त बुलवाये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 15 ॥

राम पिता को शीश नवाये ।
मुख से वचन कहा नहीं जाये ॥
कैकई वचन सुनयो राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 16 ॥

राजा के तुम प्राण प्यारे ।
इनके दु:ख हरोगे सारे ॥
अब तुम वन में जाओ राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 17 ॥

वन में चौदह वर्ष बिताओ ।
रघुकुल रीति-नीति अपनाओ ॥
तपसी वेष बनाओ राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 18 ॥

सुनत वचन राघव हरषाये ।
माता जी के मंदिर आये ॥
चरण कमल मे किया प्रणाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 19 ॥

माता जी मैं तो वन जाऊं ।
चौदह वर्ष बाद फिर आऊं ॥
चरण कमल देखूं सुख धाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 20 ॥

सुनी शूल सम जब यह बानी ।
भू पर गिरी कौशल्या रानी ॥
धीरज बंधा रहे श्रीराम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 21 ॥

सीताजी जब यह सुन पाई ।
रंग महल से नीचे आई ॥
कौशल्या को किया प्रणाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 22 ॥

मेरी चूक क्षमा कर दीजो ।
वन जाने की आज्ञा दीजो ॥
सीता को समझाते राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 23 ॥

मेरी सीख सिया सुन लीजो ।
सास ससुर की सेवा कीजो ॥
मुझको भी होगा विश्राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 24 ॥

मेरा दोष बता प्रभु दीजो ।
संग मुझे सेवा में लीजो ॥
अर्द्धांगिनी तुम्हारी राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 25 ॥

समाचार सुनि लक्ष्मण आये ।
धनुष बाण संग परम सुहाये ॥
बोले संग चलूंगा राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 26 ॥

राम लखन मिथिलेश कुमारी ।
वन जाने की करी तैयारी ॥
रथ में बैठ गये सुख धाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 27 ॥

अवधपुरी के सब नर नारी ।
समाचार सुन व्याकुल भारी ॥
मचा अवध में कोहराम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 28 ॥

श्रृंगवेरपुर रघुवर आये ।
रथ को अवधपुरी लौटाये ॥
गंगा तट पर आये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 29 ॥

केवट कहे चरण धुलवाओ ।
पीछे नौका में चढ़ जाओ ॥
पत्थर कर दी, नारी राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 30 ॥

लाया एक कठौता पानी ।
चरण कमल धोये सुख मानी ॥
नाव चढ़ाये लक्ष्मण राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 31 ॥

उतराई में मुदरी दीनी ।
केवट ने यह विनती कीनी ॥
उतराई नहीं लूंगा राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 32 ॥

तुम आये, हम घाट उतारे ।
हम आयेंगे घाट तुम्हारे ॥
तब तुम पार लगायो राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 33 ॥

भरद्वाज आश्रम पर आये ।
राम लखन ने शीष नवाए ॥
एक रात कीन्हा विश्राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 34 ॥

भाई भरत अयोध्या आये ।
कैकई को कटु वचन सुनाये ॥
क्यों तुमने वन भेजे राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 35 ॥

चित्रकूट रघुनंदन आये ।
वन को देख सिया सुख पाये ॥
मिले भरत से भाई राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 36 ॥

अवधपुरी को चलिए भाई ।
यह सब कैकई की कुटिलाई ॥
तनिक दोष नहीं मेरा राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 37 ॥

चरण पादुका तुम ले जाओ ।
पूजा कर दर्शन फल पावो ॥
भरत को कंठ लगाये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 38 ॥

आगे चले राम रघुराया ।
निशाचरों का वंश मिटाया ॥
ऋषियों के हुए पूरन काम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 39 ॥

‘अनसूया’ की कुटीया आये ।
दिव्य वस्त्र सिय मां ने पाय ॥
था मुनि अत्री का वह धाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 40 ॥

मुनि-स्थान आए रघुराई ।
शूर्पनखा की नाक कटाई ॥
खरदूषन को मारे राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 41 ॥

पंचवटी रघुनंदन आए ।
कनक मृग “मारीच“ संग धाये ॥
लक्ष्मण तुम्हें बुलाते राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 42 ॥

रावण साधु वेष में आया ।
भूख ने मुझको बहुत सताया ॥
भिक्षा दो यह धर्म का काम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 43 ॥

भिक्षा लेकर सीता आई ।
हाथ पकड़ रथ में बैठाई ॥
सूनी कुटिया देखी भाई ।
पतितपावन सीताराम ॥ 44 ॥

धरनी गिरे राम रघुराई ।
सीता के बिन व्याकुलताई ॥
हे प्रिय सीते, चीखे राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 45 ॥

लक्ष्मण, सीता छोड़ नहीं तुम आते ।
जनक दुलारी नहीं गंवाते ॥
बने बनाये बिगड़े काम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 46 ॥

कोमल बदन सुहासिनि सीते ।
तुम बिन व्यर्थ रहेंगे जीते ॥
लगे चाँदनी-जैसे घाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 47 ॥

सुन री मैना, सुन रे तोता ।
मैं भी पंखो वाला होता ॥
वन वन लेता ढूंढ तमाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 48 ॥

श्यामा हिरनी, तू ही बता दे ।
जनक नन्दनी मुझे मिला दे ॥
तेरे जैसी आँखे श्याम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 49 ॥

वन वन ढूंढ रहे रघुराई ।
जनक दुलारी कहीं न पाई ॥
गृद्धराज ने किया प्रणाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 50 ॥

चख चख कर फल शबरी लाई ।
प्रेम सहित खाये रघुराई ॥
ऎसे मीठे नहीं हैं आम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 51 ॥

विप्र रुप धरि हनुमत आए ।
चरण कमल में शीश नवाये ॥
कन्धे पर बैठाये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 52 ॥

सुग्रीव से करी मिताई ।
अपनी सारी कथा सुनाई ॥
बाली पहुंचाया निज धाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 53 ॥

सिंहासन सुग्रीव बिठाया ।
मन में वह अति हर्षाया ॥
वर्षा ऋतु आई हे राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 54 ॥

हे भाई लक्ष्मण तुम जाओ ।
वानरपति को यूं समझाओ ॥
सीता बिन व्याकुल हैं राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 55 ॥

देश देश वानर भिजवाए ।
सागर के सब तट पर आए ॥
सहते भूख प्यास और घाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 56 ॥

सम्पाती ने पता बताया ।
सीता को रावण ले आया ॥
सागर कूद गए हनुमान ।
पतितपावन सीताराम ॥ 57 ॥

कोने कोने पता लगाया ।
भगत विभीषण का घर पाया ॥
हनुमान को किया प्रणाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 58 ॥

अशोक वाटिका हनुमत आए ।
वृक्ष तले सीता को पाये ॥
आँसू बरसे आठो याम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 59 ॥

रावण संग निशिचरी लाके ।
सीता को बोला समझा के ॥
मेरी ओर तुम देखो बाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 60 ॥

मन्दोदरी बना दूँ दासी ।
सब सेवा में लंका वासी ॥
करो भवन में चलकर विश्राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 61 ॥

चाहे मस्तक कटे हमारा ।
मैं नहीं देखूं बदन तुम्हारा ॥
मेरे तन मन धन है राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 62 ॥

ऊपर से मुद्रिका गिराई ।
सीता जी ने कंठ लगाई ॥
हनुमान ने किया प्रणाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 63 ॥

मुझको भेजा है रघुराया ।
सागर लांघ यहां मैं आया ॥
मैं हूं राम दास हनुमान ।
पतितपावन सीताराम ॥ 64 ॥

भूख लगी फल खाना चाहूँ ।
जो माता की आज्ञा पाऊँ ॥
सब के स्वामी हैं श्री राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 65 ॥

सावधान हो कर फल खाना ।
रखवालों को भूल ना जाना ॥
निशाचरों का है यह धाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 66 ॥

हनुमान ने वृक्ष उखाड़े ।
देख देख माली ललकारे ॥
मार-मार पहुंचाये धाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 67 ॥

अक्षय कुमार को स्वर्ग पहुंचाया ।
इन्द्रजीत को फांसी ले आया ॥
ब्रह्मफांस से बंधे हनुमान ।
पतितपावन सीताराम ॥ 68 ॥

सीता को तुम लौटा दीजो ।
उन से क्षमा याचना कीजो ॥
तीन लोक के स्वामी राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 69 ॥

भगत बिभीषण ने समझाया ।
रावण ने उसको धमकाया ॥
सनमुख देख रहे रघुराई ।
पतितपावन सीताराम ॥ 70 ॥

रूई, तेल घृत वसन मंगाई ।
पूंछ बांध कर आग लगाई ॥
पूंछ घुमाई है हनुमान ॥
पतितपावन सीताराम ॥ 71 ॥

सब लंका में आग लगाई ।
सागर में जा पूंछ बुझाई ॥
ह्रदय कमल में राखे राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 72 ॥

सागर कूद लौट कर आये ।
समाचार रघुवर ने पाये ॥
दिव्य भक्ति का दिया इनाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 73 ॥

वानर रीछ संग में लाए ।
लक्ष्मण सहित सिंधु तट आए ॥
लगे सुखाने सागर राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 74 ॥

सेतू कपि नल नील बनावें ।
राम-राम लिख सिला तिरावें ॥
लंका पहुँचे राजा राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 75 ॥

अंगद चल लंका में आया ।
सभा बीच में पांव जमाया ॥
बाली पुत्र महा बलधाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 76 ॥

रावण पाँव हटाने आया ।
अंगद ने फिर पांव उठाया ॥
क्षमा करें तुझको श्री राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 77 ॥

निशाचरों की सेना आई ।
गरज तरज कर हुई लड़ाई ॥
वानर बोले जय सिया राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 78 ॥

इन्द्रजीत ने शक्ति चलाई ।
धरनी गिरे लखन मुरझाई ॥
चिन्ता करके रोये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 79 ॥

जब मैं अवधपुरी से आया ।
हाय पिता ने प्राण गंवाया ॥
वन में गई चुराई बाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 80 ॥

भाई तुमने भी छिटकाया ।
जीवन में कुछ सुख नहीं पाया ॥
सेना में भारी कोहराम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 81 ॥

जो संजीवनी बूटी को लाए ।
तो भाई जीवित हो जाये ॥
बूटी लायेगा हनुमान ।
पतितपावन सीताराम ॥ 82 ॥

जब बूटी का पता न पाया ।
पर्वत ही लेकर के आया ॥
काल नेम पहुंचाया धाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 83 ॥

भक्त भरत ने बाण चलाया ।
चोट लगी हनुमत लंगड़ाया ॥
मुख से बोले जय सिया राम ।
पतितपावन सीताराम ॥84॥

बोले भरत बहुत पछताकर ।
पर्वत सहित बाण बैठाकर ॥
तुम्हें मिला दूं राजा राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 85 ॥

बूटी लेकर हनुमत आया ।
लखन लाल उठ शीष नवाया ॥
हनुमत कंठ लगाये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 86 ॥

कुंभकरन उठकर तब आया ।
एक बाण से उसे गिराया ॥
इन्द्रजीत पहुँचाया धाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 87 ॥

दुर्गापूजन रावण कीनो ।
नौ दिन तक आहार न लीनो ॥
आसन बैठ किया है ध्यान ।
पतितपावन सीताराम ॥ 88 ॥

रावण का व्रत खंडित कीना ।
परम धाम पहुँचा ही दीना ॥
वानर बोले जय श्री राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 89 ॥

सीता ने हरि दर्शन कीना ।
चिन्ता शोक सभी तज दीना ॥
हँस कर बोले राजा राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 90 ॥

पहले अग्नि परीक्षा पाओ ।
पीछे निकट हमारे आओ ॥
तुम हो पतिव्रता हे बाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 91 ॥

करी परीक्षा कंठ लगाई ।
सब वानर सेना हरषाई ॥
राज्य बिभीषन दीन्हा राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 92 ॥

फिर पुष्पक विमान मंगाया ।
सीता सहित बैठे रघुराया ॥
दण्डकवन में उतरे राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 93 ॥

ऋषिवर सुन दर्शन को आये ।
स्तुति कर मन में हर्षाये ॥
तब गंगा तट आये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 94 ॥

नन्दी ग्राम पवनसुत आये ।
भाई भरत को वचन सुनाए ॥
लंका से आए हैं राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 95 ॥

कहो विप्र तुम कहां से आए ।
ऎसे मीठे वचन सुनाए ॥
मुझे मिला दो भैया राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 96 ॥

अवधपुरी रघुनन्दन आये ।
मंदिर-मंदिर मंगल छाये ॥
माताओं ने किया प्रणाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 97 ॥

भाई भरत को गले लगाया ।
सिंहासन बैठे रघुराया ॥
जग ने कहा, “हैं राजा राम” ।
पतितपावन सीताराम ॥ 98 ॥

सब भूमि विप्रो को दीनी ।
विप्रों ने वापस दे दीनी ॥
हम तो भजन करेंगे राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 99 ॥

धोबी ने धोबन धमकाई ।
रामचन्द्र ने यह सुन पाई ॥
वन में सीता भेजी राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 100 ॥

बाल्मीकि आश्रम में आई ।
लव व कुश हुए दो भाई ॥
धीर वीर ज्ञानी बलवान ।
पतितपावन सीताराम ॥ 101 ॥

अश्वमेघ यज्ञ किन्हा राम ।
सीता बिन सब सूने काम ॥
लव कुश वहां दीयो पहचान ।
पतितपावन सीताराम ॥ 102 ॥

सीता, राम बिना अकुलाई ।
भूमि से यह विनय सुनाई ॥
मुझको अब दीजो विश्राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 103 ॥

सीता भूमि में समाई ।
देखकर चिन्ता की रघुराई ॥
बार बार पछताये राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 104 ॥

राम राज्य में सब सुख पावें ।
प्रेम मग्न हो हरि गुन गावें ॥
दुख कलेश का रहा न नाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 105 ॥

ग्यारह हजार वर्ष परयन्ता ।
राज कीन्ह श्री लक्ष्मी कंता ॥
फिर बैकुण्ठ पधारे धाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 106 ॥

अवधपुरी बैकुण्ठ सिधाई ।
नर नारी सबने गति पाई ॥
शरनागत प्रतिपालक राम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 107 ॥

“श्याम सुंदर” ने लीला गाई ।
मेरी विनय सुनो रघुराई ॥
भूलूँ नहीं तुम्हारा नाम ।
पतितपावन सीताराम ॥ 108 ॥

Ramayan Manka 108 lyrics in English

Ramayan 108 Manka

Mangal Bhavan Amangal Haari
Drabahu Su Dasharath Achar Bihari
Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram !!

Hari Ananta Hari Katha Ananta
Kahahi Sunhi Bahuvidhi Sab Santa
Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram !!

Raghukul Reet Sada Chali Aayi
Pran Jaaye Par Vachan Na Jaayi
Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram !!

Raghupati Raghav Raja Ram ।
Patitpawan Sitaram ॥
Jay Raghunandan Jay Ghanshyam ।
Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram !!

Bhid Padi Jab Bhakt Pukare ।
Door Karo Prabhu Du:kh Hamare ॥
Dasharath Ke Ghar Janme Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 1 ॥

Vishvamitr Munishvar Aye ।
Dasharath Bhoop Se Vachan Sunaye ॥
Sang Mein Bheje Lakshman Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 2 ॥

Van Mein Jae Tadka Mari ।
Charan Chhuae Ahilya Tari ॥
Rshiyon Ke Du:kh Harate Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 3 ॥

Janak Puri Raghunandan Ae ।
Nagar Nivasi Darshan Pae ॥
Sita Ke Man Bhae Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 4 ॥

Raghunandan Ne Dhanush Chadhaya ।
Sab Rajo Ka Man Ghataya ॥
Sita Ne Var Pae Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 5 ॥

Parashuram Krodhit Ho Aye ।
Dusht Bhoop Man Mein Harashaye ॥
Janak Ray Ne Kiya Pranam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 6 ॥

Bole Lakhan Suno Muni Gyani ।
Sant Nahin Hote Abhimani ॥
Mithi Vani Bole Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 7 ॥

Lakshman Vachan Dhyan Mat Dijo ।
Jo Kuchh Dand Das Ko Dijo ॥
Dhanush Todayya Hoon Mai Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 8 ॥

Lekar Ke Yah Dhanush Chadhao ।
Apani Shakti Mujhe Dikhalao ॥
Chhoovat Chap Chadhaye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 9 ॥

Hui Urmila Lakhan Ki Nari ।
Shrutikirti Ripusoodan Pyari ॥
Hui Mandav Bharat Ke Bam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 10 ॥

Avadhapuri Raghunandan Aye ।
Ghar-ghar Nari Mangal Gaye ॥
Barah Varsh Bitaye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 11 ॥

Guru Vashishth Se Agya Lini ।
Raj Tilak Taiyari Kini ॥
Kal Ko Honge Raja Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 12 ॥

Kutil Manthara Ne Bahakai ।
Kaiki Ne Yah Bat Sunai ॥
De Do Mere Do Varadan ।
Patitapavan Sitaram ॥ 13 ॥

Meri Vinati Tum Sun Lijo ।
Bharat Putr Ko Gaddi Dijo ॥
Hot Prat Van Bhejo Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 14 ॥

Dharani Gire Bhoop Tatakala ।
Laga Dil Mein Sool Vishala ॥
Tab Sumant Bulavaye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 15 ॥

Ram Pita Ko Shish Navaye ।
Mukh Se Vachan Kaha Nahin Jaye ॥
Kaiki Vachan Sunayo Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 16 ॥

Raja Ke Tum Pran Pyare ।
Inake Du:kh Haroge Sare ॥
Ab Tum Van Mein Jao Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 17 ॥

Van Mein Chaudah Varsh Bitao ।
Raghukul Riti-niti Apanao ॥
Tapasi Vesh Banao Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 18 ॥

Sunat Vachan Raghav Harashaye ।
Mata Ji Ke Mandir Aye ॥
Charan Kamal Me Kiya Pranam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 19 ॥

Mata Ji Main to Van Jaoon ।
Chaudah Varsh Bad Phir Aoon ॥
Charan Kamal Dekhoon Sukh Dham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 20 ॥

Suni Shool Sam Jab Yah Bani ।
Bhoo Par Giri Kaushalya Rani ॥
Dhiraj Bandha Rahe Shriram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 21 ॥

Sitaji Jab Yah Sun Pai ।
Rang Mahal Se Niche Ai ॥
Kaushalya Ko Kiya Pranam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 22 ॥

Meri Chook Kshama Kar Dijo ।
Van Jane Ki Agya Dijo ॥
Sita Ko Samajhate Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 23 ॥

Meri Sikh Siya Sun Lijo ।
Sas Sasur Ki Seva Kijo ॥
Mujhako Bhi Hoga Vishram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 24 ॥

Mera Dosh Bata Prabhu Dijo ।
Sang Mujhe Seva Mein Lijo ॥
Arddhangini Tumhari Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 25 ॥

Samachar Suni Lakshman Aye ।
Dhanush Ban Sang Param Suhaye ॥
Bole Sang Chaloonga Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥26 ॥

Ram Lakhan Mithilesh Kumari ।
Van Jane Ki Kari Taiyari ॥
Rath Mein Baith Gaye Sukh Dham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 27 ॥

Avadhapuri Ke Sab Nar Nari ।
Samachar Sun Vyakul Bhari ॥
Macha Avadh Mein Koharam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 28 ॥

Shrrngaverapur Raghuvar Aye ।
Rath Ko Avadhapuri Lautaye ॥
Ganga Tat Par Aye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 29 ॥

Kevat Kahe Charan Dhulavao ।
Pichhe Nauka Mein Chadh Jao ॥
Patthar Kar Di, Nari Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 30 ॥

Laya Ek Kathauta Pani ।
Charan Kamal Dhoye Sukh Mani ॥
Nav Chadhaye Lakshman Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 31 ॥

Utarai Mein Mudari Dini ।
Kevat Ne Yah Vinati Kini ॥
Utarai Nahin Loonga Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 32 ॥

Tum Aye, Ham Ghat Utare ।
Ham Ayenge Ghat Tumhare ॥
Tab Tum Par Lagayo Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 33 ॥

Bharadvaj Ashram Par Aye ।
Ram Lakhan Ne Shish Navae ॥
Ek Rat Kinha Vishram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 34 ॥

Bhai Bharat Ayodhya Aye ।
Kaiki Ko Katu Vachan Sunaye ॥
Kyon Tumane Van Bheje Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 35 ॥

Chitrakoot Raghunandan Aye ।
Van Ko Dekh Siya Sukh Paye ॥
Mile Bharat Se Bhai Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 36 ॥

Avadhapuri Ko Chalie Bhai ।
Yah Sab Kaiki Ki Kutilai ॥
Tanik Dosh Nahin Mera Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 37 ॥

Charan Paduka Tum Le Jao ।
Pooja Kar Darshan Phal Pavo ॥
Bharat Ko Kanth Lagaye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 38 ॥

Age Chale Ram Raghuraya ।
Nishacharon Ka Vansh Mitaya ॥
Rshiyon Ke Hue Pooran Kam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 39 ॥

‘Anasooya’ Ki Kutiya Aye ।
Divy Vastr Siy Man Ne Pay ॥
Tha Muni Atri Ka Vah Dham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 40 ॥

Muni-sthan Ae Raghurai ।
Shoorpanakha Ki Nak Katai ॥
Kharadooshan Ko Mare Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 41 ॥

Panchavati Raghunandan Ae ।
Kanak Mrg “marich“ Sang Dhaye ॥
Lakshman Tumhen Bulate Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 42 ॥

Ravan Sadhu Vesh Mein Aya ।
Bhookh Ne Mujhako Bahut Sataya ॥
Bhiksha Do Yah Dharm Ka Kam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 43 ॥

Bhiksha Lekar Sita Ai ।
Hath Pakad Rath Mein Baithai ॥
Sooni Kutiya Dekhi Bhai ।
Patitapavan Sitaram ॥ 44 ॥

Dharani Gire Ram Raghurai ।
Sita Ke Bin Vyakulatai ॥
He Priy Site, Chikhe Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 45 ॥

Lakshman, Sita Chhod Nahin Tum Ate ।
Janak Dulari Nahin Ganvate ॥
Bane Banaye Bigade Kam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 46 ॥

Komal Badan Suhasini Site ।
Tum Bin Vyarth Rahenge Jite ॥
Lage Chandani-jaise Gham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 47 ॥

Sun Ri Maina, Sun Re Tota ।
Main Bhi Pankho Vala Hota ॥
Van Van Leta Dhoondh Tamam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 48 ॥

Shyama Hirani, Too Hi Bata De ।
Janak Nandani Mujhe Mila De ॥
Tere Jaisi Ankhe Shyam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 49 ॥

Van Van Dhoondh Rahe Raghurai ।
Janak Dulari Kahin Na Pai ॥
Grddharaj Ne Kiya Pranam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 50 ॥

Chakh Chakh Kar Phal Shabari Lai ।
Prem Sahit Khaye Raghurai ॥
Aise Mithe Nahin Hain Am ।
Patitapavan Sitaram ॥ 51 ॥

Vipr Rup Dhari Hanumat Ae ।
Charan Kamal Mein Shish Navaye ॥
Kandhe Par Baithaye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 52 ॥

Sugriv Se Kari Mitai ।
Apani Sari Katha Sunai ॥
Bali Pahunchaya Nij Dham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 53 ॥

Sinhasan Sugriv Bithaya ।
Man Mein Vah Ati Harshaya ॥
Varsha Rtu Ai He Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 54 ॥

He Bhai Lakshman Tum Jao ।
Vanarapati Ko Yoon Samajhao ॥
Sita Bin Vyakul Hain Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 55 ॥

Desh Desh Vanar Bhijavae ।
Sagar Ke Sab Tat Par Ae ॥
Sahate Bhookh Pyas Aur Gham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 56 ॥

Sampati Ne Pata Bataya ।
Sita Ko Ravan Le Aya ॥
Sagar Kood Gae Hanuman ।
Patitapavan Sitaram ॥ 57 ॥

Kone Kone Pata Lagaya ।
Bhagat Vibhishan Ka Ghar Paya ॥
Hanuman Ko Kiya Pranam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 58 ॥

Ashok Vatika Hanumat Ae ।
Vrksh Tale Sita Ko Paye ॥
Ansoo Barase Atho Yam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 59 ॥

Ravan Sang Nishichari Lake ।
Sita Ko Bola Samajha Ke ॥
Meri or Tum Dekho Bam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 60 ॥

Mandodari Bana Doon Dasi ।
Sab Seva Mein Lanka Vasi ॥
Karo Bhavan Mein Chalakar Vishram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 61 ॥

Chahe Mastak Kate Hamara ।
Main Nahin Dekhoon Badan Tumhara ॥
Mere Tan Man Dhan Hai Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 62 ॥

Oopar Se Mudrika Girai ।
Sita Ji Ne Kanth Lagai ॥
Hanuman Ne Kiya Pranam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 63 ॥

Mujhako Bheja Hai Raghuraya ।
Sagar Langh Yahan Main Aya ॥
Main Hoon Ram Das Hanuman ।
Patitapavan Sitaram ॥ 64 ॥

Bhookh Lagi Phal Khana Chahoon ।
Jo Mata Ki Agya Paoon ॥
Sab Ke Svami Hain Shri Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 65 ॥

Savadhan Ho Kar Phal Khana ।
Rakhavalon Ko Bhool Na Jana ॥
Nishacharon Ka Hai Yah Dham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 66 ॥

Hanuman Ne Vrksh Ukhade ।
Dekh Dekh Mali Lalakare ॥
Mar-mar Pahunchaye Dham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 67 ॥

Akshay Kumar Ko Svarg Pahunchaya ।
Indrajit Ko Phansi Le Aya ॥
Brahmaphans Se Bandhe Hanuman ।
Patitapavan Sitaram ॥ 68 ॥

Sita Ko Tum Lauta Dijo ।
Un Se Kshama Yachana Kijo ॥
Tin Lok Ke Svami Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 69 ॥

Bhagat Bibhishan Ne Samajhaya ।
Ravan Ne Usako Dhamakaya ॥
Sanamukh Dekh Rahe Raghurai ।
Patitapavan Sitaram ॥ 70 ॥

Rooi, Tel Ghrt Vasan Mangai ।
Poonchh Bandh Kar Ag Lagai ॥
Poonchh Ghumai Hai Hanuman ।
Patitapavan Sitaram ॥ 71 ॥

Sab Lanka Mein Ag Lagai ।
Sagar Mein Ja Poonchh Bujhai ॥
Hraday Kamal Mein Rakhe Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 72 ॥

Sagar Kood Laut Kar Aye ।
Samachar Raghuvar Ne Paye ॥
Divy Bhakti Ka Diya Inam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 73 ॥

Vanar Richh Sang Mein Lae ।
Lakshman Sahit Sindhu Tat Ae ॥
Lage Sukhane Sagar Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 74 ॥

Setoo Kapi Nal Nil Banaven ।
Ram-ram Likh Sila Tiraven ॥
Lanka Pahunche Raja Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 75 ॥

Angad Chal Lanka Mein Aya ।
Sabha Bich Mein Panv Jamaya ॥
Bali Putr Maha Baladham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 76 ॥

Ravan Panv Hatane Aya ।
Angad Ne Phir Panv Uthaya ॥
Kshama Karen Tujhako Shri Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 77 ॥

Nishacharon Ki Sena Ai ।
Garaj Taraj Kar Hui Ladai ॥
Vanar Bole Jay Siya Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 78 ॥

Indrajit Ne Shakti Chalai ।
Dharani Gire Lakhan Murajhai ॥
Chinta Karake Roye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 79 ॥

Jab Main Avadhapuri Se Aya ।
Hay Pita Ne Pran Ganvaya ॥
Van Mein Gai Churai Bam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 80 ॥

Bhai Tumane Bhi Chhitakaya ।
Jivan Mein Kuchh Sukh Nahin Paya ॥
Sena Mein Bhari Koharam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 81 ॥

Jo Sanjivani Booti Ko Lae ।
To Bhai Jivit Ho Jaye ॥
Booti Layega Hanuman ।
Patitapavan Sitaram ॥ 82 ॥

Jab Booti Ka Pata Na Paya ।
Parvat Hi Lekar Ke Aya ॥
Kal Nem Pahunchaya Dham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 83 ॥

Bhakt Bharat Ne Ban Chalaya ।
Chot Lagi Hanumat Langadaya ॥
Mukh Se Bole Jay Siya Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 84 ॥

Bole Bharat Bahut Pachhatakar ।
Parvat Sahit Ban Baithakar ॥
Tumhen Mila Doon Raja Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥85 ॥

Booti Lekar Hanumat Aya ।
Lakhan Lal Uth Shish Navaya ॥
Hanumat Kanth Lagaye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 86 ॥

Kumbhakaran Uthakar Tab Aya ।
Ek Ban Se Use Giraya ॥
Indrajit Pahunchaya Dham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 87 ॥

Durgapoojan Ravan Kino ।
Nau Din Tak Ahar Na Lino ॥
Asan Baith Kiya Hai Dhyan ।
Patitapavan Sitaram ॥ 88 ॥

Ravan Ka Vrat Khandit Kina ।
Param Dham Pahuncha Hi Dina ॥
Vanar Bole Jay Shri Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 89 ॥

Sita Ne Hari Darshan Kina ।
Chinta Shok Sabhi Taj Dina ॥
Hans Kar Bole Raja Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 90 ॥

Pahale Agni Pariksha Pao ।
Pichhe Nikat Hamare Ao ॥
Tum Ho Pativrata He Bam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 91 ॥

Kari Pariksha Kanth Lagai ।
Sab Vanar Sena Harashai ॥
Rajy Bibhishan Dinha Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 92 ॥

Phir Pushpak Viman Mangaya ।
Sita Sahit Baithe Raghuraya ॥
Dandakavan Mein Utare Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 93 ॥

Rshivar Sun Darshan Ko Aye ।
Stuti Kar Man Mein Harshaye ॥
Tab Ganga Tat Aye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 94 ॥

Nandi Gram Pavanasut Aye ।
Bhai Bharat Ko Vachan Sunae ॥
Lanka Se Ae Hain Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 95 ॥

Kaho Vipr Tum Kahan Se Ae ।
Aise Mithe Vachan Sunae ॥
Mujhe Mila Do Bhaiya Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 96 ॥

Avadhapuri Raghunandan Aye ।
Mandir-mandir Mangal Chhaye ॥
Mataon Ne Kiya Pranam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 97 ॥

Bhai Bharat Ko Gale Lagaya ।
Sinhasan Baithe Raghuraya ॥
Jag Ne Kaha, “hain Raja Ram” ।
Patitapavan Sitaram ॥ 98 ॥

Sab Bhoomi Vipro Ko Dini ।
Vipron Ne Vapas De Dini ॥
Ham to Bhajan Karenge Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 99 ॥

Dhobi Ne Dhoban Dhamakai ।
Ramachandr Ne Yah Sun Pai ॥
Van Mein Sita Bheji Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥100 ॥

Balmiki Ashram Mein Ai ।
Lav Va Kush Hue Do Bhai ॥
Dhir Vir Gyani Balavan ।
Patitapavan Sitaram ॥ 101 ॥

Ashvamegh Yagy Kinha Ram ।
Sita Bin Sab Soone Kam ॥
Lav Kush Vahan Diyo Pahachan ।
Patitapavan Sitaram ॥ 102 ॥

Sita, Ram Bina Akulai ।
Bhoomi Se Yah Vinay Sunai ॥
Mujhako Ab Dijo Vishram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 103 ॥

Sita Bhoomi Mein Samai ।
Dekhakar Chinta Ki Raghurai ॥
Bar Bar Pachhataye Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 104 ॥

Ram Rajy Mein Sab Sukh Paven ।
Prem Magn Ho Hari Gun Gaven ॥
Dukh Kalesh Ka Raha Na Nam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 105 ॥

Gyarah Hajar Varsh Parayanta ।
Raj Kinh Shri Lakshmi Kanta ॥
Phir Baikunth Padhare Dham ।
Patitapavan Sitaram ॥ 106 ॥

Avadhapuri Baikunth Sidhai ।
Nar Nari Sabane Gati Pai ॥
Sharanagat Pratipalak Ram ।
Patitapavan Sitaram ॥ 107 ॥

“Shyam Sundar” Ne Lila Gai ।
Meri Vinay Suno Raghurai ॥
Bhooloon Nahin Tumhara Nam ।
Patitapavan Sitaram ॥ 108 ॥

Credit the Video : भजन कीर्तन सोनोटेक YouTube Channel

Credit the Video : T-Series Bhakti Sagar YouTube Channel

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