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November 21, 2024
Stotram

Sri Radha Kripa Katakshya Stotram | श्री राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र

Credit the Video : Rakesh Kumar Spiritual YouTube Channel

Sri Radha Kripa Katakshya Stotram

Munindra-Vrnda-Vandite Triloka-Soka-Harini
Prasanna-Vaktra-Pankaje Nikunja-Bhu-Vilasini
Vrajendra-Bhanu-Nandini Vrajendra-Sunu-Sangate
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥1॥

Asoka-Vrksa-Vallari-Vitana-Mandapa-Sthite
Pravala-Vala-Pallava Prabha Runanghri-Komale
Varabhaya-Sphurat-Kare Prabhuta-Sampadalaye
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥2॥

Ananga-Ranga-Mangala-Prasanga-Bhangura-Bhruvam
Sa-Vibhramam Sa-Sambhramam Drganta-Bana-Patanaih
Nirantaram Vasi-Krta-Pratiti-Nanda-Nandane
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥3॥

Tadit-Suvarna-Campaka-Pradipta-Gaura-Vigrahe
Mukha-Prabha-Parasta-Koti-Saradendu-Mandale
Vicitra-Citra-Sancarac-Cakora-Sava-Locane
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥4॥

Madonmadati-Yauvane Pramoda-Mana-Mandite
Priyanuraga-Ranjite Kala-Vilasa-Pandite
Ananya-Dhanya-Kunja-Rajya-Kama Keli-Kovide
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥5॥

Asesa-Hava-Bhava-Dhira-Hira-Hara-Bhusite
Prabhuta-Sata-Kumbha-Kumbha-Kumbhi Kumbha-Sustani
Prasasta-Manda-Hasya-Curna-Purna-Saukhya-Sagare
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥6॥

Mrnala-Vala-Vallari Taranga-Ranga-Dor-Late
Latagra-Lasya-Lola-Nila-Locanavalokane
Lalal-Lulan-Milan-Manojna Mugdha-Mohanasrite
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥7॥

Suvarna-Malikancita-Trirekha-Kambu-Kanthage
Tri-Sutra-Mangali-Guna-Tri-Ratna-Dipti-Didhiti
Salola-Nila-Kuntala Prasuna-Guccha-Gumphite
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥8॥

Nitamba-Bimba-Lambamana-Puspa-Mekhala-Gune
Prasasta-Ratna-Kinkini-Kalapa-Madhya Manjule
Karindra-Sunda-Dandika-Varoha-Saubhagoruke
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥9॥

Aneka-Mantra-Nada-Manju-Nupura-Rava-Skhalat
Samaja-Raja-Hamsa-Vamsa-Nikvanati-Gaurave
Vilola-Hema-Vallari-Vidambi-Caru-Cankrame
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥10॥

Ananta-Koti-Visnu-Loka-Namra-Padmajarcite
Himadrija-Pulomaja-Virincaja-Vara-Prade
Apara-Siddhi-Rddhi-Digdha-Sat-Padanguli-Nakhe
Kada Karisyasiha Mam Krpa-Kataksa-Bhajanam ॥11॥

Makhesvari Kriyesvari Svadhesvari Suresvari
Triveda-Bharatisvari Pramana-Sasanesvari
Ramesvari Ksamesvari Pramoda Kananesvari
Vrajesvari Vrajadhipe Sri Radhike Namo Stu Te ॥12॥

Iti Mam Adbhutam-Stavam Nisamya Bhanu-Nandini
Karotu Santatam Janam Krpa-Kataksa-Bhajanam
Bhavet Tadaiva-Sancita-Tri-Rupa-Karma-Nasanam
Bhavet Tada-Vrajendra-Sunu-Mandala-Pravesanam ॥13॥

Rakayam Ca Sitastamyam Dasamyam Ca Visuddha-Dhih ।
Ekadasyam Trayodasyam Yah Pathet Sadhakah Sudhih ॥14॥

Yam Yam Kamayate Kamam Tam Tamapnoti Sadhakah ।
Radha-Krpa-Kataksena Bhaktih Syat Prema-Laksana ॥15॥

Uru-Daghne Nabhi-Daghne Hrd-Daghne Kanta-Daghnake ।
Radha-Kunda-Jale Sthita Yah Pathet Sadhakah Satam ॥16॥

Tasya Sarvartha-Siddhih Syad Vak-Samarthyam Tatha Labhet ।
Aisvaryam Ca Labhet Saksad Drsa Pasyati Radhikam ॥17॥

Tena Sa Tat-Ksanad Eva Tusta Datte Mahavaram ।
Yena Pasyati Netrabhyam Tat-Priyam Syamasundaram ॥18॥

Nitya-Lila-Pravesam Ca Dadati Sri-Vrajadhipah ।
Atah Parataram Prarthyam Vaisnavasya Na Vidyate ॥19॥

॥ Iti Srimad-Urdhvamnaye Sri-Radhikayah Krpa-Kataksa-Stotram Sampurnam ॥

श्री राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र

अथ श्री राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत प्रारंभ
कृष्णस्य द्रविणं राधा, राधायाः द्रविणं हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम॥
कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम॥

मुनीन्द्रवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी,
प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी ।
व्रजेन्द्रभानुनन्दिनी व्रजेन्द्र सूनुसंगते,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥१॥

अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते,
प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले ।
वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥२॥

अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां,
सुविभ्रम ससम्भ्रम दृगन्तबाणपातनैः ।
निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥३॥

तड़ित्सुवणचम्पक प्रदीप्तगौरविगहे,
मुखप्रभापरास्त-कोटिशारदेन्दुमण्ङले ।
विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशावलोचने,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥४॥

मदोन्मदातियौवने प्रमोद मानमणि्ते,
प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते ।
अनन्यधन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥५॥

अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते,
प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी ।
प्रशस्तमंदहास्यचूणपूणसौख्यसागरे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥६॥

मृणालबालवल्लरी तरंगरंगदोलते,
लतागलास्यलोलनील लोचनावलोकने ।
ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रये,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥७॥

सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेखकम्बुकण्ठगे,
त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्तिदीधिअति ।
सलोलनीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥८॥

नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण,
प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले ।
करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥९॥

अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्,
समाजराजहंसवंश निक्वणातिग ।
विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारूचं कमे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥१०॥

अनन्तकोटिविष्णुलोक नमपदमजाचिते,
हिमादिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे ।
अपारसिदिवृदिदिग्ध -सत्पदांगुलीनखे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥११॥

मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी,
त्रिवेदभारतीयश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी ।
रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी,
ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते ॥१२॥

इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी,
करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम् ।
भवेत्तादैव संचित-त्रिरूपकमनाशनं,
लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डलप्रवेशनम् ॥१३॥

राकायां च सिताष्टम्यां दशम्यां च विशुद्धधीः ।
एकादश्यां त्रयोदश्यां यः पठेत्साधकः सुधीः ॥१४॥

यं यं कामयते कामं तं तमाप्नोति साधकः ।
राधाकृपाकटाक्षेण भक्तिःस्यात् प्रेमलक्षणा ॥१५॥

ऊरुदघ्ने नाभिदघ्ने हृद्दघ्ने कण्ठदघ्नके ।
राधाकुण्डजले स्थिता यः पठेत् साधकः शतम् ॥१६॥

तस्य सर्वार्थ सिद्धिः स्याद् वाक्सामर्थ्यं तथा लभेत् ।
ऐश्वर्यं च लभेत् साक्षाद्दृशा पश्यति राधिकाम् ॥१७॥

तेन स तत्क्षणादेव तुष्टा दत्ते महावरम् ।
येन पश्यति नेत्राभ्यां तत् प्रियं श्यामसुन्दरम् ॥१८॥

नित्यलीला–प्रवेशं च ददाति श्री-व्रजाधिपः ।
अतः परतरं प्रार्थ्यं वैष्णवस्य न विद्यते ॥१९॥

॥ इति श्रीमदूर्ध्वाम्नाये श्रीराधिकायाः कृपाकटाक्षस्तोत्रं सम्पूर्णम ॥

Credit the Video : Devi Chitralekhaji YouTube Channel

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