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Ya Kundendu Tushar Har Dhavala Lyrics in Hindi
Ya Kundendu Tushar Har Dhavala | या कुन्देन्दु तुषारहारधवला | सरस्वती बंदना: माता सरस्वती ज्ञान, बुद्धि, संगीत और कला की देवी हैं । ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में जब ब्रह्मा ध्यान कर रहे थे तब उनमें सत्यगुण का विकास हुआ और उनसे एक पुत्री का जन्म हुआ। उनका रूप दूध के समान श्वेत था। उस गोरी कन्या को देखकर ब्रह्मा ने उसका परिचय पूछा, कन्या ने कहा, चूँकि मैं तुमसे उत्पन्न हुई हूँ, मेरा नाम लो और मेरी पहचान निर्धारित करो। यह सुनकर ब्रह्मा ने कहा, तुम्हारा नाम नवरसवती हो। आप सबके जिह्वा के अग्रभाग पर ‘बक’ के रूप में स्थित होंगे। इसलिए आप ‘बागदेवी’ के रूप में धन्य होंगी। विशेष रूप से विद्वान आदर और भक्ति के साथ आपकी पूजा करेंगे।बकदेवी या सरस्वती के माध्यम से, ब्रह्मा ने ब्रह्मांड में सभी जीवित और अचल चीजों का निर्माण किया।
सरस्वती माता का नाम: 1-सरस्वती 2-हंस भगानी 3-शारदा 4-भारती 5- जगती 6-बरदैनी 7-बुधदात्री 8-ब्रह्मचरन 9-भुवनेश्वरी 10-चंद्रकांति 11- बागीश्वरी 12-कुमुदी
Ya Kundendu Tushar Har Dhavala
Ya Kundendu Tusharahara Dhavala Ya Shubhra Vastravrita
Ya Veena Varadanda Manditakara Ya Shveta Padmasana
Ya Brahmachyuta Shankara Prabhritibhir Devaih Sada Bandita
Sa Mam Pattu Saraswati Bhagavati Nihshesha Jadyapaha॥1॥
Shuklam Brahmavichara Sara, Parmamadyam Jagadvyapineem
Veena Pustaka Dharineem Abhayadam Jadyandhakarapaham।
Haste Sphatikamalikam Vidadhateem Padmasane Samsthitam
Vande Tam Parmeshvareem Bhagwateem Buddhipradam Sharadam॥2॥
या कुन्देन्दु तुषारहारधवला
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा ॥१॥
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्
हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥२॥
ସରସ୍ଵତୀ ବନ୍ଦନା
ୟା କୁନ୍ଦେନ୍ଦୁ ତୁସାରହାର ଧବଳା ୟା ଶୁଭ୍ର ବସ୍ତ୍ରାବୃତା ॥
ୟା ବୀଣା ବରଦଣ୍ଡ ମଣ୍ଡିତ କରା ୟା ଶ୍ବେତ ପଦ୍ମାସନା ॥
ୟା ବ୍ରହ୍ମା ଚ୍ୟୁତ ଶଙ୍କର ପ୍ରଭୃତିଭି୍ର୍ବେବୈଃ ସଦା ବନ୍ଦିତା ॥
ସା ମାଂ ପାତୁ ସରସ୍ଵତୀ ଭଗବତୀ ନିଃଶେଷକାବ୍ୟା ପହା ॥ । ୧ ।
ଶୁକ୍ଳାଂ ବ୍ରହ୍ମ ବିଚାର ସାର ପରମା ଆଦ୍ୟାଂ ଜଗତ୍ ବ୍ୟାପୀନିଂ ॥
ବୀଣା ପୁସ୍ତକ ଧାରିଣୀମ୍ ଅଭୟଦାଂ ଜାଡ୍ୟାଙନ୍ଧକାରା ପହାଃ ॥
ହସ୍ତେ ସ୍ଫଟିକ ମାଳୀକାଂ ବିଦଧତୀ ପଦ୍ମାସନେ ସଂସ୍ଥିତାଂ ॥
ବନ୍ଦେତ୍ୱାଂ ପରମେଶ୍ୱରୀ ଭଗବତିଂ ବୁଦ୍ଧି ପ୍ରଦାଂ ସରାଦାଂ ॥ । ୨ ।
Ya Kundendu Tushar Har Dhavala Lyrics in Bengali
যা কুন্দেনু তুষার হার ধবলা যা শুভ্রবস্ত্রাবৃতা
যা বীণা বরদণ্ডমণ্ডিত করা যা শ্বেত পদ্মাসনা।
যা ব্রহ্মাচ্যুতশংকর প্রভৃতির্দেবৈঃ সদাবন্দিতা
সা মাং পাতুসরস্বতী ভগবতী নিঃশেষ জাড্যাপহাম্॥১॥
শুক্লাং ব্রহ্ম বিচার সার পরমাদ্যাং জগদ্ব্যাপিনীম্
বীণা পুষ্পক ধারিণীমভয়দাম্ জাড্যান্ধকারাপহাম।
হস্তে স্ফটিক মালিকাম্ বিদধতীম্ পদ্মাসনে সংস্থিতাম্
বন্দে ত্বাং পরমেশ্বরীম্ ভগবতীম্ বুদ্ধিপ্রদাম্ সারদাম্॥২॥
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Meaning:
She, who is as fair as the Kunda flower,
white as the moon, and a garland of Tushar flowers;
and who is covered in white clothes,
She whose hands are adorned by the excellent veena,
and whose seat is the pure white lotus;
She, who is praised by Brahma, Vishnu, and Mahesh;
and prayed to by the Devas O Mother Goddess,
remove my mental dullness
Name of Mother Saraswati:
1. Saraswati, 2. Hans Bhagani, 3. Sharda, 4. Bharti, 5. Jagati, 6. Bardaini, 7. Budhdatri, 8. Brahmacharana, 9. Bhubaneswari, 10. Chandrakanti, 11. Bagishwari, 12. Kumudi
Mulapath:
Ya Kundendu Tusharaharadhavala Ya Shubhravastravrita,
Ya Vinavaradandamanditakara Ya Shvetapadmasana,
Ya Brahmachyutashankaraprabhritibhir Devaissada Pujita,
Sa Mam Patu Sarasvati Bhagavati Nishsheshajadyapaha.
Dorbhiryukta Chaturbhim Sphatikamaninibhai Akshamalandadhana,
Hastenaikena Padmam Sitamapicha Shukam Pustakam Chaparena,
Bhasa Kundendushankhasphatikamaninibha Bhasamana Asamana,
Sa Me Vagdevateyam Nivasatu Vadane Sarvada Suprasanna
Surasurasevitapadapankaja Kare Virajatkamaniyapustaka,
Virinchipatni Kamalasanasthita Sarasvati Nrityatu Vachi Me Sada
Sarasvati Sarasijakesaraprabha Tapasvini Sitakamalasanapriya,
Ghanastani Kamala Vilolalochana Manaswini Bhavatu Varaprasadini
Saraswathi Namastubhyam Varade Kamarupini,
Vidyarambam Karishyami Siddhir Bhavatu Me Sada
Saraswathi Namastubhyam Sarva Devi Namo Namaha,
Shantarupe Shashidhare Sarvayoge Namo Namaha
Nityanande Niradhare Nishkalayai Namo Namaha,
Vidyadhare Visalakshi Shuddhagnana Namo Namaha
Suddha Sphatika Rupayai Sukshmarupe Namo Namaha,
Shabdabrahmi Chaturhaste Sarvasiddhyai Namo Namaha
Muktalankrita Sarvangyai Muladhare Namo Namaha,
Mulamantra Svarupayai Mulashaktyai Namo Namaha
Mano Manimahayoge Vagishvari Namo Namaha,
Vagbhyai Varadahastayai Varadayai Namo Namaha
Vedayai Vedarupayai Vedantayai Namo Namaha,
Gunadosha Vivarjinyai Gunadiptyai Namo Namaha
Sarvagnane Sadanande Sarvarupe Namo Namaha,
Sampannayai Kumaryai Cha Sarvagne Te Namo Namaha
Yoganarya Umadevyai Yoganande Namo Namaha,
Divyagnana Trinetrayai Divyamurtyai Namo Namaha
Ardha Chandra Jatadhari Chandrabimbe Namo Namaha,
Chandraditya Jatadhari Chandrabimbe Namo Namaha
Anurupe Maharupe Vishvarupe Namo Namaha,
Animadyashta Siddhayai Anandayai Namo Namaha
Gnana Vignana Rupayai Gnanamurte Namo Namaha,
Nanashastra Svarupayai Nanarupe Namo Namaha
Padmada Padmavansha Cha Padmarupe Namo Namaha,
Parameshthyai Paramurtyai Namaste Papanashini
Mahadevyai Mahakalyai Mahalakshmyai Namo Namaha,
Brahmavishnushivayai Cha Brahmanaryai Namo Namaha
Kamalakarapushpa Cha Kamarupe Namo Namaha,
Kapali Karadiptayai Karmadayai Namo Namaha
Sayam Pratah Pathennityam Shanmasatsiddhiruchyate,
Choravyaghrbhayamnasti Pathatam Shrinvatamapi
Ittam Sarasvati Stotram Agastyamuni Vachakam,
Sarvasiddhikaram Nrinam Sarvapapapranashanam
Mulapath:
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा
आशासु राशीभवदंगवल्ली
भासैव दासीकृतदुग्धसिन्धुम्
मन्दस्मितैर्निन्दितशारदेन्दुं
वन्देSरविन्दासनसुन्दरि त्वाम्
शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं क्रियात्
सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना:
पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती
प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्
हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्
वीणाधरे विपुलमंगलदानशीले
भक्तार्तिनाशिनि विरण्चिहरीशवन्द्ये।
कीर्तिप्रदेSखिलमनोरथदे महार्हे
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्
श्वेताब्जपूर्णविमलासनसंस्थिते हे
श्वेताम्बरावृतमनोहरमंजुगात्रे
उद्यन्मनोज्ञसितपंकजमंजुलास्ये
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्
मातस्त्वदीयपदपंकजभक्तियुक्ता
ये त्वां भजन्ति निखिलानपरान्विहाय।
ते निर्जरत्वमिह यान्ति कलेवरेण्
भूवह्निवायुगगनाम्बुविनिर्मितेन
मोहान्धकारभरिते हृदये मदीये
मात: सदैव कुरु वासमुदारभावे
स्वीयाखिलावयवनिर्मलसुप्रलाभि:
शीघ्रं विनाशय मनोगतमन्धकारम्
ब्रह्मा जगत् सृजति पालयतीन्दिरेश:
शम्भुर्विनाशयति देवि तव प्रभावै:।
न स्यात्कृपा यदि तव प्रकटप्रभावे
न स्यु: कथंचिदपि ते निजकार्यदक्षा:
लक्ष्मीर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तुष्टि: प्रभा धृति:
एताभि: पाहि तनुभिरष्टाभिर्मां सरस्वति
सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:
वेदवेदान्तवेदांगविद्यास्थानेभ्य एव च
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोSस्तु ते
यदक्षरं पदं भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि
ଶ୍ରୀଗଣେଶାୟ ନମଃ
ୟା କୁନ୍ଦେନ୍ଦୁ ତୁସାରହାର ଧବଳା ୟା ଶୁଭ୍ର ବସ୍ତ୍ରାବୃତା
ୟା ବୀଣା ବରଦଣ୍ଡ ମଣ୍ଡିତ କରା ୟା ଶ୍ବେତ ପଦ୍ମାସନା ।
ୟା ବ୍ରହ୍ମା ଚ୍ୟୁତ ଶଙ୍କର ପ୍ରଭୃତିଭି୍ର୍ବେବୈଃ ସଦା ବନ୍ଦିତା
ସା ମାଂ ପାତୁ ସରସ୍ଵତୀ ଭଗବତୀ ନିଃଶେଷକାବ୍ୟା ପହା ॥ ୧॥
ଦୋର୍ଭିର୍ୟୁକ୍ତା ଚତୁର୍ଭିଃ ସ୍ଫଟିକମଣିନିଭୈରକ୍ଷମାଲାନ୍ଦଧାନା
ହସ୍ତେନୈକେନ ପଦ୍ମଂ ସିତମପିଚ ଶୁକଂ ପୁସ୍ତକଂ ଚାପରେଣ ।
ଭାସା କୁନ୍ଦେନ୍ଦୁଶଙ୍ଖସ୍ଫଟିକମଣିନିଭା ଭାସମାନାଽସମାନା
ସା ମେ ବାଗ୍ଦେବତେୟଂ ନିବସତୁ ବଦନେ ସର୍ୱଦା ସୁପ୍ରସନ୍ନା ॥ ୨॥
ସୁରାସୁରାସେବିତପାଦପଙ୍କଜା କରେ ବିରାଜତ୍କମନୀୟପୁସ୍ତକା ।
ବିରିଞ୍ଚିପତ୍ନୀ କମଲାସନସ୍ଥିତା ସରସ୍ୱତୀ ନୃତ୍ୟତୁ ବାଚି ମେ ସଦା ॥ ୩॥
ସରସ୍ୱତୀ ସରସିଜକେସରପ୍ରଭା ତପସ୍ୱିନୀ ସିତକମଲାସନପ୍ରିୟା ।
ଘନସ୍ତନୀ କମଲବିଲୋଲଲୋଚନା ମନସ୍ୱିନୀ ଭବତୁ ବରପ୍ରସାଦିନୀ ॥ ୪॥
ସରସ୍ୱତି ନମସ୍ତୁଭ୍ୟଂ ବରଦେ କାମରୂପିଣି ।
ବିଦ୍ୟାରମ୍ଭଂ କରିଷ୍ୟାମି ସିଦ୍ଧିର୍ଭବତୁ ମେ ସଦା ॥ ୫॥
ସରସ୍ୱତି ନମସ୍ତୁଭ୍ୟଂ ସର୍ୱଦେବି ନମୋ ନମଃ ।
ଶାନ୍ତରୂପେ ଶଶିଧରେ ସର୍ୱୟୋଗେ ନମୋ ନମଃ ॥ ୬॥
ନିତ୍ୟାନନ୍ଦେ ନିରାଧାରେ ନିଷ୍କଲାୟୈ ନମୋ ନମଃ ।
ବିଦ୍ୟାଧରେ ବିଶାଲାକ୍ଷି ଶୁଦ୍ଧଜ୍ଞାନେ ନମୋ ନମଃ ॥ ୭॥
ଶୁଦ୍ଧସ୍ଫଟିକରୂପାୟୈ ସୂକ୍ଷ୍ମରୂପେ ନମୋ ନମଃ ।
ଶବ୍ଦବ୍ରହ୍ମି ଚତୁର୍ହସ୍ତେ ସର୍ୱସିଦ୍ଧ୍ୟୈ ନମୋ ନମଃ ॥ ୮॥
ମୁକ୍ତାଲଙ୍କୃତସର୍ୱାଙ୍ଗ୍ୟୈ ମୂଲାଧାରେ ନମୋ ନମଃ ।
ମୂଲମନ୍ତ୍ରସ୍ୱରୂପାୟୈ ମୂଲଶକ୍ତ୍ୟୈ ନମୋ ନମଃ ॥ ୯॥
ମନୋମୟି ମହାୟୋଗେ ବାଗୀଶ୍ୱରି ନମୋ ନମଃ ।
ବାଣ୍ୟୈ ବରଦହସ୍ତାୟୈ ବରଦାୟୈ ନମୋ ନମଃ ॥ ୧୦॥
ବେଦ୍ୟାୟୈ ବେଦରୂପାୟୈ ବେଦାନ୍ତାୟୈ ନମୋ ନମଃ ।
ଗୁଣଦୋଷବିବର୍ଜିନ୍ୟୈ ଗୁଣଦୀପ୍ତ୍ୟୈ ନମୋ ନମଃ ॥ ୧୧॥
ସର୍ୱଜ୍ଞାନେ ସଦାନନ୍ଦେ ସର୍ୱରୂପେ ନମୋ ନମଃ ।
ସମ୍ପନ୍ନାୟୈ କୁମାର୍ୟୈ ଚ ସର୍ୱଜ୍ଞାୟୈ ନମୋ ନମଃ ॥ ୧୨॥
ଯୋଗରୂପେ ରମାଦେବ୍ୟୈ ଯୋଗାନନ୍ଦେ ନମୋ ନମଃ ।
ଦିବ୍ୟଜ୍ଞାୟୈ ତ୍ରିନେତ୍ରାୟୈ ଦିବ୍ୟମୂର୍ତ୍ୟୈ ନମୋ ନମଃ ॥ ୧୩॥
ଅର୍ଧଚନ୍ଦ୍ରଜଟାଧାରି ଚନ୍ଦ୍ରବିମ୍ବେ ନମୋ ନମଃ ।
ଚନ୍ଦ୍ରାଦିତ୍ୟଜଟାଧାରି ଚନ୍ଦ୍ରବିମ୍ବେ ନମୋ ନମଃ ॥ ୧୪॥
ଅଣୁରୂପେ ମହାରୂପେ ବିଶ୍ୱରୂପେ ନମୋ ନମଃ ।
ଅଣିମାଦ୍ୟଷ୍ଟସିଦ୍ଧାୟୈ ଆନନ୍ଦାୟୈ ନମୋ ନମଃ ॥ ୧୫॥
ଜ୍ଞାନବିଜ୍ଞାନରୂପାୟୈ ଜ୍ଞାନମୂର୍ତେ ନମୋ ନମଃ ।
ନାନାଶାସ୍ତ୍ରସ୍ୱରୂପାୟୈ ନାନାରୂପେ ନମୋ ନମଃ ॥ ୧୬॥
ପଦ୍ମଦେ ପଦ୍ମବଂଶେ ଚ ପଦ୍ମରୂପେ ନମୋ ନମଃ ।
ପରମେଷ୍ଠ୍ୟୈ ପରାମୂର୍ତ୍ୟୈ ନମସ୍ତେ ପାପନାଶିନୀ ॥ ୧୭॥
ମହାଦେବ୍ୟୈ ମହାକାଲ୍ୟୈ ମହାଲକ୍ଷ୍ମ୍ୟୈ ନମୋ ନମଃ ।
ବ୍ରହ୍ମବିଷ୍ଣୁଶିବାଖ୍ୟାୟୈ ବ୍ରହ୍ମନାର୍ୟୈ ନମୋ ନମଃ ॥ ୧୮॥
କମଲାକରପୁଷ୍ପା ଚ କାମରୂପେ ନମୋ ନମଃ ।
କପାଲି କର୍ମଦୀପ୍ତାୟୈ କର୍ମଦାୟୈ ନମୋ ନମଃ ॥ ୧୯॥
ସାୟଂ ପ୍ରାତଃ ପଠେନ୍ନିତ୍ୟଂ ଷାଣ୍ମାସାତ୍ସିଦ୍ଧିରୁଚ୍ୟତେ ।
ଚୋରବ୍ୟାଘ୍ରଭୟଂ ନାସ୍ତି ପଠତାଂ ଶୃଣ୍ୱତାମପି ॥ ୨୦॥
ଇତ୍ଥଂ ସରସ୍ୱତୀସ୍ତୋତ୍ରମଗସ୍ତ୍ୟମୁନିବାଚକମ୍ ।
ସର୍ୱସିଦ୍ଧିକରଂ ନୄଣାଂ ସର୍ୱପାପପ୍ରଣାଶନମ୍ ॥ ୨୧॥
॥ ଇତ୍ୟଗସ୍ତ୍ୟମୁନିପ୍ରୋକ୍ତଂ ସରସ୍ୱତୀସ୍ତୋତ୍ରଂ ସମ୍ପୂର୍ଣମ୍ ॥
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