सनातन धर्म और हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हमारे देश में वर्ष में चार बार नबारात्री का त्योहार मनाई जाती हैं, जिनमें आश्विन और चैत्र मास की नवरात्रि सबसे ज्यादा समाज में प्रचलित है। शारदीय नवरात्रि का तारा इस बार चैत्र नवरात्रि (वसंत नवरात्रि) 21 मार्च 2023 से आरंभ हो कर 31 मार्च 2023 में राम नवमी के साथ समाप्त होता है। कहा जाता है कि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित चैत्र नवरात्रि थी, इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है।
हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि देवी दुर्गा को समर्पित है। सनातन परंपरा के अनुसार नौ दिनों की पूजा का विशेष महत्व होता है। (Chaitra Navratri 2023) मान्यता है कि मां दुर्गा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए नवरात्रि का समय सबसे श्रेष्ठ समझा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो साधक नियम का पालन करते हुए नवरात्रि के इन नौ दिनो तक अंखड ज्योति जला कर मां दुर्गा का पूजन सच्चे मन से भक्ति करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है।
Chaitra Navratri 2023 (चैत्र नवरात्रि 2023)
शुभ मुहूर्त और घटस्थापना समय
चैत्र नवरात्रि स्थापना तिथि – 22 मार्च 2023
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06:29 से 07:39 तक
कलश स्थापना मुहूर्त – दोपहर 12:17 से 1:07 बजे तक
ब्रह्म योग मुहूर्त – सुबह 9.18 से लेकर 23 मार्च, सुबह 06.16 मिनट तक
शुक्ल योग मुहूर्त – प्रात 12.42 से 09.18 मिनट तक
Date | Day |
22nd March 2023 | प्रतिपदा |
23rd March 2023 | द्वितीय |
24th March 2023 | तृतीया |
25th March 2023 | चतुर्थी |
26th March 2023 | पंचमी |
27th March 2023 | षष्ठी |
28th March 2023 | सप्तमी |
29th March 2023 | अष्टमी |
30th March 2023 | नवमी |
31st March 2023 | दशमी |
कलश स्थापना और चैत्र नवरात्रि पूजन विधि
हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि का व्रत रखने वालों प्रात:काल उठकर स्नान करके सूर्य को अर्घ्य दें । उसके बाद घर के पूजन स्थल को पानी में गंगाजल डालकर सफाई करके पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद व्रत संकल्प करें और पूजा घर पर लाल कपड़ा बिछाएं। सबसे पहले ही कलश में जल भरकर कलश स्थापना करके पूजा स्थल पर एक दीप जलाएं। उसके बाद माता की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद कलश के मुख पर कालावा बांधें और फिर ऊपर आम के पत्ते रखकर नारियल रख दें। कलश में सुपारी, अक्षत के पत्ते और एक सिक्का डालें। इसके बाद मां दुर्गा को गंगाजल अर्पित करके अक्षत, सिंदूर, लाल रंग के फूल माता के सामने अर्पित करें। पूजन विधि संपन्न करने के बाद धूप व दीप में मां अम्बे की आरती का पाठ करें। पूजा करते हुए दुर्गा चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। इसके बाद प्रसाद अर्पित कर सबको प्रसाद बांट दें। माना जाता है कि जो कोई भी सच्चे मन से और विधि विधान से मां दुर्गा की आराधना करता है उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
किस पर सवार होकर आ रही हैं माता रानी
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता ।।-देवी भागवत पुराण
वार के अनुसार:
- सोमवार को घट स्थापना होगी तो – हाथी पर
- मंगलवार को घट स्थापना होगी तो – घोड़े पर
- बुधवार को घट स्थापना होगी तो – नौका पर सवार होकर
- गुरवार को घट स्थापना होगी तो – डोली में बैठकर
- शुक्रवार को घट स्थापना होगी तो – डोली में बैठकर
- शनिवार को घट स्थापना होगी तो – घोड़े पर
सवार होकर आने का शुभ-अशुभ:
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।-देवी भागवत पुराण
- माता रानी हाथी पर सवार होकर आती हैं तो पानी ज्यादा बरसता है।
- माता रानी घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की संभावना रहती है।
- माता रानी नौका पर सवार होकर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- माता रानी डोली में बैठकर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं।
हिंदू ऋतुओं और देवी भागवत के अनुसार चार नवरात्रियों का नाम:
- माघ नवरात्रि – शीतकालीन
- चैत्र नवरात्रि – वसंत
- आषाढ़ नवरात्रि – मानसून
- शरद नवरात्रि – शारदीय के नाम पर रखा गया है
चैत्र नवरात्रि 2023 की तिथियां घट स्थापना मुहूर्त:
- पहला व्रत मां शैलपुक्षी कू पूजा, घटस्थापना – 22 मार्च 2023
- दूसरा व्रत मां ब्रह्मचारिणी की पूजा – 23 मार्च 2023
- तीसरा व्रत मां चंद्रघंटा की पूजा – 24 मार्च 2023
- चौथा व्रत मां कूष्मांडा की पूजा – 25 मार्च 2023
- पांचवा व्रत मां स्कंदमाता की पूजा – 26 मार्च 2023
- छठा व्रत मां कात्यायनी की पूजा – 27 मार्च 2023
- सातवां व्रत मां कालरात्रि की पूजा – 28 मार्च 2023
- आठवां व्रत मां महागौरी की पूजा – 29 मार्च 2023
- नवमी व्रत मां महागौरी की पूजा – 30 मार्च 2023, राम नवमी तिथि
*(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है)