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November 17, 2024
Mantra

Chaurastakam | श्री चौराष्टकम | चौराश्ताकम

Credit the Video : Vishaka Devi Dasi YouTube Channel

Chaurastakam | श्री चौराष्टकम | चौराश्ताकम : दोस्तों नमस्कार, आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से चौराष्टकम मंत्र के बारे में बताने वाले हैं। भगवान कृष्ण के परम भक्त बिल्वा मंगल ठाकुर द्वारा रचित चौराष्टकम प्रेम और भक्ति की एक सुंदर प्रार्थना है, इसमें श्री कृष्ण को सर्बश्रेष्ठ चोर कहा गया है। जब जिब पर प्रभु की असीम कृपा होती है तब बो उसे अपनी भक्ति प्रदान करते हैं। पुरूषोत्तम मास या अधिक मास या मल मास एक विशेष महीना है जो लगभग हर 3 साल में आता है। यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय है। इस महीने में हरे कृष्ण महामंत्र का जाप, उपवास, दान और धर्मग्रंथ सुनने से अत्यधिक आध्यात्मिक लाभ मिलता है। ऐसा माना जाता है कि श्री भगवत गीता के अध्याय 15 को पढ़ने और चौरष्टकम और जगन्नाथस्तकम का पाठ करने से भक्तों के पिछले जन्मों के सभी पाप धुल सकते हैं।

श्री चौराष्टकम

व्रजेप्रसिद्धं नवनीत चौरम, गोपंगानानाम च दुकुल चौरम ।
अनेक जन्मार्जित पाप चौरम, चौराग्रगण्यं पुरुषम नमामि ॥

श्री राधिकाया हृदयस्य चौरम, नम्बुदा श्यामलकांति चौरम ।
पदाश्रीतानाम च समस्त चौरम, चौराग्रगण्यं पुरुषम नमामि ॥

अकिंचिनी कृत्य पदाश्रीतम य:, करोति भिक्षुम पथि गेह हिनं ।
केन्यपो हो भीषण चौर इद्र्ग, दृष्ट: श्रुतो व न जगत त्रय Sपि ॥

यदीय नमापी हरत्यशेषं, गिरि प्रसराण Sपि पाप राशी ।
आश्चर्य रूपों ननु चौर इद्र्ग, दृष्ट: श्रुतो व न मया कदापि ॥

धनं च मानं च तथेन्द्रियाणि, प्राणमश्च हृत्वा मम सर्व मेव ।
पलायसे कुत्र ध्रतSद्या चौर, त्वं भक्तिदाम्नाशी मया निरुद्ध: ॥

छिनत्सी घोरं यम पाश बन्धं, भिनस्ती भीमं भव पाश बन्धं ॥
छिनत्सी सर्वस्य समस्त बन्धं, नैवात्मनो भक्त क्र्तं तू बन्धं ॥

मन्मानसे तामस राशी घोरे, कारागृहे दुःख मये निबद्ध: ।
लभस्व हे चौर! हरे ! चिराय, स्व चौर्य दोसो चित मे व दण्डं ॥

कारागृहे वस् सदा हृदये मदीये, मद भक्ति पाश दृढ बंधन निश्च्ल:सन ।
त्वां कृष्ण हे प्रलय कोटिशतान्त रे Sपि, सर्वस्य चौर! हृदय न ही मोचयामी ॥

Chaurastakam

Vraje Prasiddham Navanita-Chauram
Gopangananam Ca Dukula-Chauram ।
Aneka-Janmarjita-Papa-Chauram
Chauragraganyam Purusham Namami ॥

Shri Radhikaya Hridayasya Chauram
Navambuda-Shyamala-Kanti-Chauram ।
Padashritanam Ca Samasta-Chauram
Churagraganyam Purusham Namami ॥

Akincani-Kritya Padashritam Yah
Karoti Bhikshum Pathi Geha-Hinam ।
Kenapy Aho Bhishana-Chaura Idrig
Drishtah-Shruto Va Na Jagat-Traye ’Pi ॥

Yadiya Namapi Haraty Ashesham
Giri-Prasaran Api Papa-Rashin ।
Ashcharya-Rupo Nanu Chaura Idrig
Drishtah Shruto Va Na Maya Kadapi ॥

Dhanam Cha Manam Cha Tathendriyani
Pranamsh Cha Hritva Mama Sarvam Eva ।
Palayase Kutra Dhrito ’Dya Chaura
Tvam Bhakti-Damnasi Maya Niruddhah ॥

Chinatsi Ghoram Yama-Pasha-Bandham
Bhinatsi Bhimam Bhava-Pasha-Bandham ।
Chinatsi Sarvasya Samasta-Bandham
Naivatmano Bhakta-Kritam Tu Bandham ॥

Man-Manase Tamasa-Rashi-Ghore
Karagrihe Duhkha-Maye Nibaddhah ।
Labhasva He Chaura! Hare! Chiraya
Sva-Chaurya-Doshochitam Eva Dandam ॥

Karagrihe Vasa Sada Hridaye Madiye
Mad-Bhakti-Pasha-Dridha-Bandhana-Nishchalah San ।
Tvam Krishna He! Pralaya-Koti-Shatantare ’Pi
Sarvasva-Chaura! Hridayan Na Hi Mochayami ॥

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