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Dhanvantari Aarti | धन्वंतरि जी की आरती: हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि हाथ में सोने का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
Dhanvantari Aarti | धन्वंतरि जी की आरती | धनतेरस आरती
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा ।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा ॥
॥ ॐ जय धन्वन्तरि देवा ॥
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए ।
देवासुर के संकट आकर दूर किए ॥
॥ ॐ जय धन्वन्तरि देवा ॥
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया ।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया ॥
॥ ॐ जय धन्वन्तरि देवा ॥
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी ।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी ॥
॥ ॐ जय धन्वन्तरि देवा ॥
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे ।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे ॥
॥ ॐ जय धन्वन्तरि देवा ॥
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा ।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा ॥
॥ ॐ जय धन्वन्तरि देवा ॥
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे ।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे ॥
॥ ॐ जय धन्वन्तरि देवा ॥
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