November 19, 2025
MantraSlider

Gayatri Mantra | गायत्री मंत्र

Gayatri Mantra | गायत्री मंत्र: दोस्तों नमस्कार, आज हम आप लोगों को इस पोस्ट के माध्यम से गायत्री मंत्र के बारे में बात करेंगे। इस मंत्र के रहस्य और इसे जोड़ने वाले गहरे आध्यात्मिक अर्थ को भी समझेंगे।

गायत्री मंत्र का सृष्टि केस और कब हुआ:

आध्यात्मिक अर्थों में गायत्री मंत्र सृष्टि का आदि है। अर्थात सभी मंत्रों की जननी गायत्री की रचना है। गायत्री मंत्र का अर्थ है गामा या बैंगनी किरण। इस गायत्री मंत्र के जप से गामा किरणें उत्पन्न होती हैं। शास्त्रों में गायत्री की पहचान माइक्रोवेव के रूप में भी की गई है। गायत्री मंत्र में 24 अक्षर, चौबीस अवतार, 24 ऋषि, 24 प्रकार की शक्ति, 24 प्रकार की भक्ति, 24 सिद्धियां आदि हैं। इसलिए गायत्री मंत्र को महामंत्र भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र का जाप करने से आसपास के वातावरण में दिव्य ऊर्जा का अनुभव होता है।

ब्रह्मांड में सबसे चमकीला प्रकाश गामा या बैंगनी किरणें हैं। इसलिए जब हम गायत्री मंत्र का जप करते हैं, तो एक बहुत ही उच्च तापमान कण संलयन, गामा किरण या विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा उत्पन्न हो रही है। इसका मतलब है कि आकाशगंगा बनने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। अतः हमें अपनी बुद्धि में प्रेरणा या पढ़ाई में सफलता पाने के लिए, तथा स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए हमें उस दिव्य आत्मा स्वरूप, ईश्वर स्वरूप, सुखदायक, दुःखनाशक, पापनाशक, परम तेजस्वी, परम सत्य, पूज्य और प्रसिद्ध वैदिक गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।

गायत्री मंत्र का जाप कब करें:

हिंदू धर्म में, गायत्री मंत्र को आत्मा को बचाने वाला मंत्र, सबसे अच्छा, सबसे पवित्र, मंत्रों का रत्न, सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली मंत्र बताया गया है। इसे दिन में 3 बार (सुबह सूर्योदय से पहले, दोपहर में सूर्योदय के बाद और शाम को सूर्यास्त से पहले) जाप करें।

गायत्री मंत्र बोलने की तारिका:

सबसे पहले आप संकल्प लें कि इस मंत्र का जप नियमित रूप से, एक ही स्थान पर, एक ही समय पर, एक स्वच्छ आसन पर, सकारात्मक सोच के साथ करेंगे। सुबह उठकर स्नान कर के सुभ्र बस्त्र पेहेन लिजिये। इसके बाद एक शांत स्थान पर आंखें बंद करेंके सुधता के साथ, सुखासन या पद्मासन में पीठ सीधी करके बैठें। कल्पना करें आप एक पर्वत के शिखर पर बैठे हैं। सूर्य की प्रकाश अपने मन और आत्मा को प्रकाशित कर रहा है।

अगर आप सुबह के समय जप करते हैं तो आपके पाम आकाश की तरफ होगा और नवी के स्तर पर रख कर जप करना होगा। अगर आप मध्यान पे जप करते हैं तो पाम चेस्ट लेवल पे और अकास की तरफ रख कर जप करना होगा। अगर आप शाम पर जप करते हैं तो पाम को आई लेवल पे और आकाश की तरफ रख कर जप करना होगा।

इसके बाद कुछ क्षण श्वास पर ध्यान देंनेके बाद एक बार या 11, 21,108 बार मंत्र जाप करें। ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥ अंत में, भगवान का धन्यवाद करें। जिससे आपको आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक विकास में सहायक होगा।

गायत्री मंत्र जप के लाभ:

गायत्री मंत्र का प्रतिदिन जप करने से मन को शांति मिलती है, याददाश्त बढ़ती है, प्रसन्नता मिलती है, क्रोध शांत होता है, चिंता दूर होती है, मान-सम्मान में वृद्धि होती है, शोक, कष्ट, रोग, पाप, ताप और पूर्व जन्म के संकट दूर होते हैं।

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ।

Gayatri Mantra

Om Bhur Bhuvah Svaha
Tat Savitur Varenyam
Bhargo Devasya Dheemahi
Dhiyo Yo Nah Prachodayat ।

ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର

ଓଁ ଭୂର୍ଭୁବଃ ସ୍ୱଃ
ତସ୍ତବିତୁର୍ବରେଣ୍ୟଂ
ଭର୍ଗୋ ଦେବସ୍ୟଃ ଧୀମହି
ଧୀୟୋ ୟୋ ନଃ ପ୍ରଚୋଦୟାତ ।

Credit the Video : Bhakti Bharat Ki YouTube Channel

Credit the Video : Bhakti YouTube Channel

Credit the Video : Bhakti YouTube Channel

Credit the Video : Bhakti Bharat Ki YouTube Channel

Credit the Video : Bhakti Bharat Ki YouTube Channel

Credit the Video : Bhakti Bharat Ki YouTube Channel

Credit the Video : Bhakti YouTube Channel

Credit the Video : Bhakti YouTube Channel

ଆଧ୍ୟାତ୍ମିକ ଅର୍ଥରେ ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର ହେଉଛି ସୃଷ୍ଟିର ଆରମ୍ଭ ଆର୍ଥାତ ସମସ୍ତ ମନ୍ତ୍ରର ମାତା ଗାୟତ୍ରୀଙ୍କର ସୃଷ୍ଟି । ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର ଅର୍ଥ ଗାମା ବା ବାଇଗଣୀ କିରଣ । ଏହି ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର ଜପ କରୀବା ଦ୍ୱାରା ଗାମା-କିରଣ ସୃଷ୍ଟି ହେଉଛି । ଶାସ୍ତ୍ରରେ ମଧ୍ୟ ଗାୟତ୍ରୀଙ୍କୁ ମାଇକ୍ରୋୱେଭ୍ ଭାବରେ ଚିହ୍ନିତ କରାଯାଇଛି । ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ରରେ ୨୪ ଟି ଅକ୍ଷର, ୨୪ ଅକ୍ଷରରେ ଚବିଶ ଅବତାର, ୨୪ ଋଷି, ୨୪ ପ୍ରକାର ଶକ୍ତି, ୨୪ ଭକ୍ତି, ୨୪ ସିଦ୍ଧି ଆଦି ସମାହିତ ହୋଇ ରହିଛି, ତେଣୁ ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ରକୁ ମଧ୍ୟ ମହାମନ୍ତ୍ର କୁହାଯାଏ । ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର ଜପ କରିବା ଦ୍ୱାରା ଆଖାପାଖର ବାତାବରଣରେ ଦିବ୍ୟ ଶକ୍ତିର ଅନୁଭବ ହୁଏ ।

ବ୍ରହ୍ମାଣ୍ଡର ସବୁଠାରୁ ଉଜ୍ଜ୍ୱଳ ଆଲୋକ ହେଉଛି ଗାମା ବା ବାଇଗଣୀ କିରଣ । ତେଣୁ ଆମେ ଯେତେବେଳେ ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର ଜପ କରୁଛନ୍ତି ସେତେବେଳେ ଏକ ଅତ୍ୟଧିକ ଉଚ୍ଚ ତାପମାତ୍ରା କଣିକା ଫ୍ୟୁଜନ୍ ଅଥବା ଗାମା କିରଣ ବା ଇଲେକ୍ଟ୍ରୋମ୍ୟାଗ୍ନେଟିକ୍ ଶକ୍ତି ଉତ୍ପନ ହେଉଛି । ଅର୍ଥାତ ଏକ ଗାଲାକ୍ସି ସୃଷ୍ଟିର ପ୍ରକ୍ରିୟା ଆରମ୍ଭ ହେଉଛି । ତେଣୁ ଆମର ବୁଦ୍ଧିମତାକୁ ଉତ୍ସାହିତ ବା ଶିକ୍ଷାରେ ସଫଳତା ଓ ସ୍ମରଣଶକ୍ତିରେ ବୃଦ୍ଧି କରିବାକୁ ହେଲେ ଆମକୁ ସେହି ପ୍ରାଣସ୍ୱରୂପ, ଦେବସ୍ୱରୂପ, ସୁଖସ୍ୱରୂପ, ଦୁଃଖନାଶକ, ପାପନାଶକ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ତେଜସ୍ୱି ଅତ୍ୟଧିକ ସତ୍ୟ, ସମ୍ମାନିତ ପ୍ରସିଦ୍ଧ ବୈଦିକ ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର ଜପ କରିବାକୁ ହେବ ।

ହିନ୍ଦୁ ଧର୍ମରେ ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର ପ୍ରାଣକୁ-ତ୍ରାଣ କରିବା ମନ୍ତ୍ର, ସବୁଠାରୁ ଉତ୍ତମ, ପରମ ପବିତ୍ର, ମନ୍ତ୍ରେରେ ମୁକୁଟ ମଣୀ, ସର୍ବଶ୍ରେଷ୍ଠ ଓ ଖୁବ ଶକ୍ତିଶାଳୀ ମନ୍ତ୍ର ବୋଲି ବର୍ଣ୍ଣନା କରାଯାଇଛି । ଏହାକୁ ଦିନକୁ ୩ ଥର ଜପ କରନ୍ତୁ (ସୂର୍ୟ୍ୟୋଦୟ ପୂର୍ବରୁ-ପ୍ରାତଃ କାଳରେ, ସୂର୍ୟ୍ୟୋଦୟ ପରେ-ଦ୍ୱିପହରେ ଓ ସୂର୍ୟ୍ୟାସ୍ତ ପୂର୍ବରୁ-ସନ୍ଧ୍ୟା ସମୟରେ) । ପ୍ରତିଦିନ ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର ଜପ କରିବା ଦ୍ୱାରା ମାନସିକ ଶାନ୍ତି, ସ୍ମରଣ ଶକ୍ତି ବୃଦ୍ଧି, ସୁଖ ପ୍ରାପ୍ତି ଓ କ୍ରୋଧର ହ୍ରାସ ହୋଇଥାଏ ।

ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ର ଜପର ଲାଭ:

କ୍ରୋଧ ଶାନ୍ତ, ଚିନ୍ତା ଦୂର, ମାନସମ୍ମାନରେ ବୃଦ୍ଧି, ଦୁଃଖ, କଷ୍ଟ, ଶୋକ, ରୋଗ, ପାପ, ତାପ, ସମସ୍ୟା ପ୍ରାରବ୍ଧ ପୂର୍ବ ଜନ୍ମରୁ ମୁକ୍ତି ହୋଇଥାଏ ।

ଗାୟତ୍ରୀ ମନ୍ତ୍ରର ଅର୍ଥ:

ଭଗବାନ ସୂର୍ୟ୍ୟଙ୍କର ସ୍ତୁତିରେ ଗାୟନ କରାଯାଉଥିବା ଏହି ମନ୍ତ୍ରର ଅର୍ଥ ହେଉଛି ପ୍ରାଣସ୍ୱରୂପ, ଦୁଃଖନାଶକ, ସୁଖସ୍ୱରୂପ, ଶ୍ରେଷ୍ଠ ତେଜସ୍ୱୀ, ପାପନାଶକ, ଦେବସ୍ୱରୂପ ପରମାତ୍ମାଙ୍କୁ ଆମେ ଅନ୍ତଃ କରଣରେ ଧାରଣ କରିବା, ସେହି ପରମାତ୍ମା ଆମର ବୁଦ୍ଧିକୁ ସତ୍ୟ ମାର୍ଗରେ ପ୍ରେରିତ କରନ୍ତୁ ।

Meaning:

Om! ଓଁ Brahma or Almighty God ब्रह्मा या सर्वशक्तिमान ईश्वर
भूर Bhur ଭୂ Who gives life (Pran) प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः Bhuvah ର୍ଭୁବଃ Destroyer of Sorrows दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः Suvah ସ୍ୱଃ Who gives Happiness सुख़ प्रदाण करने वाला
तत Tat That वह
सवितुर Savitur ସ୍ତବିତୁ Bright like the sun सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं Varenyam ର୍ବରେଣ୍ୟଂ The Best सबसे उत्तम
भर्गो Bhargo ଭର୍ଗୋ The Savior कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य Devasya ଦେବସ୍ୟଃ Lord प्रभु
धीमहि Dhimahi ଧୀମହି Worthy of self reflection ध्यान (आत्म चिंतन के योग्य)
धियो Dhiyo ଧୀୟୋ Wisdom बुद्धि
यो Yo ୟୋ Who जो
नः Nah ନଃ Ourselves हमारी
प्रचोदयात् Prachodayat ପ୍ରଚୋଦୟାତ Give us strength हमें शक्ति दें

 

ॐ            (Om!)             = ଓଁ                         – Brahma or Almighty God   –
भूर           (Bhur)             = ଭୂ                        – Who gives life (Pran)         – प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः          (Bhuvah)        = ର୍ଭୁବଃ                   – Destroyer of Sorrows         – दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः           (Suvah)          = ସ୍ୱଃ                       – Who gives Happiness        – सुख़ प्रदाण करने वाला
तत           (Tat)                = ତ                        – That                                       – वह
सवितुर     (Savitur)          = ସ୍ତବିତୁ                  – Bright like the sun               – सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं       (Varenyam)     = ର୍ବରେଣ୍ୟଂ            – The Best                               – सबसे उत्तम
भर्गो         (Bhargo)          = ଭର୍ଗୋ                  – The Savior                           – कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य       (Devasya)        = ଦେବସ୍ୟଃ            – Lord                                      – प्रभु
धीमहि      (Dhimahi)        = ଧୀମହି                 – Worthy of self reflection   – ध्यान (आत्म चिंतन के योग्य)
धियो        (Dhiyo)             = ଧୀୟୋ                 – Wisdom                               – बुद्धि
यो            (Yo)                  = ୟୋ                     – Who                                     – जो
नः            (Nah)               = ନଃ                       – Ourselves                           – हमारी
प्रचोदयात् (Prachodayat)= ପ୍ରଚୋଦୟାତ         – Give us strength                – हमें शक्ति दें

Credit the Video : Bhakti Bharat Ki YouTube Channel

Disclaimer: Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com) वेबसाइट का उद्देश्य किसी की आस्था या भावनाओं को ठेस पहुंचना नहीं है। इस वेबसाइट पर प्रकाशित उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता, जानकारियों के अनुसार और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। इस पोस्ट पर दिए गए जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और शैक्षिक उद्देश्य के लिए बनाया गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com) इसमें चर्चा की गई किसी भी तरह जानकारी, मान्यता, सटीकता, पूर्णता या विश्वसनीयता की पूर्ण रूप से गारंटी नहीं देते। गायत्री मंत्र का अर्थ और महत्व को अमल में लाने से पहले कृपया संबंधित योग्य विशेषज्ञ अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। गायत्री मंत्र का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है। इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी का उपयोग पूरी तरह से उपयोगकर्ता की अपनी ज़िम्मेदारी पर है। किसी भी प्रकार की हानि, नुकसान, या परिणाम के लिए हम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार नहीं होंगे।

Facebook
Instagram
YouTube

Related posts

एक श्लोकी विष्णु सहस्त्रनाम | Eka Shloki Vishnu Sahasranamam

bbkbbsr24

Om Namo Bhagavate Vasudevaya Namah | ओम् नमो भगवते वासुदेवाय नम:

bbkbbsr24

Laxmi Mantra 108 times | Om Shreem Hreem Shreem Kamale Kamalalaye Praseed Praseed

Bimal Kumar Dash