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November 17, 2024
Aarti

Iskcon Tulsi Aarti | सुबह एक बार जरूर सुने इस इस्कॉन तुलसी आरती, आपका दिन शुभ होगा

Credit the Video : Hare Krsna TV by Priyanshi Agrawal YouTube Channel

Iskcon Tulsi Aarti | सुबह एक बार जरूर सुने इस इस्कॉन तुलसी आरती, आपका दिन शुभ होगा: दोस्तों नमस्कार, आज हम आप लोगों को इस पोस्ट के माध्यम से (इस्कॉन तुलसी आरती: तुलसी प्रणाम मंत्र, तुलसी कीर्तन और श्रीतुलसी प्रदक्षिणा मंत्र) के बारे में बताएँगे। हिंदू धर्म में घर के आंगन में तुलसी माता का पौधा लगा कर हर दिन तुलसी पूजा का पूजन विशेष महत्व होता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तुलसी माता का विवाह भगवान शालीग्राम से होता है। तुलसी विवाह के दिन सुबह सुबह माँ तुलसी अमृतवाणी सुनने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस दिन तुलसी जी का पूजन शुभ माना गया है। जिस घर मैं इस चमत्कारी तुलसी माता की आरती सुनने जाती है, उस घर मैं कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहतीतो आइये सुमिरन करते हैं इस्कॉन तुलसी आरती:

Tulsi Krishna Preyasi Namo Namah

Iskcon Tulsi Aarti

॥ Tulsi Pranam Mantra ॥

Vrundaayai Tulsi Devyaayai ।
Priyaayai Keshavasyach ॥

Krishna Bhakti Prade Devi ।
Satya Vatyai Namo Namah ॥

॥ Shree Tulsi Kritan ॥

Tulsi Krishna Preyasi Namo Namah ।
Radha Krishna Seva Pabo Ei Abhilashi ॥

Ye Tomaar Sharan Loy, Taara Vanchha Purn Hoy ।
Krupa Kari Karo Taare Vrundavan Vaasi ॥

Mora Ei Abhilash Vilas Kunje Dio Vaas ।
Nayan Heribo Sada Yugal Roop Rasi ॥

Ei Nivedan Dhar Sakhir Anugat Koro ।
Seva Adhikar Diye Koro Nij Dasi ॥

Din Krishna Dase Koy Ei Yen Mora Hoy ।
Shree Radha Govinda Preme Sada Yen Bhasi ॥

॥ Sri Tulasi Pradakshina Mantra ॥

Yani Kani Ch Papani Brahma Hatyadikani Ch ।
Tani Tani Pranshyanti Pradakshinah Pade Pade ॥

Brahmanande Devi, Nyay Vrunde Devi
Jay Vrunde Devi, Jay Vrunde Devi

Jay Vrunde Devi, Jay Vrunde Devi
Jay Vrunde Devi, Jay Vrunde Devi

Jay Tulsi Maharani
Jay Tulsi Maharani
Jay Tulsi Maharani
Jay Tulsi Maharani

इस्कॉन तुलसी आरती

॥ तुलसी प्रणाम मंत्र ॥

वृंदायै तुलसीदेव्यै प्रियायै केशवस्य च ।
कृष्ण भक्तिप्रदे देवी सत्यवत्यै नमो नमः ॥

॥ श्री तुलसी कीर्तन ॥

तुलसी कृष्ण – प्रेयसी नमो नमः ।
राधाकृष्ण सेवा पाबो येई अभिलाषी ॥

ये तोमार शरण लए , तार वँ|छा पूर्ण हय ।
कृपा करि कर तारे वृन्दावनवासी ॥

मोर एइ अभिलाष विलासकुँजे दिओ वास ।
नयने हरिब सदा युगलरूप – राशि ॥

एइ निवेदन धर, सखीर अनुगत कर ।
सेवा-अधिकार दियॆ कोरॊ निज दासी ॥

दीन कृष्णदास कय एइ येन मोर हय ।
श्रीराधागोविन्दा – प्रेमे सदा येन भासि ॥

॥ श्रीतुलसी प्रदक्षिणा मंत्र ॥

यानि कानि च पापानि ब्रहा हत्यादिकानि च ।
तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिणः पदे पदे ॥

ब्रह्मानन्दे देवी, न्याय वृन्दे देवी
जय वृन्दे देवी, जय वृन्दे देवी

जय वृन्दे देवी, जय वृन्दे देवी
जय वृन्दे देवी, जय वृन्दे देवी

जय तुलसी महाराणी
जय तुलसी महाराणी
जय तुलसी महाराणी
जय तुलसी महाराणी

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Disclaimer : Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी की आस्था को ठेस पहुंचना नहीं चाहता। ऊपर पोस्ट में दिए गए उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता और जानकारियों के अनुसार, और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करता। इस्कॉन तुलसी आरती के उच्चारण, किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। इस्कॉन तुलसी आरती का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है।

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