नई दिल्ली: हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का बड़ा महत्व है। यह हर महीने की चौथी तिथि पर मनाई जाती है। साल में 12 बार आने वाली इस चतुर्थी की आखिरी तारीख 24 दिसंबर 2025 को पड़ रही है। बुधवार होने से इसे विघ्नेश्वर चतुर्थी कहते हैं। भक्तों का मानना है कि इस दिन गणेश जी की पूजा से बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
इस चतुर्थी की खासियत यह है कि इसमें अद्भुत योग बन रहा है। पंचक और भद्राकाल के बावजूद पूजा पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। भद्राकाल राक्षसी दुनिया से जुड़ा है, इसलिए पूजा में कोई रुकावट नहीं। बुधवार गणेश जी को समर्पित है, इसलिए व्रत रखने से बुधवार व्रत जितना फल मिलता है। लेकिन सावधानी बरतें- चंद्रमा न देखें, वरना झूठे आरोप लग सकते हैं। यह मान्यता पुरानी कथाओं से जुड़ी है।
शुभ मुहूर्त: चतुर्थी तिथि 23 दिसंबर दोपहर 12:12 बजे से शुरू होकर 24 दिसंबर दोपहर 1:11 बजे तक रहेगी। पूजा का सबसे अच्छा समय 24 दिसंबर सुबह 11:19 से दोपहर 1:11 बजे तक है। इस दौरान करीब 1 घंटा 50 मिनट का मुहूर्त है। राहुकाल दोपहर 12:21 से 1:38 बजे तक है, तब कोई शुभ काम न करें। भद्राकाल सुबह 7:11 से दोपहर 1:11 तक रहेगा।
पूजा विधि: सुबह स्नान कर साफ जगह पर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। लाल फूल, मोदक, हल्दी-कुमकुम चढ़ाएं। मंत्र जपें- ‘ॐ गण गणपतये नमः’। व्रत रखने वाले फल और हल्का भोजन लें। शाम को चंद्र दर्शन से बचें।
यह चतुर्थी सफलता और बाधा मुक्ति का प्रतीक है। भक्तों के लिए यह मौका गणेश जी की कृपा पाने का है।
