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October 30, 2024
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Phool Chadhane Ke Niyam | फूल चढ़ाने के नियम

Phool Chadhane Ke Niyam

फूल चढ़ाने के नियम

फूल चढ़ाने के नियम – हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के पूजन में पुष्प यानी फूल को आवश्यक रूप से शामिल किया जाता है। फूलों के बिना पूजन सफल नहीं होता है। सनातन संस्कृति में भगवान को फूल अर्पण करने की परंपरा सदियों पुरानी है। दूसरी ओर किसी भी शुभ कार्य के पूर्व फूल चढ़ाने का बड़ा महत्व होता है। हिंदू धर्म के सभी देवताओं को अलग-अलग फूल प्रिय होते हैं। देवी-देवताओं को उनके मनपसंद फूल चढ़ाने से वह शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में किसी भी देवता को फूल चढ़ाने के नियम बताए गए हैं। फूल चढ़ाने के कुछ नियम होते हैं, क्योंकि हर फूल देवता को नहीं चढ़ाया जा सकता। पूजा के दौरान भगवान को फूल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं, इसके विपरीत यदि भूलवश गलत फूल चढ़ाए जाएं तो भगवान नाराज भी हो सकते हैं, जिससे पूजा का अशुभ फल मिल सकता है। पोस्ट के जरिए हम जानेंगे कि, फूल चढ़ाते समय किन बातों का विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। आइए विस्तार पूर्वक जानते हैं कि भगवान को फूल चढ़ाने के क्या नियम हैं –

फूल चढ़ाने के नियम (Phool Chadhane Ke Niyam)

ध्यान देने योग्य बात यह है कि, मुरझाए हुए फूल कभी भी देवी-देवताओं को नहीं चढ़ाने चाहिए। मुरझाए या बासी फूलों में सुगंध नहीं होती इसलिए ऐसे फूल भगवान को चढ़ाना अशुभ फल देता है। फूल चढ़ाने के पूर्व अपने हाथ की तीन अंगुलियों, मध्यमा, अनामिका और अंगूठे का इस्तेमाल करना चाहिए। इन तीन अंगुलियों के अलावा शेष दो अंगुलियों को फूल को स्पर्श नहीं करना चाहिए।

कई बार देखने में आता है कि, फूलों में कई प्रकार के कीड़े लग जाते हैं, और लोग सीधे ही कीड़े लगे हुए फूलों को तोड़कर भगवान के चरणों में अर्पण कर देते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। कीट प्रभावित फूलों को तोड़कर कुछ समय के लिए अलग रख देना चाहिए, ताकि उसके कीड़े निकल जाएं। फिर बाद मे उन्हे देवताओं के चरणों में अर्पित कर देना चाहिए।

फूल चढ़ाने के लाभ

हिंदू धर्म में फूलों को आस्था और भावना का प्रतीक माना जाता है। पुष्प की सुगंध से देवता प्रसन्न होते हैं और जीवन में उनकी कृपा बनी रहती है। सुंगधित फूल घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावी बनाते हैं। कमल का फूल माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय होता है, इस फूल के प्रयोग से व्यक्ति की मनोकामना पूरी हो सकती है।

हमेशा चढ़ाए ताजे फूल ही

हिंदू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंदिर में हमेशा ताजे फूल ही भगवान को चढ़ाने चाहिए इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। साथ ही पूजा का दोहरा लाभ मिलता है। भगवान को कभी भी सूखे, मुरझाए, बासी या कीड़े लगे फूल नहीं चढ़ाने चाहिए, क्योंकि इससे भगवान नाराज हो जाते हैं। फूल हमेशा मूर्ति की ओर उल्टा चढ़ाना चाहिए।

फूल उतारने के नियम

एक पहर तक देवताओं के ऊपर रहने के बाद फूल उतार लिए जाते हैं। फूलों को उतारने के लिए तर्जनी और अंगूठे का प्रयोग करना चाहिए। फूल को उतारने समय, शेष 3 अंगुलियों को फूल को स्पर्श न होने दें।

इन देवी -देवताओं को न चढ़ाए ये फूल

मां दुर्गा – मां दुर्गा को लाल रंग अत्यंत प्रिय है। दुर्गा जी की पूजा में विशेष रूप से लाल रंग के फूल शामिल करने चाहिए। इसके अलावा बिखरी हुई पंखुड़ियां, तेज गंध या महक वाले फूल मां को बिल्कुल भी नहीं चढ़ाने चाहिए। इससे मां नाराज हो जाती हैं।

भगवान शिव – मान्यता है कि भगवान शिव शंकर को केतकी या केवड़े के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। इससे भगवान शिव शंकर नाराज हो जाते हैं।

राम जी – धार्मिक मान्यता है कि राम जी की पूजा में भूलकर भी कनेर के फूलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से राम जी नाराज हो जाते हैं।

माता पार्वती – मदार और धतूरा भगवान शिव को प्रिय हैं, लेकिन माता पार्वती को भूलकर भी ये फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। इससे मां नाराज हो जाती हैं।

सूर्य देव – शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव की पूजा में बेलपत्र या बिल्व का प्रयोग नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इससे भगवान सूर्य नाराज हो जाते हैं।

भगवान विष्णु – भगवान विष्णु की पूजा में अगस्त्य के फूलों का प्रयोग भूलकर भी न करें। साथ ही माधवी और लोध के फूलों के प्रयोग से भी परहेज करें।

हनुमान जी – हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें तुलसी के पत्ते, पान के पत्ते और लाल गुलाब का फूल बहुत प्रिय है।

नोट : फूल चढ़ाने के नियम हिंदू धर्म ग्रंथों को पढ़ने के बाद समायोजित कर लिखा गया। भक्ति भारत की वेबसाइट का इससे सीधा कोई संबंध नहीं है। पूजन और फूल चढ़ाने को लेकर यदि आपके मन में कोई शंका हैं तो पहले उसका निदान करें।

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