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November 21, 2024
Aarti

Shivji Aarti | शिवजी की आरती | Om Jai Shiv Omkara

Credit the Video : T-Series Bhakti Sagar YouTube Channel

त्रिकालदर्शी, भोलेनाथ, आदियोगी, महाकाल आदि कितने ही नामों से पहचाने जाने वाले, भगवान शिव देवों के भी देव है। “ओम जय शिव ओमकारा” भगवान शिव की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। ‘शिवजी की आरती’ (shivji aarti) का पाठ भगवान शिव से संबंधित बहुत से शुभ अवसरों के समय किया जाता है। इसके साथ ही शिव भक्तों के द्वारा शिवजी की आरती (shivji aarti) सोमवार, त्रयोदशी,और मासिक शिवरात्रि के दिन विशेष रूप से गायी जाती है। ‘शिवजी की आरती’ (shivji aarti) भगवान शिव को समर्पित एक बहुत ही सुंदर स्तुति है, जिसके माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। यदि आप भी भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते है, तो शिवजी की आरती (shivji aarti) अवश्य गाए।

Shiv Aarti | शिव आरती

शिव आरती (Shiv Aarti) भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने का बहुत ही सरल उपाय है। शिव आरती (Shiv Aarti) के नियमित पाठ से भक्त भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त कर सकता है। भगवान शिव (Shiv Aarti Lyrics) को भोलेनाथ कहने के पीछे यही कारण हैं कि वे बहुत भोले स्वभाव के होने के कारण जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और जल्दी ही अपने भक्त की मनोकामना को पूरा करते हैं।

Shiv Aarti Ka Paath Karte Smaya Dhyan Rakhne Yogya Kuch Mahtavpooran Baatein | शिव आरती का पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें

भगवान शिव की पूजा (Shiv Aarti Lyrics) करते समय कुछ चीजों का उपयोग नहीं करना बताया गया है। भगवान शिव की पूजा (Shiv Aarti Lyrics) में हल्दी का प्रयोग नहीं किया जाता है। भगवान शिव (Shiv Aarti) को केतकी का फूल अर्पण करना भी निषेध है। शास्त्रों के अनुसार शिव जी को कुमकुम या रोली नहीं लगाई जाती है। शिव जी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है।

भगवान शिव (Shiv Aarti Lyrics) को अर्पण की जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण सामग्री। भगवान शिव (Shiv Aarti Lyrics) को अर्पित की जाने वाली सामग्री इस प्रकार है-जल, कच्चा दूध, दही, सहद, इत्र, चंदन, बिल्व पत्र, आक-धतूरा।

Shiv Aarti Ka Paath Karne Ka Tarika | शिव आरती का पाठ करने का तरीका

शुभ जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव (Shiv Aarti Lyrics) के मंदिर जा कर भगवान शिव को एक लोटा जल अर्पित करें। उसके बाद आसन ग्रहण कर शिव आरती (Shiv Aarti) का पाठ करें। शिव आरती के पाठ के बाद आप भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु प्रार्थना करें।

अगर आप चाहें तो शाम के समय भी आप अपने घर में शिव आरती (Shiv Aarti) का पाठ कर सकते हैं। मार्केट में आपको यह चालीसा श्री शिव आरती (Shree Shiv Aarti) के नाम से उपलब्ध हो जाएगी। फिर भी हम आपकी सुविधा के लिए शिव आरती हिंदी (Shiv Aarti in Hindi) में उपलब्ध करवा रहे हैं आप यहां से भी शिव आरती (Shiv Aarti) पढ़ सकते हैं, शिव आरती (Shiv Aarti) का पाठ कर सकते हैं।

शिव जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

Shivji Aarti

Om Jai Shiv Omkara

Om Jai Shiv Omkara
Swami Jai Shiv OmKara।
Brahma Vishnu Sadashiv
Ardhaangi Dhaara॥

Om Jai Shiv Omkara

Ekanan Chaturanan
Panchanan Raajey।
Hansanan Garurasan
Vrishvaahan Saajey॥

Om Jai Shiv Omkara

Do Bhuj Chaar Chaturbhuj
Das Bhuj Te Sohey।
Teeno Roop Nirakhta
Tribhuvan Jan Mohey॥

Om Jai Shiv Omkara

Akshmala Banmala
Mundmala Dhaari।
Chandan Mrigmad Sohay
Bholay Shubhkari॥

Om Jai Shiv Omkara

Shwetambar Pitambar
Baagambar Angey।
Sankadik Brahmadik
Bhutadik Sangey॥

Om Jai Shiv Omkara

Karkey Madhya Kamandal
Chakra Trishul Dharta।
Jagkarta Jagbharta
Jagsanhaarkarta॥

Om Jai Shiv Omkara

Brahma Vishnu Sada
Shiv Jaanat Aviveka।
Pranvaakshar Madhye
Ye Teeno Eka॥

Om Jai Shiv Omkara

Trigun Shivji Ki Aarti
Jo Koi Nar Gaavey।
Kahat Shivanand Swami
Manvaanchit Phal Paavey॥

Om Jai Shiv Omkara

Om Jai Shiv Omkara
Swami Jai Shiv OmKara।
Brahma Vishnu Sadashiv
Ardhaangi Dhaara॥

Om Jai Shiv Omkara

Disclaimer : Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी की आस्था को ठेस पहुंचना नहीं चाहता। ऊपर पोस्ट में दिए गए उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता और जानकारियों के अनुसार, और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि (https://bhaktibharatki.com/) किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करता। शिवजी की आरती के उच्चारण, किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। शिवजी की आरती का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है।

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