बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व
बुद्ध पूर्णिमा की आप सभी को हार्दिक बधाई
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व : भगवान बुद्ध के नाम से हर कोई परिचित हैं, दुनिया में शायद ही ऐसा कोई इंसान होगा जो बुद्ध्र को नहीं जानता, बावजूद बहुत ही कम लोगों को पता है कि, बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है? पोस्ट के जरिए आज हम आपको बुद्ध पूर्णिमा क्या है? इसका क्या महत्व है? यह शिक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? इस संबंध में विस्तार पूर्वक संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाएंगे।
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध कैलेंडर में सबसे पवित्र तिथि है। बुद्ध पूर्णिमा भारत वर्ष में वैषाखा या विशाखा पूजा के रूप में प्रसिद्ध है। बताते चलें कि, बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञानोदय और उनके निधन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। तो दोस्तों चलिए देर ना करते हुए शुरू करते हैं बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है।
बुद्ध पूर्णिमा क्या है – What is Buddha Purnima in Hindi
बुद्ध पूर्णिमा को पूरे विश्व में बुद्ध जयंती के रूप में भी जाना जाता है। यह भगवान बौद्ध को मनाने वालों का प्रमुख पर्व है। बुद्ध पूर्णिमा को भगवान बुद्ध के स्मरण के रूप में मनाया जाता है। यह वैशाख में पूर्णिमा की रात (हिंदू कैलेंडर के अनुसार जो आमतौर पर अप्रैल या मई) में पड़ता है। लॉर्ड बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। बौद्ध धर्म को मनाने वाले इन्हें भगवान विष्णु का नौवां अवतार मानते हैं।
बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं उनका जन्म, उनका जन्म और उनकी मृत्यु (निर्वाण)। पौराणिक मान्यता है कि, भगवान गौतम बुद्ध ने आत्मज्ञान प्राप्त किया और उसी दिन उनका निधन हो गया था। बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है।
गौतम बुद्ध कौन थे?
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में सिद्धार्थ गौतम के रूप में हुआ था। वह एक वास्तविक ऐतिहासिक व्यक्ति थे, जो कि शाकाल के एक राजकुमार थे, जो आधुनिक भारत और नेपाल की सीमा से लगे एक छोटे से राज्य के लोग थे। वह समृद्धि और सामाजिक सुधार के समय में रहते थे। 16 वर्ष की आयु में, सिद्धार्थ ने एक सुंदर महिला से शादी की और उनका एक बेटा था।
उनके जीवन में मोड़ तब आया जब सिद्धार्थ सत्ताईस वर्ष के थे और उन्होंने महल के मैदान के बाहर विचरण किया। वह संसार (वृद्धावस्था, बीमारी और मृत्यु) के कष्टों से घिर गए, अपनी पत्नी, पुत्र और धन को छोड़कर आत्मज्ञान की तलाश में भटकता तपस्वी बन गए।
वह कई स्थानों पर भटकते रहें और आखिर में 45 वर्ष की आयु में वह बोधगया पहुंचे, जहाँ वह एक पेड़ के नीचे बैठे थे। उन्होंने शपथ ली कि वह तब तक नहीं उठेंगे जब तक उन्हें आत्मज्ञान नहीं मिल जाता। करीब 31 दिनों के एकांत साधना के बाद उन्होंने निर्वाण, स्थायित्व की स्थिति प्राप्त की, वह इस प्रकार बुद्ध बन गए।
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है?
वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान् बुद्ध का जन्म लुंबिनी में हुआ था, जो बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध के नाम से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए। गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा के दिन होने के कारण इस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। भगवान बुद्ध ने सत्य की खोज के बाद लोगों को उपदेश दिए, उन उपदेशों को हमें याद रखना चाहिए।
बुद्ध पूर्णिमा कब मनाया जाता है?
दोस्तों यदि आप भी जानना चाहते हैं की बुद्ध पूर्णिमा कब मनाया जाता है, तो आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा (Vaishakha Purnima) को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 को बुद्ध पूर्णिमा 05 मई को है।
बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 05 मई 2023 को सुबह 04 बजकर 10 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 06 मई 2023 को सुबह 02 बजकर 41 मिनट तक
स्नान मुहूर्त – सुबह 04.10 – सुबह 04.55
सत्यनारायण पूजा मुहूर्त – सुबह 07:18 – सुबह 08:58
चंद्रोदय को अर्घ्य देने का समय – शाम 06.45
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त – 05 मई 2023, रात 11:56 – 06 मई 2023, प्रात: 12:39
बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या-क्या कार्य नहीं करना चाहिए?
चलिए अब जानते हैं की बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या-क्या कार्य नहीं करना चाहिए। किन चीज़ों को आपको भूल से भी बुद्ध पूर्णिमा पर न करें।
- दोस्तों ध्यान रहे कि, कभी भी बुद्ध पूर्णिमा के दिन मांस (Non Veg) का सेवन नहीं करना चाहिए।
- पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार का कलह घर में नहीं करना चाहिए।
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन किसी को भी अपशब्द कहने से बचना चाहिए।
- इस दिन स्वयं को और औरों को झूठ बोलने से बचना चाहिए।
Also Read: मोहिनी एकादशी 2023
वैशाख पूर्णिमा यानी बुद्ध पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध के बीज मंत्र का जाप करें।
॥ Om Mani Padme Hum ॥
॥ ॐ मणि पदमे हूम् ॥
- Om – Controls one’s Ego -अहंकार को नियंत्रित करता है।
- Ma – Purifies one’s Jealousy -ईर्ष्या को शुद्ध करता है।
- Ni – Controls one’s Desires -इच्छाओं को नियंत्रित करता है।
- Pad – Purifies one’s Ignorance -अज्ञान को शुद्ध करता है।
- Me – Controls one’s Greed -लालच को नियंत्रित करता है।
- Hum – Lessens one’s Aggression -आक्रामकता को कम करता है।
ॐ मणि पदमे हूम् का अर्थ:
- ओम (Om) का अर्थ है ब्रह्मांड में व्याप्त ज्ञानोदय की संभावना
- मणि (Mani) का अर्थ है (Jewel) गहना
- पद्मे (Padme) का अर्थ है (Lotus) कमल
- हुम् (Hum) का अर्थ है आंनद
Disclaimer : Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी की आस्था को ठेस पहुंचना नहीं चाहता। ऊपर पोस्ट में दिए गए उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता और जानकारियों के अनुसार, और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करता। मंत्र के उच्चारण, किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। मंत्र का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है।
Read More:
Green Tara Mantra
Black Tara Mantra
White Tara Mantra
Yellow Tara Mantra
ISKCON Ekadashi Calendar