November 15, 2025
Stotram

नमामि ते गजाननं | श्री गणेश स्तुति | Shree Ganesh Stuti | Namami Te Gajananam

Namami Te Gajananam

नमामि ते गजाननं | श्री गणेश स्तुति | Shree Ganesh Stuti | Namami Te Gajananam: दोस्तों नमस्कार, आज हम आपको इस लेख के जरिए नमामि ते गजाननं स्तुति के बारे में बात करेंगे। नमामि ते गजाननम – यह एक सुंदर संस्कृत स्तोत्र जो भगवान गणेश जी को समर्पित है। जो विद्या, विजय, सिद्धि और शुभ कार्यों के देवता के रूप में माना जाता है। हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य श्री गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। इस श्लोक में भगवान गणपति के दिव्य गुणों और स्वरूप की वर्णन किया गया है। जो सभी बाधाओं के विनाशक और समृद्धि के दाता हैं। जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। जो हर कार्य में आने वाली विपदाओं को दूर करके उसे शुभता प्रदान करते हैं। जो अपने भक्तों को भौतिक सुख (भुक्ति) और परम मोक्ष (मुक्ति) प्रदान करते हैं। मैं उन विघ्नहर्ता, शुभकर्ता भगवान् गजानन की वन्दना करता हूं। मैं उन गणनायक गजानन गणेश जी को गजमुखाय नम: मंत्र के साथ दूर्वादल अर्पित करता हूं।

Namaami Te Gajaananan

Namami Te Gajananam

Namaami Te Gajaananan Anant Mod Daayakam
Samast Vighn Harakan Samast Agh Vinaashakam
Mudaakaran Sukhaakaran Mam Priy Ganaadhipam
Namaami Te Vinaayakan Hrd Kamal Nivaasinam ॥1॥

Bhukti Mukti Daayakan Samast Klesh Vaarakam
Buddhi Bal Pradaayakan Samast Vighn Harakam
Dhoomavarn Shobhanan Ek Dant Mohanam
Bhajaami Te Krpaakaran Mam Hrday Virinam ॥2॥

Gajavadan Shobhitan Modakan Sada Priyam
Vakratund Dhaarakan Krshnapichchh Mohanam
Vikataroop Dhaarinan Devavrnd Vanditam
Smaraami Vighnahaarakan Mam Bandh Mochakam ॥3॥

Suraanaan Pradhaanan Mooshak Vaahanam
Riddhi Siddhi Sanyutan Bhaalachandr Shobhanam
Gyaaninaan Bujurgan Isht Phal Pradaayakam
Sada Bhaavayaami Tvaan Sagun Roop Dhaarinam ॥4॥

Sarv Vighn Harakan Samast Vighn Varjitam
Vikat Roop Shobhanan Manoj Darpamaradanam
Sagun Roop Mohanan Gunatray Ghatanaam
Namaami Te Namaami Te Mam Priy Ganesham ॥5॥

नमामि ते गजाननं

नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम्
समस्त विघ्न हारकं समस्त अघ विनाशकम्
मुदाकरं सुखाकरं मम प्रिय गणाधिपम्
नमामि ते विनायकं हृद कमल निवासिनम्॥१॥

भुक्ति मुक्ति दायकं समस्त क्लेश वारकम्
बुद्धि बल प्रदायकं समस्त विघ्न हारकम्
धूम्रवर्ण शोभनं एक दन्त मोहनम्
भजामि ते कृपाकरं मम हृदय विहारिणम्॥२॥

गजवदन शोभितं मोदकं सदा प्रियम्
वक्रतुण्ड धारकं कृष्णपिच्छ मोहनम्
विकटरूप धारिणं देववृन्द वन्दितम्
स्मरामि विघ्नहारकं मम बन्ध मोचकम्॥३॥

सुराणां प्रधानं मूषक वाहनम्
रिद्धि सिद्धि संयुतं भालचन्द्र शोभनम्
ज्ञानिनां वरिष्ठं इष्ट फल प्रदायकम्
सदा भावयामि त्वां सगुण रूप धारिणम् ॥४॥

सर्व विघ्न हारकं समस्त विघ्न वर्जितम्
विकट रूप शोभनं मनोज दर्प मर्दनम्
सगुण रूप मोहनं गुणत्रय अतीतम्
नमामि ते नमामि ते मम प्रिय गणेशम्॥५॥

Credit the Video: SswarNibedita Music Classes by Nibedita Sabat YouTube Channel

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