Credit the Video : Bhakti Bharat Ki YouTube Channel
Om Chanting | ओम का अर्थ, उत्पत्ति, महत्व, उच्चारण, जप करने का तरीका और चमत्कार : दोस्तों नमस्कार, आज हम इस लेख के जरिए ओम का अर्थ, उत्पत्ति, महत्व, उच्चारण, जप करने का तरीका और चमत्कार पर प्रकाश ड़ालेंगे। हिंदू धर्म के अनुसार, ओम को ब्रह्मांड का प्रथम ध्वनि, प्रणव शब्द कहते हैं। ओम शब्द वो बीज है, जिससे दुनिया की सारी ध्वनियां और शब्दों का निर्माण हुआ है।
ओम का अर्थ:
ओम शब्द अ उ म तीन अक्षरों वाले ध्वनियों से मिलकर बना हुआ है। जो ‘अ’ शुरुआत : (प्रारम्भ या आरम्भ), ‘उ’ मध्य: (मध्यवर्ती या बीच) म’ अंत: (समाप्ति या अवसान) है। ओम शब्द जो पांच अवयव- ‘अ’ से अकार, ‘उ’ से उकार एवं ‘म’ से मकार, ‘नाद’ और ‘बिंदु’ इन पांचों को मिलाकर ओम एकाक्षरी मंत्र बनता है। जिसका उच्चारण ओ अक्षर की ध्वनि का कंपन नाभि में ऊ अक्षर की ध्वनि का कंपन माथे में और म अक्षर की ध्वनि का कंपन गले में महसूस होना चाहिए।
अ मतलब अकार : (सृष्टि – उत्पन्न होना) जो ब्रह्मा का वाचक है, जो कंठ से निकलता है, शरीर के निचले हिस्से में (पेट के करीब) कंपन करता है।
उ मतलब उकार : (स्थिति – उठना यानी विकास) जो विष्णु का वाचक है, जो हृदय को प्रभावित करता है, शरीर के मध्य भाग में (छाती के करीब) कंपन होती है।
म मतलब मकार : (संहार – मौन हो जाना यानी कि ब्रह्मलीन हो जाना) जो रुद्र का वाचक है, जो नाभि में प्रभावित करता है, शरीर के ऊपरी भाग में (मस्तिक यानी तालुमध्य में) कंपन होता है।
इसी प्रकार से जब ब्रह्मग्रंथि, विष्णुग्रंथि और रुद्रग्रंथि का छेदन होता है, तब ये तीनों अक्षर “अ”, “उ” और “म” मिलकर “ॐ” शब्द बनाते हैं। जो शब्द स्वयं ब्रह्मा, विष्णु व महादेव का प्रतिनिधित्व करते है। इस प्रकार, “ॐ” शब्द जो हमें ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के साथ एकता, एकत्रिता और अद्वैत तत्व का अनुभव कराता है। यह अनंतता, परिपूर्णता और अमूल्यता का प्रतीक है जो हमें आत्मज्ञान और अनंत शक्ति की प्राप्ति में मार्गदर्शन करता है।
पहला शब्द है ‘अ’ जो कंठ से निकलता है। दूसरा है ‘उ’ जो हृदय को प्रभावित करता है। तीसरा शब्द ‘म्’ है जो नाभि में कम्पन करता है। विशेषकर मस्तिष्क, हृदय व नाभि केंद्र में कम्पन होने से उनमें से ज़हरीली वायु तथा व्याप्त अवरोध दूर हो जाते हैं, जिससे हमारी समस्त नाड़ियाँ शुद्ध हो जाती हैं। जिससे हमारा आभामण्डल शुद्ध हो जाता है, और हमारे अन्दर छिपी हुई सूक्ष्म शक्तियाँ जागृत होती व आत्म अनुभूति होती है।
यह ओम ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। हमारा पृथ्वी मंडल, गृह मंडल, अंतरिक्ष मंडल तथा सभी आकाश गंगाओं की गतिशीलतास से उत्पन्न महान शोर ही ईश्वर की प्रथम पहचान प्रणव अक्षर ‘ओम’ है।
यह भूः – भूलोक, भू मंडल
यह भुवः – अंतरिक्ष लोक, गृह मंडल
यह स्वः – स्वर्ग लोक, अंतरिक्ष में भगति हुई आकाश गंगाएँ
इसे भी पढ़े : समस्त कष्टों से मुक्ति के लिए ॐ कृष्णाय वासुदेवाय मंत्र
ओम का उत्पत्ति:
हमारे ऋषि मुनियों ने अपनी ध्यान की गहराई अबस्था में सुना कि ब्रह्मांड में कोई एक ऐसी उच्चतम ध्वनि है, जो लगतार सुनै देती है, जो हमें शरीर के भीतर और बहार परम सत्य और अद्वैत का अनुभव करता है। उन्होंने इस ध्वनि को नाम दिया ॐ, जिसे नाद कहा गया है। जो संपूर्ण ब्रह्मांड के कण कण में है, अंतरिख्य में है, मनुष्य के भीतर भी है।
इसे भी पढ़े : भजगोविन्दं भजगोविन्दं गोविन्दं भज मूढमते
ओम का महत्व:
आध्यात्म में ॐ का विशेष महत्त्व है, ॐ से शरीर, मन, मस्तिष्क में परिवर्तन होता है और वह स्वस्थ हो जाता है। यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है। विशेषकर मस्तिष्क, हृदय व नाभि केंद्र में कम्पन होने से उनमें से ज़हरीली वायु तथा व्याप्त अवरोध दूर हो जाते हैं, जिससे हमारी समस्त नाड़ियाँ शुद्ध हो जाती हैं। जिससे हमारा आभामण्डल शुद्ध हो जाता है, और हमारे अन्दर छिपी हुई सूक्ष्म शक्तियाँ जागृत होती व आत्म अनुभूति होती है।
यह भी देखें: Om Krishnaya Vasudevaya Haraye
ओम का उच्चारण:
ओम का उच्चारण शांति, स्थिरता और आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। ओम का उच्चारण अपने अंतकरण (शरीर की गहराई) से करना चाहिए। जब आप इस तरह से उच्चारण करेंगे तो आपको ओम शब्द की ध्वनि का उच्चारण ओ अक्षर की ध्वनि का कंपन नाभि, ऊ अक्षर की ध्वनि का कंपन माथे और म अक्षर की ध्वनि का कंपन गले में महसूस हो। ॐ का उच्चारण न सिर्फ़ ऊर्जा शक्ति का संचार करता है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाकर कई असाध्य बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है। ॐ के उच्चारण से फेफड़ों में, हृदय में स्वस्थता आती है। शरीर, मन और मस्तिष्क स्वस्थ और तनावरहित हो जाता है।
इसे भी पढ़े : अमृत है हरि नाम जगत में
ओम जप करने का तरीका:
ओम केवल एक जप नहीं, यह एक प्रकार का श्वास लेने और छोड़ने जैसा प्राणायाम है। हम ध्वनि को सांस के साथ जोड़ते हैं, और हमारे शरीर को ऊर्जावान बनाते हैं। जब आप ओम का जाप करें तो यंत्रवत् जाप न करें।ओंकार ध्वनि का उच्चारण ध्यान करने से पहले 5, 7, 10, 21 बार करना चाहिए।
पहले प्रातः उठकर पवित्र होकर, सूर्योदय के समय, एक शांत जगह पर, आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं। आप पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठ सकते हैं। रीढ़ की हड्डी बिना सहारे के और आराम से खड़ी होनी चाहिए। कमर, पीठ, सिर और गर्दन को बिलुकल सीधा रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को अपनी दोनों जाघों पर रखले। आंखें बंद करके गहरी सांसे लेते हुए ॐ का उच्चारण करें। जब आप जप करें तो अपने मन को अपनी सांसों पर रखें, अपनी सांसों को ध्वनि पर रखें। शरीर में ध्वनि के कंपन को महसूस करें। जब हम ओम का उच्चारण करते हैं, तो हम इसे तीन अलग-अलग भागों अ-उ-म (A-U-M) में जपते हैं, यही ओम की वास्तविक ध्वनि है। इस ध्वनि का कंपन शरीर के सभी प्रमुख सात चक्रों को ऊर्जा प्रदान करता है।
अपनी आंखें बंद करें श्वास लें अअअ (Close your eyes Inhale Aaa) :
अअअ ध्वनि हमारे पेट से आती है, इसलिए आपके निचले चक्र सक्रिय हो जाते हैं। अपना ध्यान ध्वनि पर रखें और शरीर के निचले क्षेत्र पर कंपन महसूस करें। (Sound Aaa comes from our belly, so your lower Chakras get activated. Keep your mind on the sound and feel the vibration on the lower region of the body).
अपनी आंखें बंद करें श्वास लें उउउ (Second sound Inhale Uuu) :
उउउ ध्वनि शरीर के मध्य क्षेत्र को कंपन करती है और हमारे मध्य चक्रों को सक्रिय करने वाले कंपन को महसूस करती है। (Sound Uuu vibrates the middle region of the body and feel the vibrations energizing our middle Chakras).
अंतिम ध्वनि ममम है (Last sound Inhale Mmm) :
ममम ध्वनि हमारे ऊपरी क्षेत्र में कंपन पैदा करती है, इसलिए ऊपरी चक्र कंपन करते हैं। अंतः ये तीन ध्वनियाँ अ-उ-म कंपन हमारे निचले चक्रों में शुरू होती हैं और हमारे उच्च चक्रों की ओर बढ़ती हैं। कंपन हमारे पूरे शरीर और मन को ऊर्जावान बना देता है। आप उस ऊर्जा के घूर्णन को महसूस करते हैं। (Sound Mmm creates the vibration in our upper region, so upper Chakras get vibrated. Finally these three sounds A-U-M vibrations start in our lower Chakras and move towards our Higher Chakras. The vibrations energizes our whole body and mind. You feel the rotation of that energy)
इसे भी पढ़े : मौन का रहस्य
ओम का चमत्कार:
जब हम साधना के माध्यम से ध्यान की गहराईयों तक पहुंचते हैं, तो हमें इस ध्वनि का अनुभव होता है, जो हमारे मन, शरीर और आत्मा को शुद्धता, शांति, ध्यान, धारणा और समाधि की अवस्था में ले जाती है। इसकी जाप करने से हम अपने मन को एकाग्र करके आनंद और अद्वैत स्वरूप का अनुभूति देती है। “ॐ” की ध्वनि साधकों को आध्यात्मिक उन्नति, ज्ञान और मुक्ति की ओर प्रेरित करती है। शिव पुराण में मान्यता है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति नाद और बिंदु के मिलन से हुई है। यहां “नाद” का अर्थ है ध्वनि और “बिंदु” का अर्थ है शुद्ध प्रकाश। संपूर्ण ब्राह्मण और कुछ नही, सिर्फ कम्पन, ध्वनि और प्रकाश की उपस्थति ही है। जहां जितनी ऊर्जा होगी, वहां उतनी देर तक जीवन होता है। धीरे-धीरे सब कुछ बोलिन हो जाने बाला है। बस नाद और बिंदु ही बचेंगे। बिंदु जो स्वयं ईश्वर रूप है और नाद सदाशिवरूपी है। भूमि के वाच्य शिव हैं, जो सदाशिव से ऊपर तथा परमशिव से नीचे रहते हैं। इस प्रकार ब्रह्मा से शिवपर्यन्त छह कारणों का उल्लंघन हो जाने पर अखंड परिपूर्ण सत्ता में स्थिति हो जाती है।
Om Chanting
॥ AUM ॥
ओम चांटिग
॥ ओ३म् ॥
॥ ॐ ॥
Credit the Video : Bhakti Bharat Ki YouTube Channel
Credit the Video : Bhakti Bharat Ki YouTube Channel
Credit the Video : Bhakti YouTube Channel
Credit the Video : Bhakti YouTube Channel
Disclaimer : Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी की आस्था को ठेस पहुंचना नहीं चाहता। ऊपर पोस्ट में दिए गए उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता और जानकारियों के अनुसार, और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि (https://bhaktibharatki.com/) किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करता। मंत्र के उच्चारण, किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। मंत्र का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है।
हमारे बारें में : आपको Bhakti Bharat Ki पर हार्दिक अभिनन्दन। दोस्तों नमस्कार, यहाँ पर आपको हर दिन भक्ति का वीडियो और लेख मिलेगी, जो आपके जीवन में अदुतीय बदलाव लाएगी। आप इस चैनल के माध्यम से ईश्वर के उपासना करना (जैसे कि पूजा, प्रार्थना, भजन), भगवान के प्रति भक्ति करना (जैसे कि ध्यान), गुरु के चरणों में शरण लेना (जैसे कि शरणागति), अच्छे काम करना, दूसरों की मदद करना, और अपने स्वभाव को सुधारकर, आत्मा को ऊंचाईयों तक पहुंचाना ए सब सिख सकते हैं। भक्ति भारत की एक आध्यात्मिक वेबसाइट, जिसको देखकर आप अपने मन को शुद्ध करके, अध्यात्मिक उन्नति के साथ, जीवन में शांति, समृद्धि, और संतुष्टि की भावना को प्राप्त कर सकते। आप इन सभी लेख से ईश्वर की दिव्य अनुभूति पा सकते हैं। तो बने रहिये हमारे साथ:
बैकलिंक : यदि आप ब्लॉगर हैं, अपनी वेबसाइट के लिए डू-फॉलों लिंक की तलाश में हैं, तो एक बार संपर्क जरूर करें। हमारा वाट्सएप नंबर हैं 9438098189.
विनम्र निवेदन : यदि कोई त्रुटि हो तो आप हमें यहाँ क्लिक करके E-mail (ई मेल) के माध्यम से भी सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।
सोशल मीडिया : यदि आप भक्ति विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं, तो आपको Bhakti Bharat Ki संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। इस ज्ञानवर्धक वेबसाइट को अपनें मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें। उनके लिंक हैं:
कुछ और महत्वपूर्ण लेख:
Hari Sharanam
नित्य स्तुति और प्रार्थना
Om Damodaraya Vidmahe
Rog Nashak Bishnu Mantra
Dayamaya Guru Karunamaya