27.1 C
Bhubaneswar
July 27, 2024
Phool

Parijat Ke Phool | पारिजात का फूल किस भगवान को चढ़ाए जाते हैं, जानिए महत्व और प्रयोग

Parijat Ke Phool | पारिजात का फूल किस भगवान को चढ़ाए जाते हैं, जानिए महत्व और प्रयोग: पारिजात के फूल सबसे अधिक सुगंध देने वाली फूलों में प्रमुख स्थान रखता हैं। इसे अलग अलग स्थानों पर विभिन्न नामों से जाना जाता हैं जैसे महाराष्ट्र में इसे पारिजातक, बंगाल में इसे शेफालिका या फिर शिउली, तमिलनाडु में पवलमल्लिकै या मज्जपु कहा जाता हैं। कर्नाटक में पारिजात एवं उर्दू में गुलजाफरी कहते हैं। पारिजात वृक्ष देखने में काफी सुंदर और मनमोहक लगते हैं। इसकी ऊँचाई 10 से 20 फ़ीट तक होती है कही कहीं तो 30 फ़ीट तक भी हो जाती हैं। भारत मे लगभग सभी स्थानों पर पारिजात वृक्ष पाए जाते हैं। खास कर के मध्य भारत एवं हिमालय के तराई में बहुतायत मात्रा में पाए जाते हैं। यह फूल औषधीय गुणों से परिपूर्ण होते हैं। पारिजात के बृक्ष धार्मिक मान्यताओं से संबंधित एवं देवताओं की पहली पसंद माने जाते हैं। पारिजात के फूल को हरसिंगार या फिर रात के रानी के नाम से भी जाना जाता हैं।

आखिर धरती पर कैसे आया पारिजात फूल का पौधा : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुन्द्र मंथन के दौरान यह अनमोल बृक्ष समुद्र से निकला था जिसे देवराज इंद्र को दे दिया गया था। बाद में भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा जी द्वारा इंद्र से इस पौधे को प्राप्त करने की जिद्द के कारण कृष्ण जी द्वारा इंद्र से युद्ध जीत कर इस पारिजात के पौधे को स्वर्ग से पृथ्वी पर भी लाया गया।

किस भगवान को पारिजात का फूल चढ़ाया जा सकता हैं:

वैसे तो पारिजात का फूल सभी पूजन विधियों में प्रयोग किया जा सकता हैं लेकिन प्रमुख रूप से माता लक्ष्मीजी को यह काफी पसंद हैं। लक्ष्मी जी को श्रद्धा से पारिजात के फूल अर्पित करने से कभी भी धन की कमी नहीं होती हैं। तभी तो जहाँ पारिजात का वृक्ष होता हैं वहाँ माता लक्ष्मी का वास होता हैं। भगवान विष्णु के पूजन या उनके श्रृंगार विधियों में पारिजात के फूल का उपयोग करने से भगवान प्रसन्न (happy) होते हैं। तभी तो इस फूल को हरसिंगार यानी हरि का श्रृंगार कहाँ जाता हैं। भगवान श्री गणेशजी को भी यह फूल बहुत ही प्रिय हैं। गणेश चतुर्थी के दिन पारिजात का फूल उनको अर्पित किया जा सकता हैं। पारिजात का फूल ही एकमात्र ऐसा फूल हैं जो पेड़ से धरती पर गिरने के बाद भी भगवान को चढ़ाया जा सकता हैं।

पारिजात के वृक्ष के विशेष महत्व:

जहाँ कही भी पारिजात का बृक्ष पाया जाता हैं वहाँ का वातावरण सुखमय और सुगंधित हो जाता हैं। माना जाता हैं कि पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से ही मन को शांति और थकान की समाप्ति हो जाती हैं। पारिजात का फूल ही एक मात्र फूल है जो जमीन पर टूट कर गिर जाने के बाद भी अपनी सुगंध को कभी नहीं खोता हैं हमेशा सुगंध देता रहता हैं।पारिजात के वृक्ष के संपर्क में लंबे समय तक रहने पर आयु लंबी होती हैं। मान्यता हैं कि स्वर्ग में इस बृक्ष को छूने का अधिकार सिर्फ नर्तकी उवर्शी को हैं वो इसे छू कर अपनी थकान को दूर करती थीं ।

पारिजात के पौधे का वास्तुदोष में प्रयोग:

पारिजात का वृक्ष जिसके भी घर या उससे आसपास होता हैं वो उस घर के सारी वास्तु दोषों को हरण कर लेता हैं। सुख, समृद्धि, यश और वैभव को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। वह स्थान देवी देवताओ का निवास स्थान बन जाता हैं। तभी तो आपको याद होगा कि अयोध्या में रामजन्म भूमिपूजन में प्रधानमंत्री राममंदिर परिसर में परिसर में पारिजात के वृक्ष को लगाया था ।

पारिजात के फूल का औषधीय प्रयोग:

हृदय रोगों में पारिजात के फूल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । हृदय रोग से संबंधित व्यक्ति को रोज 16 – 20 फूल या फिर उसके रस का सेवन करना चाहिए। सर्दी बुखार और खांसी में भी इस फूल के पत्ते का सेवन किया जा सकता हैं। शुगर और बार बार यूरिन के समस्या से ग्रस्त व्यक्ति भी पारिजात के फूल के बीजों का सेवन करता हैं तो उसे लाभ मिलेगा। ध्यान रहे ये सारी चीज़ें आयुर्वेदिक डॉक्टर के सलाह के उपरांत ही करना चाहिए ।

पारिजात के फूल को रात का रानी क्यों कहा जाता हैं : पारिजात के फूल सर्दियों में विस्तृत रूप से अपने पूरे आकार में खिलते हैं। पारिजात के फूल वृक्ष पर हमेशा रात को ही खिलते हैं और सुबह धरती पर गिरे मिलते हैं। रात में खिलने के कारण ही इस फूल को ‘रात की रानी’ कहा गया हैं ।

पारिजात का वृक्ष कैसे लगाएं: बारिश के मौसम में पारिजात के वृक्ष को लगाने का सबसे अनुकूल समय हैं। शुरुआत में अपने नजदीकी नर्सरी से अच्छा सा एक पारिजात के पौधे को लाये और उसके जड़ को जमीन में मिट्टी के साथ गाड़ दे। समय समय पानी देते रहे लेकिन ध्यान रहे ज्यादा पानी भी न दे। धूप भी पौधे के पास कम समय के लिए आनी चाहिए वैसे भी और कुछ ज्यादा करने की जरूरत नहीं है। यह पौधा बहुत जल्दी बढ़ता हैं और एक वर्ष के अंदर ही फूल भी देने लगता हैं और आपके घर को सुगंधितमय बना कर वास्तु दोषों को दूर कर देता हैं।

Disclaimer : Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी की आस्था को ठेस पहुंचना नहीं चाहता। ऊपर पोस्ट में दिए गए उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता और जानकारियों के अनुसार, हिंदू धर्म ग्रंथों को पढ़ने के बाद, और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करता। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। पूजन और फूल चढ़ाने को लेकर यदि आपके मन में कोई शंका हैं तो पहले उसका निदान करें। पारिजात के फूल चढ़ाना या ना चढ़ाना आपके विवेक पर निर्भर करता है।

कुछ और महत्वपूर्ण लेख:

Hari Sharanam
नित्य स्तुति और प्रार्थना
Om Damodarai Vidmahe
Rog Nashak Bishnu Mantra
Dayamaya Guru Karunamaya

Related posts

शमी का फूल किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं | शमी पत्र चढ़ाने का मंत्र | शमी पूजन मंत्र

bbkbbsr24

Phool Chadhane Ke Niyam | फूल चढ़ाने के नियम

bbkbbsr24

कुंद का पुष्प किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं

bbkbbsr24