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November 22, 2024
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चार मुखी रुद्राक्ष की पहचान का तरीका जानें | Significance of Four Mukhi Rudraksha

चार मुखी रुद्राक्ष की पहचान का तरीका जानें | Significance of Four Mukhi Rudraksha

चार मुखी रुद्राक्ष का महत्व । Significance of Four Mukhi Rudraksha: 4 मुखी रुद्राक्ष सृष्टि के स्वामी भगवान ब्रह्मा जी का प्रतिनिधित्व करता है। बताते चले कि, रुद्राक्ष के अधिपति देवता ब्रह्मा जी और अधिपति देवी सरस्वती मानी जाती है। वहीं रुद्राक्ष के अधिपति ग्रह बुध देव हैं। इसका अर्थ है कि रुद्राक्ष ब्रह्मा जी के समान रचनात्मक, सरस्वती के समान ज्ञानी और कलात्मक गुणों से परिपूर्ण है। रुद्राक्ष विद्यार्थी वर्ग के लिए हितकारी हैं। आसान शब्दों में कहा जाएं, तो चार मुखी रुद्राक्ष अध्यापन कार्य करने वाले विद्यार्थी वर्ग, शिक्षक, कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए सबसे उत्तम है। जैसा कि हम सभी को विधित है कि, rudraksh का उद्भव भगवान शिव के अश्रुओं (आंसू) से हुआ है इसलिए यह भगवान शंकर को बेहद प्रिय है। लेकिन रुद्राक्ष के हर मुख में किसी न किसी देवी-देवता और ग्रह का वास है। जिसके फलस्वरूप प्रत्येक रुद्राक्ष की विशेषताएं बदल जाती हैं। आज हम पोस्ट के जरिए आपको चार मुखी रुद्राक्ष के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने वाले हैं।

4 मुखी रुद्राक्ष के फायदे ( 4 mukhi rudraksha benefits in hindi )
आइये संक्षिप्त रूप में जानते हैं, चार मुखी रुद्राक्ष के लाभ :

1. इसे धारण करने से संचार कौशल के विकास और आत्मविश्वास में बढ़ावा मिलता है।

2. चार Mukhi Rudraksha Ke Fayde में एक लाभ यह भी है कि इससे व्यक्ति में तार्किक और बौद्धिक क्षमता तेजी से बढ़ने लगती है।

3. यह Rudraksh अध्यापन कार्य में लगे स्कूली विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी है।

4. Char Mukhi Rudraksha विद्यार्थी, शिक्षकों, लेखकों और शोधकर्ताओं के कौशल में असीम वृद्धि करता है।

5. बुध ग्रह से संबंधित दोषों वाले जातकों को यह रुद्राक्ष अवश्य पहनना चाहिए।

चार मुखी रुद्राक्ष कैसे धारण करें? ( How to wear four mukhi rudraksha? )

1. Rudraksh ki mala को धारण करने के लिए सबसे उत्तम दिन सोमवार माना जाता है।

2. इस दिन भगवान शंकर का पूजन कर, शिवलिंग पर जल अर्पित करें।

3. इसके बाद भगवान शंकर का नाम लेकर आसन पर बैठ जाए और चार मुखी रुद्राक्ष के धारणीय मंत्र का 108 बार जाप करें।

चार मुखी रुद्राक्ष का मंत्र : धारण मंत्र- ‘ॐ ह्रीं नम:’

4. अब चार मुखी रुद्राक्ष को मन्त्रों का उच्चारण करते हुए रुद्राक्ष माला धारण करें।

5. दोस्तों इस बात का ध्यान रहे कि रुद्राक्ष धारण करने के बाद भगवान शिव की नियमित रूप से पूजा अवश्य की जानी चाहिए।

इसे भी पढ़ेंः शमी का फूल किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं

4 मुखी रुद्राक्ष की पहचान ( Identification of Four mukhi rudraksha )

1. असली चार मुखी रुद्राक्ष को पहचानने का सबसे पहला तरीका है उसमें निर्मित धारियों को पर गौर करना। इस रुद्राक्ष की पहचान ही चार धारियां है।

2. 4 मुखी रुद्राक्ष में विद्युत चुंबकीय तत्वों का समावेश होता है इसलिए जब इसे दो सिक्कों के बीच रखा जाता है तो इसमें एक ऊर्जा यानि की गति देखने को मिलती है। उस गति के चलते यह खुद-ब-खुद किसी भी दिशा में मुड़ने लगता है। आप इस परिक्षण को घर में इस्तेमाल में लाए जाने वाले सिक्कों से करके देख सकते हैं।

3. रुद्राक्ष को जब शुद्ध जल के भीतर डाला जाए तो वह ऊपर नहीं तैरता बल्कि जल में भीतर जाकर बैठ जाता है।

4 मुखी रुद्राक्ष कौन पहन सकता है? ( Who can wear Four Mukhi Rudraksha? )

4 मुखी रुद्राक्ष को विद्यार्थी वर्ग, शिक्षक, कला के क्षेत्र में कार्य करने वाले जातक धारण कर सकते हैं।

4 मुखी रुद्राक्ष कब पहनना चाहिए? ( When to wear Four Mukhi Rudraksha? )

4 मुखी रुद्राक्ष को पहनने के सबसे शुभ दिन सोमवार का माना जाता है क्योंकि रुद्राक्ष में भगवान शिव का वास माना जाता है।

किस राशि वालों को चार मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए?

यदि वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि और तुला राशि के लोग चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करते हैं तो यह उनको अत्यधिक लाभ पहुंचाएगा। चार मुखी रुद्राक्ष इन चार राशियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।

नोट : पोस्ट में दिए गए उपाय और रचना को इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर और शोधन कर लिखा गया है। रुद्राक्ष की पहचान के पूर्व किसी ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। रुद्राक्ष कब पहनना या ना पहनना आपके विवेक पर निर्भर करता है। रुद्राक्ष को लेकर यदि आपके मन में कोई शंका हैं तो पहले उसका निदान करें।

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