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Chandrasekhara Ashtakam | श्री चन्द्रशेखराष्टकम्: Chandrasekhara Ashtakam makes us realizes that one who takes the refuge of God Shiva will no longer be affected by untimely death as well as from difficulties. Chandrasekhara Ashtakam was the hymn sung by Markandeya Rishi who offered his prayers to God Shiva. In order to get away from the clutches of the Yama, the lord of death. The greatness of God shiva, his appearance, the protection offered to his devotees, along with the divine qualities of the Lord.
Chandrasekhara Ashtakam
Chandrasekhara Chandrasekhara Chandrasekhara Pahimam ।
Chandrasekhara Chandrasekhara Chandrasekhara Rakshamam ॥
Ratnasaanu Saraasanam, Raajataadri Sringa Niketanam
Sinjinee Krita Pannageswara, Machyutaanala Saayakam ।
Khipra Dagda Pura Trayam, Tridasaalayai Rabhivanditam
Chandrasekharamaasraye Mama Kim Karishyati Viyamah ॥ 1 ॥
Panchapaadapa Pushpagandhi Padambujadwaya Sobhitam
Phala Lochana Jaata Paavaka Dagda Manmatha Vigraham ।
Bhasma Digda Kalebaram Bhavanashanam, Bhavamavyayam
Chandrasekharamaasraye Mama Kim Karishyati Viyamah ॥ 2 ॥
Mattavaarana Mukhya Charma Kritottareeya Manoharam
Pankajaasana Padmalochana Poojiaanghri Saroruham ।
Devasindhu Taranga Seekra Siktha Subhra Jataadharam
Chandrasekharamaasraye Mama Kim Kartishyati Viyamah ॥ 3 ॥
Yaksharaaja Sakham Bhagakshaharam, Bhujanga Vibhooshnam
Sailaraja Sutaa Parishkrita Chaaru Vaama Kalebaram ।
Kshwela Neela Galam Paraswada Dhaarinam Mrigadhaarinam
Chandrasekharamaasraye Mama Him Karishyati Viyamah ॥ 4 ॥
Kundaleekrita Kundaleeswaara Kundalam Vrisha Vaahanam
Naaradaadi Muneeswara Stuta Vaibhavam Bhuvaneswaram ।
Andhakaanthakam Aasritaamara Padapam Samanaantakam
Chandrasekharamaasraye Mama Kim Karishyati Viyamah ॥ 5 ॥
Bheshajam Bhavaroginaam , Akhilaapadaamapahaarinam
Daksha Yagna Vinaananam Trigunaatmakam Trivilochanam ।
Bhukti Mukti Phalapradam Sakalaagha Sanghanibarhanam
Chandrasekharamaasraye Mama Kim Karishyati Why Yamah ॥ 6 ॥
Bhaktavatsala Marchitam Nidhimakshayam Haridambaram
Sarvabhootapatim Paraatpara Maprameya Manuttamam ।
Somavaarina Bhoohotaasana Somapaanilakhakritim
Chandrasekharamaasraye Mama Kim Karishyati Viyamah ॥ 7 ॥
Viswa Srishti Vidhyayinam , Punareva Paalana Tatparam
Samharanta Mapi Prapancha Masesha Loka Nivaasinam ।
Kreedayanta Maharnisam Gananatha Yootha Samamvitam
Chandrasekharamaasraye Mama Kim Karishyati Viyamah ॥ 8 ॥
Mrityubheeta Mrikanda Soonu Krita Stavam Siva Sannidhou
Yatrakruta Chayah Pathennahi Tasya Mrityu Bhavam Bhavet ।
Poornamaayurarogataa Makhitartha Smapada Maadharam
Chandrasekharamaasraye Mama Kim Karishyati Viyamah ॥ 9 ॥
॥ Iti Shri Chandrasekharashtakam Sampurnam ॥
श्री चन्द्रशेखराष्टकम्
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् ।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥
रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं
शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् ।
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 1 ॥
मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं
पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहं ।
देव सिन्धु तरङ्ग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 2 ॥
कुण्डलीकृत कुण्डलीश्वर कुण्डलं वृषवाहनं
नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरं ।
अन्धकान्तक माश्रितामर पादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 3 ॥
पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदाम्बुज द्वयशोभितं
फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहं ।
भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 4 ॥
यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजङ्ग विभूषणम्
शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् ।
क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 5 ॥
भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं
दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनं ।
भुक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ सङ्घ निबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 6 ॥
विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं
संहरं तमपि प्रपञ्च मशेषलोक निवासिनं ।
क्रीडयन्त महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 7 ॥
भक्तवत्सल मर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं
सर्वभूत पतिं परात्पर मप्रमेय मनुत्तमं ।
सोमवारिन भोहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं
चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्ति मयत्नतः ॥ 8 ॥
॥ इति श्री चन्द्रशेखराष्टकम् सम्पूर्णम् ॥
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରାଷ୍ଟକଂ
॥ ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରା ଅଷ୍ଟକମ୍ ॥
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖର ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖର ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖର ପାହି ମାମ୍ ।
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖର ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖର ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖର ରକ୍ଷ ମାମ୍ ॥ ୧॥
ରତ୍ନସାନୁଶରାସନଂ ରଜତାଦ୍ରିଶୃଙ୍ଗନିକେତନଂ
ସିଞ୍ଜିନୀକୃତପନ୍ନଗେଶ୍ୱରମଚ୍ୟୁତାନନସାୟକମ୍ ।
କ୍ଷିପ୍ରଦଗ୍ଧପୁରତ୍ରୟଂ ତ୍ରିଦିବାଲୟୈରଭିବନ୍ଦିତଂ
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରମାଶ୍ରୟେ ମମ କିଂ କରିଷ୍ୟତି ବୈ ଯମଃ ॥ ୨॥
ପଞ୍ଚପାଦପପୁଷ୍ପଗନ୍ଧପଦାମ୍ବୁଜଦ୍ୱୟଶୋଭିତଂ
ଭାଲଲୋଚନଜାତପାବକଦଗ୍ଧମନ୍ମଥବିଗ୍ରହମ୍ ।
ଭସ୍ମଦିଗ୍ଧକଲେବରଂ ଭବନାଶନଂ ଭବମବ୍ୟଯଂ
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରମାଶ୍ରୟେ ମମ କିଂ କରିଷ୍ୟତି ବୈ ଯମଃ ॥ ୩॥
ମତ୍ତବାରଣମୁଖ୍ୟଚର୍ମକୃତୋତ୍ତରୀୟମନୋହରଂ
ପଙ୍କଜାସନପଦ୍ମଲୋଚନପୂଜିତାଙ୍ଘ୍ରିସରୋରୁହମ୍ ।
ଦେବସିନ୍ଧୁତରଙ୍ଗସୀକରସିକ୍ତଶୁଭ୍ରଜଟାଧରଂ
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରମାଶ୍ରୟେ ମମ କିଂ କରିଷ୍ୟତି ବୈ ଯମଃ ॥ ୪॥
ଯକ୍ଷରାଜସଖଂ ଭଗାକ୍ଷହରଂ ଭୁଜଙ୍ଗବିଭୂଷଣଂ
ଶୈଲରାଜସୁତାପରିଷ୍କୃତଚାରୁବାମକଲେବରମ୍ ।
କ୍ଷ୍ୱେଡନୀଲଗଲଂ ପରଶ୍ୱଧଧାରିଣଂ ମୃଗଧାରିଣଂ
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରମାଶ୍ରୟେ ମମ କିଂ କରିଷ୍ୟତି ବୈ ଯମଃ ॥ ୫॥
କୁଣ୍ଡଲୀକୃତକୁଣ୍ଡଲେଶ୍ୱରକୁଣ୍ଡଲଂ ବୃଷବାହନଂ
ନାରଦାଦିମୁନୀଶ୍ୱରସ୍ତୁତବୈଭବଂ ଭୁବନେଶ୍ୱରମ୍ ।
ଅନ୍ଧକାନ୍ଧକାମାଶ୍ରିତାମରପାଦପଂ ଶମନାନ୍ତକଂ
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରମାଶ୍ରୟେ ମମ କିଂ କରିଷ୍ୟତି ବୈ ଯମଃ ॥ ୬॥
ଭେଷଜଂ ଭବରୋଗିଣାମଖିଲାପଦାମପହାରିଣଂ
ଦକ୍ଷୟଜ୍ଞବିନାଶନଂ ତ୍ରିଗୁଣାତ୍ମକଂ ତ୍ରିବିଲୋଚନମ୍ ।
ଭୁକ୍ତିମୁକ୍ତିଫଲପ୍ରଦଂ ସକଲାଘସଙ୍ଘନିବର୍ହଣଂ
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରମାଶ୍ରୟେ ମମ କିଂ କରିଷ୍ୟତି ବୈ ଯମଃ ॥ ୭॥
ଭକ୍ତବତ୍ସଲମର୍ଚିତଂ ନିଧିମକ୍ଷୟଂ ହରିଦମ୍ବରଂ
ସର୍ୱଭୂତପତିଂ ପରାତ୍ପରମପ୍ରମେୟମନୁତ୍ତମମ୍ ।
ସୋମବାରିଦଭୂହୁତାଶନସୋମପାନିଲଖାକୃତିଂ
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରମାଶ୍ରୟେ ମମ କିଂ କରିଷ୍ୟତି ବୈ ଯମଃ ॥ ୮॥
ବିଶ୍ୱସୃଷ୍ଟିବିଧାୟିନଂ ପୁନରେବ ପାଲନତତ୍ପରଂ
ସଂହରନ୍ତମପି ପ୍ରପଞ୍ଚମଶେଷଲୋକନିବାସିନମ୍ ।
କ୍ରୀଡୟନ୍ତମହର୍ନିଶଂ ଗଣନାଥୟୂଥସମନ୍ୱିତଂ
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରମାଶ୍ରୟେ ମମ କିଂ କରିଷ୍ୟତି ବୈ ଯମଃ ॥ ୯॥
ମୃତ୍ୟୁଭୀତମୃକଣ୍ଡସୂନୁକୃତସ୍ତବଂ ଶିବସନ୍ନିଧୌ
ଯତ୍ର କୁତ୍ର ଚ ଯଃ ପଠେନ୍ନ ହି ତସ୍ୟ ମୃତ୍ୟୁଭୟଂ ଭବେତ୍ ।
ପୂର୍ଣମାୟୁରରୋଗିତାମଖିଲାର୍ଥସମ୍ପଦମାଦରଂ
ଚନ୍ଦ୍ରଶେଖର ଏବ ତସ୍ୟ ଦଦାତି ମୁକ୍ତିମୟତ୍ନତଃ ॥ ୧୦॥
॥ ଇତି ଶ୍ରୀଚନ୍ଦ୍ରଶେଖରାଷ୍ଟକଂ ସମ୍ପୂର୍ଣମ୍ ॥
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