भारत के चार धाम यात्रा का नाम क्या है | Name Of Char Dham In Hindi
भारत के चार धाम यात्रा: देव भूमी के नाम से भारत पूरी दुनिया में विख्यात है। भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां पर रहने वाले लोगों को अपने-अपने धर्म को महत्वता देने का अधिकार है। यहां पर जितने भी धर्म के लोग रहते हैं उन सभी धर्मो को भारत सरकार द्वारा मान्यताए दी गई है। भारत में हिन्दुओं के दर्जनों तीर्थ स्थान हैं जिनका सम्मान शासन द्वारा किया जाता है। हिन्दुओं में बहुत सी यात्राएं भी होती है जिनमे से सबसे प्रमुख चार धाम यात्रा को माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति चार धाम यात्रा सफलता पूर्वक पूरा कर लेता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है और उस व्यक्ति को मनुष्य जन्म से मुक्ति मिल जाती है। मृत्यु पश्चात ऐसे व्यक्ति को बैकुंठ धाम प्राप्त होता है।
क्या आप जानते है की भारत के चार धाम कौन कौन से हैं। यदि नहीं जानते तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं हैं क्योंकि आज हम आपको भारत के चार धाम यात्रा के बारे में सभी संपूर्ण जानकारी संक्षिप्त रूप में देने वाले है। जैसे- भारत के चार धाम में कौन कौन से तीर्थ स्थान होते हैं और उनका नाम क्या है। दोस्तों यदि आप भी इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो उसके लिए आपको हमारे इस लेख के साथ शुरू से लेकर अंत तब बने रहना होगा, तभी जाकर आप चार धाम के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
चार धाम यात्रा क्या है | Char Dham Yatra Ke Naam?
जैसा की हम सभी को विधित है, भारत के चार धामों की पौराणिक मान्यता प्राप्त है। वृद्धजन इन तीर्थ स्थानों पर जाना बहुत ही पसंद करते हैं। हिंदू धर्म में प्रचलित पौराणिक मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति इन चार धामों की यात्रा कर लेता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि, भारत के इन चार धामों की यात्रा प्रत्येक हिन्दू करना चाहता है। प्रतिवर्ष चार धाम की यात्रों के लिए लाखों लोग अपना रजिस्ट्रेशन करवाते हैंञ। इन चार धामों के नाम कुछ इस प्रकार है –
1. बद्रीनाथ
2. द्वारका
3. जगन्नाथ पूरी
4. रामेश्वरम
दोस्तों ऊपर दिए गए यही चार स्थान है जिनकी यात्रा को चार धाम की यात्रा कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है की जो व्यक्ति इन चारो धामों की यात्रा कर लेता है, उसके पूर्व और वर्तमान जन्मों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्य उपरांत बैकुंठ धाम प्राप्त होता है। इस यात्रा को करने के लिए साल में कुछ निश्चित समय होता है। मतलब 2023 की चार धाम यात्रा की शुरुआत अप्रैल से हो चुकी है। दोस्तों हम में से कई लोगों का एसा सोचना होता है कि, उत्तराखंड के में जो छोटे चार धाम है उन्ही को भारत के चार धाम मानते हैं। अपितु ऐसा नहीं है क्योंकि उत्तराखंड के चार धाम को छोटी चार धाम यात्रा कहा जाता है। इसमें उत्तराखंड के चार प्रमुख धाम है जिनका नाम कुछ इस प्रकार है –
1. केदारनाथ
2. बद्रीनाथ
3. यमुनोत्री
4. गंगोत्री
इन धामों की यात्रा को छोटी चार धाम यात्रा कहा जाता है। लेकिन जो भारत के चार धाम यात्रा है। वह अलग है, उनमें भारत के अलग अलग राज्य के चार स्थान है जैसे की – बद्रीनाथ उत्तराखंड में स्थित है, द्वारका गुजरात में स्थित है, जगन्नाथ पूरी ओडिसा में स्थित है और रामेश्वरम तमिल नाडु राज्य में मौजूद है। इन्हीं स्थानों को चार धाम कहा जाता है।
भारत के Char Dham Yatra का नाम क्या है | Bharat Ke Char Dham Ke Nam
तो दोस्तों जैसा की हमने ऊपर लेख में बताया कि, भारत के चार धाम यात्रा बेहद ही पवित्र मानी जाती है। अब हम आपकों इन चार धामों के बारे में और भी विस्तार पूर्वक जानकारी देने वाले है तो कृपया करके यहाँ पर दी गई जानकारी को ध्यानपूर्वक अंत तक जरूर पढ़े।
इसे भी पढ़ेंः Mangalam Guru Shri Chandramaulishvarage
बद्रीनाथ | Badrinath
बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड में मौजूद है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। इस स्थान को भगवान विष्णु की तपोभूमी और पवित्र स्थान माना जाता है। यह मंदिर भगवान श्री विष्णु जी को समर्पित है। मंदिर पूरे वर्ष में केवल 6 माह के लिए खोला जाता है। वर्ष के शेष 6 माह 6 मंदिर के पट बंद रहते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह माना जाता है की इस मंदिर में भगवान श्री विष्णु जी का वास है और वह 6 माह तक इस मंदिर में विश्राम करते है और बाकी के 6 माह जागरण करते है। स्थानीय लाेगों के बीच यह भी किवदंती है कि, मंदिर में नर और नारायण दोनों मिलते है। धर्म शास्त्रों के मुताबिक इस पवित्र मंदिर बद्रीनाथ को विशालपुरी के नाम से भी जाना जाता है।
बताते चले कि, बद्रीनाथ मंदिर को विष्णुधाम भी कहा जाता है। बद्रीनाथ की स्थापना सतयुग में हुई थी। केवल यह ही नहीं बल्कि इस मंदिर को हिमालय के सबसे पुराने तीर्थो में से एक माना जाता है। इस मंदिर के समीप एक कुंड भी है जिसका नाम है तप्त कुंड है। यह कुंड भी काफी चर्चित है क्योंकि इस कुंड का जल चारों मौसम में सदैव एक समान यानी कि गर्म रहता है। बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है। इस पवित्र मंदिर की स्थापना भगवान श्री राम ने सतयुग में की थी। यह मंदिर करीब 3133 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है।
इस पवित्र के ऊपर बहुत सी कहावते भी कही गयी जिनमे से एक है ‘जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी’ इस कहावत का सरल शब्दों में अर्थ यह है कि, जो भी एक बार बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन कर लेता है तो उस व्यक्ति को दोबारा मानव योनि में जन्म नहीं लेना पड़ता है। यानि के उस व्यक्ति को मोक्ष मिल जाता है।
द्वारका | Dwarka
द्वारका नगरी गुजरात राज्य में स्थित है। यह गुजरात प्रांत के देवभूमि द्वारका जिले में बसा है। इसे भी बहुत पवित्र स्थान माना जाता है। भारत के प्रमुख चार धामों में दूसरे नंबर पर है। यह पौराणिक मंदिर गोमती नदी और अरब सागर के किनारे पर बसा हुआ है। यह नगरी भारत की सबसे प्राचीन नगरी में से एक है। द्वारका को गुजरात की पूर्व राजधानी के रूप में भीं माना जाता था। स्थानीय जनमानस इस जगह को भगवान श्री कृष्ण की राजधानी भी कहा जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि, इस जगह के जो वास्तविक मंदिर थे उन सभी मंदिरो को सन 1372 में दिल्ली के क्रूर शासकों ने नष्ट कर दिया था। लोक मान्यता है कि, इस नगर की स्थापना स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा से आने के बाद की थी। स्थानीय लोगों का मानना है कि, भगवान श्री कृष्ण के चले जाने के बाद यह नगरी पानी में डूब गयी थी और आज भी यह नगरी समुद्र के नीचे है।
डूबी हुई द्वारका नगरी के बाद उसके अवशेष के रूप में बनाये गए है जिनका नाम बेट द्वारका और गोमती द्वारका है। चार धामों की यात्रा के दौरान इस जगह के भी दर्शन किये जाते है क्योंकि यह भी उन चारो धामों में से एक है। यह मंदिर केवल भारत में ही नहीं बल्कि यह मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
जगन्नाथा पूरी | Jagannatha Puri
जगन्नाथ पूरी ओडिसा राज्य में स्थित है। यह मंदिर हिन्दुओं के सात पुरियों में से एक है। मान्यता है कि, इस दिव्य मंदिर की स्थापना वैष्णव संप्रदाय के लोगों ने द्वापर युग में की थी। यह मंदिर भी भगवान श्री जगन्नाथ जी यानि के श्री कृष्ण भगवान को समर्पित है। प्रतिवर्ष जुलाई माह में इनकी रथ यात्रा होती है जो की पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। जगन्नाथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जगन + नाथ अर्थात जिसका अर्थ होता है ब्रह्माण्ड के…
आपको जानकर हैरानी होगी कि, इस मंदिर में तीन मूर्तियां है जिसमे से पहली श्री जगन्नाथ जी की है और दूसरी जगन्नाथ जी के बड़े भ्राता श्री बलभद्र जी की मूर्ति है और तीसरी है श्री सुभद्रा जी की है। मंदिर की विशेषता यह है कि, तीनों मूर्तियां लकड़ी की बनी हुई है और इन तीनों मूर्तियों हर 12 वर्ष में बदलने की प्रथा भी है। इस मंदिर में होने वाली भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा को देखने के लिए सभी कृष्ण भक्त विश्व के विभिन्न देशों से आते हैं। बताते चले कि, इस मंदिर को नष्ट करने के लिए विदेशियों आक्रमकों ने 20 से भी अधिक बार प्रयास कर चुके है परन्तु उनके सभी प्रयास असफल रहे।
बता दे की इस मंदिर में केवल हिन्दू ही प्रवेश कर सकते है। धर्म विशेष के लोग इसमें प्रवेश नहीं कर सकते है। एक बार भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी भी इस मंदिर में दर्शन के लिए गयी थी। परन्तु वह एक पारसी परिवार से थी इसलिए उनको भी इस मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया था।
रामेश्वरम | Rameshwaram
रामेश्वरम तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग है जो की 12 ज्योतिलिंगो में से एक है। यह तमिलनाडु के समुद्र के किनारे बसा हुआ है। जिस प्रकार से केदारनाथ और काशी की मान्यता है उसी प्रकार से दक्षिण भारत में रामेश्वरम ही मान्यता है। इस जगह पर जो शिवलिंग उसकी स्थापना स्वयं भगवान श्री राम ने की थी। यह हिन्द सागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ एक टापू है। बहुत समय पहले यह टापू भारत की मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ था।
लेकिन समुद्र की लहरो के कारण यह टापू भारत की मुख्य भूमि से अलग हो गया था। इसी जगह पर रामायण के समय में बनाया गया सेतु था। जिसको उस समय भगवान राम की सेना ने मिलकर बनाया था। इस सेतु का निर्माण भगवान राम ने श्री लंका जाने के लिए किया था। ताकि वह अपनी पत्नी सीता को रावण से छुड़ा कर ला सके। उसके बाद भगवान राम ने इस जगह पर आराधना की थी क्योंकि भगवान राम ने रावण का वध किया था और रावण एक ब्राह्मण था तो भगवान श्री राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लग गया था इसलिए ही भगवान राम ने यहाँ पर शिव जी भगवान की आराधना की थी।
उसके बाद विभीषण के अनुरोध करने पर इस सेतु को धनुष्कोडी नमक स्थान पर तोड़ दिया गया था। इस जगह पर रामनाथस्वामी मंदिर है जो की भगवान श्री राम जी को समर्पित है। इस जगह पर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल के बाइक का समय है। हर वर्ष बहुत से लोग यहाँ पर दर्शन करें के लिए जाते है।
कुछ और महत्वपूर्ण लेख:
Hari Sharanam
नित्य स्तुति और प्रार्थना
Om Damodarai Vidmahe
Rog Nashak Bishnu Mantra
Dayamaya Guru Karunamaya