ISKCON Ekadashi Calendar 2023 | एकादशी क्या होती है, व्रत का महत्व, विधि और फायदे: दोस्तों नमस्कार, आज हम इस लेख माध्यम से एकादशी के बारे में बात करेंगे। हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कृष्ण भक्तों के लिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है। जो इस दिन विधि-विधान से पूजन करके एकादशी का व्रत रखते हैं, और भगवान का स्मरण करते हैं, श्री कृष्ण उनके ऊपर खुश होते हैं। आप एकादशी के व्रतों को रखकर, अपने पापों का नाश करके पुण्य की प्राप्ति कर सकते है। आज हम आपको साल 2023 में आने वाले एकादशी के बारे में बता रहे हैं।
एकादशी क्या होती है:
हिंदू पंचांग की ग्यारवी तिथि को एकादशी कहा जाता है। हर महीने में दो बार एकादशी पड़ती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) में आती है। सनातन संप्रदाय और इस्कॉन के अनुयायी के लिए एकादशी का उपवास (ISKCON Ekadashi Calendar 2023) बहुत अधिक महत्त्व रखती है। इस्कॉन के अनुयायी भगवान विष्णु से आर्शीवाद पाने के लिए एकादशी का व्रत (ISKCON Ekadashi) करते है।
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एकादशी व्रत का महत्व:
प्रभु ने हमें एही सिख्या दी की कैसे एकादशी का दिन षड् रस को त्याग करके ब्रत को राखा जाए। षड् रस का अर्थ 6 प्रकार के रस जो खट्टा, मीठा, नमक, तीखा, कषा और पिता। इस जीभ में 6 प्रकार के रस हैं। जीभ जो रस में भरे हैं, रस जो वरुण के दूत हैं। वरुण जल के देवता हैं, जल ही हमारा जीवन है। जल का अर्थ है रस, रस यानि जीभ पर पर बिजय प्राप्त करना, जीभ को बस में रखना।
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एकादशी व्रत का विधि:
हिंदू धर्मशास्त्रों में शरीर और मन को संतुलित रखने के लिए व्रत और उपवास का नियम बनाया गया है। एकादशी का व्रत तीन दिनों तक चलता है। उपवास के एक दिन पहले दोपहर में एक बार भोजन करते हैं। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगले दिन पेट में कोई बचा हुआ भोजन नहीं रहे है। एकादशी व्रत के दौरान सभी प्रकार के अनाज का सेवन वर्जित है। प्रत्येक एकादशी को (ISKCON Ekadashi Calendar 2023) निराहार रहकर, सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान करके घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें। भगवान विष्णु को गंगा जल से अभिषेक करके पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग और तुलसी समर्पित करे।
मान्यता के अनुसार एकादशी व्रत को करने से जीवन में कोई बाधा नहीं आती है, सब कुछ मंगल होता है। जीवन में सारी समस्याओं का निदान एकादशी के व्रत में पाया जाता है। दुर्भाग्य, दुख और दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
एकादशी पालन करने का तरीका:
उत्तम – निर्जला एकादशी अर्थात बिना जल और भोजन ग्रहण किए मनाया जाता है।
मध्यम – जल ग्रहण करके मनाया जाता है।
अधम – फल ग्रहण करके मनाया जाता है।
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एकादशी व्रत का फायदें:
- चैत्र मास में पापमोचिनी और कामदा एकादशी आती है। पाप मोचिनी एकादशी का व्रत रखने से संकट मोचन और पापो का नाश होता है। कामदा एकादशी व्रत रखने से राक्षस आदि से छुटकारा मिलता है।
- वैशाख मास में वरुथिनी और मोहिनी एकादशी आती है। वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से सौभाग्य, सभी पापो का नाश और मोक्ष प्राप्त होती है। मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से मोह-माया के बंधन को नष्ट कर के मुक्ति की प्राप्ति होती है।
- ज्येष्ठ मास में अपरा और (पांडव निर्वाण) निर्जला एकादशी आती है।
- अपरा एकदशी: शास्त्रों में ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी, (जलक्रीड़ा एकादशी या अचला एकादशी यानि भद्रकाली एकादशी) के नाम से भी जाना जाता है। अपरा एकदशी का व्रत रखने से मनुष्य को असीम खुशियों की प्राप्ति होती है। अपरा एकादशी का दिन शरीर को शुद्ध कर के, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या तथा द्वेष आदि का त्याग कर भगवान का स्मरण करने से,अपरा एकादशी का महत्व को पड़ने और सुनने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है।
- निर्जला एकादशी : हिन्दू पंचाग अनुसार वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला (या भीमा, या पांडव यानि भीमसेनी) एकादशी के नाम से जाना जाता है। निर्जला एकादशी मैं बिना जल ग्रहण किए, यानि निराहार और निर्जल रहकर व्रत रखने से भगवान श्रीहरि मनुष्य को अपार पुण्य, असीम खुशियों प्रदान करते हैं। अगर वर्ष भर की सम्पूर्ण एकादशी का व्रत नेही कर पाते तो केवल एक निर्जला एकादशी का व्रत करने से, सालभर की एकादशी व्रत करने के समान फल मिलता है।
- आषाढ़ मास में योगिनी और देवशायनी एकादशी आती है। योगिनी एकादशी का व्रत रखने से पापो का नाश और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से सभी उपद्रवों का शांत होती है।
- श्रावण मास में कामिनी और पद्मिनी एकादशी आती है। कामिनी एकादशी का व्रत रखने से समक्ष पापो से मुक्ति होती है।
- अधिकमास मास में पद्मिनी एवं परमा एकादशी आती है। पद्मिनी एकादशी का व्रत रखने से पुत्र और कीर्ति की प्राप्ति होती है। परमा एकादशी का व्रत रखने से धन-वैभव प्राप्ति होती है।
- भाद्र मास में अजा और परिवर्तिनी एकादशी आती है। अजा एकादशी का व्रत रखने से पुत्र पर आने वाले संकट का हरण होता है और दरिद्रता भी दूर होती है। परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखने से सभी दुखो से मुक्ति प्राप्त होती है।
- आश्विन मास में इंदिरा और पापांकुशा एकादशी आती है। इंदिरा एकादशी के व्रत रखने से पितरो को अधोगति से मुक्ति तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पापांकुशा एकादशी के व्रत रखने से सभी पापो से मुक्त होती है।
- कार्तिक मास में रमा और देवुतथन एकादशी आती है। मा एकादशी का उपवास रखने से सभी तरह के सुखो और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। देवुतथन एकादशी का व्रत रखने से भाग्य जाग्रत होता है।
- मार्गशीर्ष मास में उत्पन्ना और मोक्षदा एकादशी आती है। उत्पन्ना एकादशी का उपवास रखने से हजार अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पौष मास में सफला एवं पुत्रदा एकादशी आती है। सफला एकादशी का व्रत रखने से सफलता प्राप्त होती है। पुत्रदा एकादशी का उपवास रखने से तान प्राप्ति होती है।
- माघ मास में षटतिला और जया एकादशी आती है। षटतिला का व्रत रखने से दुर्भाग्य, दरिद्रता दूर होती है। जया एकादशी का उपवास रखने से ब्रह्म हत्या पाप से छुटकारा मिलता है।
- फाल्गुन मास में विजया और आमकली एकादशी आती है। विजया एकादशी का व्रत रखने से भयंकर परेशानियों से मुक्ति और शत्रुओ का नाश होती है। आमकली एकादशी के उपवास रखने से व्यक्ति को सभी तरह के रोगो से छुटकारा मिलता है।
ISKCON एकादशी कैलेंडर 2023
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Iskcon-Ekadash-Calender-2023
ISKCON Ekadashi Dates of 2023 | एकादशी क्या होती है, व्रत का महत्व, विधि और फायदे
ISKCON Ekadashi Calendar 2023 |
एकादशी तिथि | एकादशी नाम | Ekadashi Date | Ekadashi Name |
2 जनवरी – सोमवार | पुत्रदा एकदाशी | 2nd January (Monday) | Putrada Ekadashi |
18 जनवरी – बुधवार | शत तिला एकदाशी | 18th January (Wednesday) | Shat Tila Ekadashi |
1 फरवरी – बुधवार | भीमी एकदाशी | 1st February (Wednesday) | Bhaimi Ekadashii |
17 फरवरी – शुक्रवार | विजय एकादशी | 17th February (Friday) | Vijaya Ekadashi |
3 मार्च – शुक्रवार | अमलकी एकदाशी | 3rd March (Friday) | Amalaki Ekadashi |
18 मार्च – शनिवार | पापामोचानी एकदाशी | 18th March (Sadurday) | Papamochani Ekadashi |
2 अप्रैल – रविवार | कामदा एकदाशी | 2nd April (Sunday) | Kamada Ekadashi |
16 अप्रैल – रविवार | वरुथिनी एकदाशी | 16th April (Sunday) | Varuthini Ekadashi |
1 मई – सोमवार | मोहिनी एकादाशी | 1st May (Monday) | Mohini Ekadashi |
15 मई – सोमवार | अपारा एकादाशी | 15th May (Monday) | Apara Ekadashi |
31 मई – शुक्रवार | पांडव निर्वाण एकदाशी | 31st May (Friday) | Pandava Nirjala Ekadashi |
14 जून – बुधवार | योगिनी एकदाशी | 14th June (Wednesday) | Yogini Ekadashi |
29 जून – शनिवार | देवशायनी एकदाशी | 29th June (Sadurday) | Devshayani Ekadashi |
13 जुलाई – शनिवार | कामिका एकदाशी | 13th July (Sadurday) | Kamika Ekadashi |
29 जुलाई – शनिवार | पद्मिनी एकादशी | 29th July (Sadurday) | Padmini Ekadashi |
12 अगस्त – शनिवार | परमा एकादशी | 12th August (Sadurday) | Parama Ekadashi |
27 अगस्त – रविवार | श्रावण पुत्रदा एकदाशी | 27th August (Sunday) | Shravana Putrada Ekadashi |
10 सितंबर – रविवार | अन्नदा एकादशी | 10th September (Sunday) | Annada Ekadashi |
26 सितंबर – मंगलवार | पार्श्व एकदाशी | 26th September (Tuesday) | Parsva Ekadashi |
10 अक्टूबर – मंगलवार | इंदिरा एकदाशी | 10th October (Tuesday) | Indira Ekadashi |
25 अक्टूबर – बुधवार | पापांकुशा एकदाशी | 25th October (Wednesday) | Papankusha Ekadashi |
9 नवंबर – गुरुवार | राम एकदाशी | 9th November (Thursday) | Rama Ekadashi |
23 नवंबर – गुरुवार | देवुतथन एकदाशी | 23th November (Thursday) | Devutthana Ekadashi |
9 दिसंबर – शनिवार | उत्पन्न एकादशी | 9th December (Sadurday) | Utpanna Ekadashi |
23 दिसंबर – शनिवार | मोक्षदा एकदाशी | 23th December (Sadurday) | Mokshada Ekadashi |
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