कुंद का पुष्प किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं ?? | kund ka phool kis bhagwan ko chadhaya jata hai | kund phool ke bare me jankari | कुंद फूल के बारे में जानकारी हिंदी
अगर सुंगधित पुष्पों को श्रेणीबद्ध किया जाएं तो उसमें ‘कुंद का फूल’ अपना अलग स्थान स्थापित करता हैं। कुंद का फूल गहरा सफेद होता हैं जिसके कारण इसे ‘कुंड जैसा सफेद’ फूल की संज्ञा दी गयी हैं। विभिन्न भाषाओं में इस फूल को अनेक नामों से जानते हैं। जैसे: कुंड, कुंदा, कोमल चमेली, बलिनि, दंतपत्रक, कुण्डमु । इसका वनस्पतिक नाम जैस्मीनम मल्टीफ्लोरम हैं। इनका आकार झाड़ियों के समान लटके शाखायों के रूप में होते हैं। कुंदा के फूल अपनी मनमोहक सुंगध के साथ साथ औषधीय गुण एवं ईश्वर को प्रसन्न करने वाला एक अदभुत फूल हैं। कुंद के फूल का प्रयोग शादी समारोह में भी किया जाता हैं।
कुंद के फूल का विशेष महत्व
मणिपुर में किसी भी महोत्सव में कुंद का पुष्प का प्रयोग होना अतिआवश्यक होता हैं। खास कर वहाँ जब शादी विवाह होता हैं। तब दुल्हन, दूल्हे को कुंद फूल के बने माला को पहनाती हैं। उसी तरह दूल्हा भी दुल्हन को कुंद पुष्प के माला पहनता हैं। कहने का तात्पर्य हैं कि कुंद का पुष्प शुभ कार्यो का प्रतीक हैं।
कहाँ कहाँ पाये जाते हैं कुंड का पुष्प
कुंड का पौधा उष्ण कटिबंधीय सदाबहार पौधा हैं। जो विश्व के उत्तर अमेरिका और आस्ट्रेलिया में वृहद रूप से पाये जाते हैं। भारत में लगभग सभी नमी वाले स्थानों पर इनकी उपस्थिति देखी जा सकती हैं। जबकि मणिपुर में इनका उत्पादन वृहद पैमाने पर होता हैं। कुंद के फूल का उत्पादन मणिपुर में व्यापारिक उद्देश्यों के लिए भी किया जाता हैं।
कुंद के पुष्प का धार्मिक महत्व
भारतीय हिन्दू ग्रन्थों और साहित्यों में भी कुंद के पुष्प का उल्लेख मिलता हैं। ग्रन्थों में कुंद के पुष्प को कुंड का फूल कहा गया हैं। कुंद का पुष्प अपने सुंगध के कारण भी प्राचीन काल से ही विख्यात हैं। कुंद फूल अत्यंत शीतल होता हैं क्योंकि गर्मी के दिनों में जब गर्मी परेशान करती हैं। उस समय कुंद का फूल अपनी खुशबू से माहौल को खुशनुमा बना देती हैं।
कुंद के पौधे का वास्तु महत्व
आज कल लोग अपने अपने घरों में तरह तरह के पौधे लगाते हैं। लेकिन जिस घर में कुंद का पौधा होता हैं। वहाँ सकारात्मक ऊर्जा अपनी मौजूदगी बनाई हुई रहती हैं। घर में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती हैं। पूरे घर में एक सुगंधित वातावरण हमेशा बना रहता हैं। जिसके कारण घर के सदस्य कभी भी तनाव के प्रभाव में नही आते हैं।
कुंद का फूल किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं
भगवान को प्रसन्न करने के लिए लोग तरह तरह के पुष्पों को अर्पित करते हैं। लेकिन कुछ खास फूल किसी विशेष भगवान का पसंदीदा होता है। ठीक उसी प्रकार कुंद का पुष्प माता लक्ष्मीजी का अत्यंत प्रिय हैं। अगर कोई भक्त लक्ष्मीजी को प्रसन्न करना चाहता हैं तो वो कुंद का पुष्प चढ़ा सकता है। अगर आप भगवान विष्णु जी को भी कुंद का पुष्प श्रद्धा भक्ति के साथ चढ़ाते हैं तो वो आपकी मनोकामना पूरी कर देते हैं।
कुंद के पौधे एवं उसके पुष्प के औषधीय गुण
कुंद का पौधा औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण हैं। अगर आपके कान में दर्द हैं तो आप कुंद के पुष्प का इत्र का प्रयोग सकते हैं। रोज कुंद के पत्तियों का चाय पीने से कैंसर नहीं हो सकता हैं। दस्त, उल्टी, बुखार और सर्दी में भी कुंद सहायक होते हैं। त्वचा रोग यानी दाद खाज खूजली और फोड़े फुंसियों में भी कुंद सहायक होते हैं। पेट के गैस, पीलिया और पेट के कीड़ो को मारने में भी प्राचीन समय से ही कुंद का प्रयोग हो रहा हैं। ध्यान रहे बिना किसी चिकित्सक के सलाह के इसका उपयोग चिकित्सा में ना करें।
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