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December 6, 2024
Mantra

ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का अर्थ, लाभ, कल्याण और फायदे

Credit the Video : Bhakti YouTube Channel

ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का अर्थ, लाभ, कल्याण और फायदे: दोस्तों नमस्कार, आज हम आपको इस लेख के जरिए ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का अर्थ, लाभ, कल्याण और फायदे के बारे में बात करेंगे। यह कष्ट निवारक, सर्वकल्याणकारी महामंत्र ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय भगवान विष्णु और श्री कृष्ण को समर्पित है। जिसका मतलब है कि हे भगवान वासुदेव मैं आपको नमस्कार करता हूं। आमतौर पर अधिक मास में विष्णु मंत्र का जाप करने वाले साधकों को भगवान विष्णु स्वयं आशीर्वाद देते हैं। उनके पापों का नास करते हैं, उनकी समस्त इच्छाएं पूरी करते हैं। इस मास में जमीन पर शयन, एक ही समय भोजन करने से अनंत फल प्राप्त होते हैं। अधिक मास के अलावा, कभी भी इस मंत्र का जप करके विष्णु भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है। दोस्तों पोस्ट में आगे आप जानेंगे निष्काम, कर्मयोगी, महानतम पुरूष, जगतगुरू, श्री कृष्ण के चमत्कारिक ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय‘ मंत्र का अर्थ के बारे में:

Om Namo Bhagavate Vasudevaya

॥ Om Namo Bhagavate Vasudevaya ॥

ओम नमो भगवते वासुदेवाय

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का अर्थ:

मंत्र का अर्थ:
ओम – ओम यह ब्रंह्माडीय व लौकीक ध्वनि है।
नमो – अभिवादन व नमस्कार।
भगवते – शक्तिशाली, दयालु व जो दिव्य है।
वासुदेवयःवासु का अर्थ हैः सभी प्राणियों में जीवन और देवयः का अर्थ हैः ईश्वर। इसका मतलब है कि भगवान (जीवन/प्रकाश) जो सभी प्राणियों का जीवन है।

वासुदेव भगवान! अर्थात् जो वासुदेव भगवान नर में से नारायण बने, उन्हें मैं नमस्कार करता हूँ। जब नारायण हो जाते हैं, तब वासुदेव कहलाते हैं।

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इस संबंध मे बालक ध्रुव की कहानी आती है। महाराज उत्तानपाद, दो रानियाँ जो बड़ी सुनिति और दूसरी छोटी सुरूचि का नाम आती है। एक बार बड़ी रानी का पुत्र धुव्र उत्तानपाद की गोद मैं बैठ गया और सुरुचि को यह पसंद नहीं, और ध्रुव को राजा की गोद से उतार देती है। महाराजा की गोद मे बैठने का अधिकार मेरे पुत्र उत्तम का है। यदि तुम इस अधिकार को प्राप्त करना चाहते हो ‌‌‌तो तुम्हे मेरे गर्भ से उत्पन्न होना होगा। इसके लिए भगवान से प्रार्थना करो। माता के वचनों को सत्य जानकर अबोध बालक ध्रुव ने खुशी खुशी भक्ति मार्ग पर चलने का निश्चय किया। उसके बाद जंगल की और प्रस्थान कर लिया। वहां पर देवर्षि नारद ने उनको समझाने का प्रयास किया, लेकिन बालक धुव्र की भक्ति से नारद जी ने द्वादशाक्षर मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की दीक्षा दिया। नारद जी के दिए मंत्र को मन से जपने लगा और अपने प्रभु को स्मरण करके तप करने लगा। वन में बहुत आंधी, तूफान आए, जंगली जानवरों का भय हुआ पर बालक ध्रुव ने भक्ति करना नहीं छोड़ा। एक समय ऐसा भी आया, जब जगत पालनकर्ता भगवान विष्णु स्वयं बालक ध्रुव से मिलने वन में आए। बालक को उसके सभी सवालों के जवाब दिए और उसको ज्ञान प्रदान किए। अब जब भगवान स्वयं अपने मुख से समझा रहे हो तो कोई ऐसा आयाम नहीं बचता जहाँ ज्ञान का प्रकाश ना पहुँचे। जब इस सृष्टि के पालनहार को बालक ध्रुव छोटी सी उम्र में इसी मंत्र से पा सकता है तो आप क्यों नहीं। यह कहानी बताती है, कि यदि हम इतने से ही मंत्र को अपने जीवन से जोड़ लिया तो यकीन मानिए यहीं मंत्र आपको भवसागर पार करा देगा। अपने इष्ट को निश्छल भाव से भजने से भगवान को पा सकते हैं।

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ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का लाभ:

ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करने से, आपके मन में श्री कृष्ण के प्रति प्रेम, भक्ति और समर्पण भाव का जागृत होता है। आप को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। आपके मन में शांति और सकारात्मकता का भाव लाता है। आपके मन से सभी प्रकार के भय को दूर करता है। आंतरिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है। आप अपने जीवन में कई सकारात्मक बदलाव महसूस करते हैं। यदि आप ओम नमो भगवते मंत्र का जाप सच्ची मन से करते, तो आप उनकी शरण मे जा सकते हैं। यदि आप एक बार भगवान वासुदेव की शरण मे चले जाते, तो आप हर प्रकार के संकट से दूर हो जाते हैं। जो लोग सुबह जल्दी उठ कर स्नान करके, इस कर्णप्रिय मंत्र का अधिक से अधिक और ‌‌‌निरंतर जाप करते, इसके दिमाग के अंदर नगेटिव विचार, सभी पुराने कर्म नष्ट होते हैं।‌‌

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ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का कल्याण:

यदि आप अपना सम्पूर्ण कल्याण के बारे मे सोच रहे हैं तो यह मंत्र जाप कर सकते हैं। सारे कष्ट भी दूर हो जाएंगे, इससे प्राणी भव सागर से पार होकर मोक्ष प्राप्त करते हैं। मुक्ति देने वाला मंत्र उसका कल्याण निश्चित है। जो पितृ दोष से पीड़ित, हमारे पूर्वज होते हैं। जो पूर्वज मरने के बाद अपने नीच कर्मों की वजह से नीच योनी जैसे भूत और प्रेत बन जाते हैं। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र पितर दोष को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है। यदि आप रोजाना प्रातः काल उठकर स्नान करके द्वादश अक्षर मंत्र का 108 बार जाप करते हैं, तो फिर भगवान आपके उपर कृपा करेंगे, आपके घर के अंदर सुख आएंगे। आपके अंदर पैदा होने वाले नगेटिव विचार नष्ट हो जाएंगे। इसके अलावा समस्याएं अपने आप ही दूर हो जाएंगी।

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ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र के फायदे:

पूरे जगत में सभी आत्माओं में सर्वोच्च आत्मा, परमात्मा, सभी मानव आत्माओ का सर्वोच्च पिता, माता, शिक्षक, सखा और सभी आत्माओं को आनन्द देने वाले नन्द के परमानन्द, यश देने वाले यशोदा के नन्दन यशोदानन्दन कृष्ण है। दुनिया के सभी दुखो को दूर करने के लिए इनके द्वारा दिए गए उपदेश हमे जीवन में बहुत सहायक होता है।

ओम नामे भगवते वासुदेवया मंत्र का जाप अपने घर के मंदिर के सामने, एक सफ़ेद आसन पर बैठ कर उत्तर दिशा की ओर मुख करके, रोजाना कम से कम एक माला जाप करके अपने मन को नियंत्रित कर सकते है। यह मंत्र ‘श्रीमद्‍भगवद्‍गीता’ के द्वादश अध्याय का संक्षिप्त रूप है, जिसमें यह द्वादश अक्षरों को विस्तार रूप में लिए गए है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए इस मंत्र को मुक्ति का रूप में माना जाता है। अधिक से अधिक मंत्र जाप करते तो आपके मन की गति को कम कर के एकाग्रता लाते हैं। जो लोग भगवान क्रष्ण के परमभक्त होते हैं, तो आपके जीवन में चमत्कारिक रूप से लाभ मिलता है। सुख और सम्रद्वि के लिए इस मंत्र का उपयोग मनुष्य अपने जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए फायदे साबित होते हैं।

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Disclaimer : Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी की आस्था को ठेस पहुंचना नहीं चाहता। ऊपर पोस्ट में दिए गए उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता और जानकारियों के अनुसार, और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि (https://bhaktibharatki.com/) किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करता। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र के उच्चारण, किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है।

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