Kaner Ke Phool : कनेर का फूल किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं, जानिए कनेर फूल का फायदे और नुकसान: दोस्तों नमस्कार, आज हम आपको कनेर के पौधे, उसके फूल और यह फूल किस भगवान को चढ़ाया जाता हैं इसके बारे में बात करेंगे। संस्कृत में कनेर को करवीर पुष्प और इंग्लिश में Oleander के नाम से जानते हैं। वैसे तो हमारी प्रकृति के गोद में सभी प्रकार के पेड़ पौधे फल फूल जीव जंतु पाए जाते हैं। हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाने वाले, औषधीय गुणों से युक्त, भगवान के पूजन में प्रयुक्त, और स्वास्थ्य क्षेत्र में लाभ कारी होने वाले फूल ‘कनेर के फूल’ हैं। आइए जानते हैं इसके मान्यताएं के बारे में:
कनेर का फूल किस भगवान को जाता हैं:
Kaner Ka Phool Kis Bhagwan Ko Chadhaya Jata Hai: देखा जाए तो कनेर फूल का तीन तरह रंगों की प्रजातियां होती है। एक सफेद कनेर (White Kaner), दूसरी लाल कनेर (Red Kaner), और तीसरा पीले कनेर (Yellow Kaner) नाम से जाने जाते हैं। वास्तव में तो कनेर का फूल लगभग सभी देवी देवताओं को चढ़ाया जाता हैं। लेकिन फिर भी सफेद रंग का फूल माता लक्ष्मी जी को अत्यंत प्रिय हैं। अगर आप लक्ष्मीजी की कृपा को प्राप्त करना चाहते हैं, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आपको सफेद कनेर के फूल लक्ष्मी जी को अर्पित करनी चाहिए। दूसरी ओर पीले रंग के कनेर का फूल भगवान विष्णु श्रीहरि को चढ़ाया जाता हैं। जिसके उपरांत वो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, पारिवारिक खुशहाली आती है, और सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। तीसरा लाल रंग के कनेर का फूल गणेशजी को चढ़ाया जाता हैं। वहीं सोमवार की पूजा में जहां पर शिवजी के प्रिय फूलों कनेर होता है। सावन अधिक मास में भोलेनाथ पर अर्पित करना बेहद लाभकारी माना जाता है। सावन के पावन महीने में इसे चढ़ाने से आपके जीवन में सकारात्मक प्रभाव मिलते है। शिव जी को प्रिय पांच विशेष पुष्पों (कनेर, धतूरा, आक, पारिजात और शमी के फूल) में से एक कनेर का फूल होता है।
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कनेर के पुष्प कहाँ पाए जाते हैं: (Kaner Ke Phool Ke Bare Me Jankari) कनेर के फूल और इसके पौधा भारत के लगभग हर जगह पाई जाती है। ज्यादातर मंदिरों में यह पौधा देखने को मिलता है। खास कर के उत्तर भारत एवं मध्यप्रदेश में इनकी भरपूर संख्या पाई जाती हैं। भारत के अलावा इसके पड़ोसी देशों (कनेर के फूल के बारे में जानकारी) और विश्व के आमतौर पर सभी देशों में पाया जाता हैं। कनेर एक झाड़ी के रूप में पाये जाने वाले सदाहरित पौधे होते हैं। इनके फूल तो वर्ष भर निरन्तर खिलते रहते हैं। परंतु सबसे ज्यादा फूल फरवरी से मार्च महीने में, गर्मियों के मौसम में अपने वास्तविक आकार में खिलते हैं।
कनेर फूल का फायदे:
वास्तुशास्त्र के अनुसार कनेर के फूल का फायदे: वास्तु शास्त्र के अनुसार कनेर के पेड़ से जिस प्रकार से वर्ष भर फूल खिलते रहते हैं उसी प्रकार कनेर के पेड़ जिस घर में होते हैं वहाँ वर्ष भर धन की निरंतरता बनी रहती हैं। कनेर का पौधा मन को शांत रखता है, और वातावरण में सकारात्मकता ऊर्जा उत्पन्न करता है। अगर आप कनेर के पौधे को किसी खास मुहूर्त में, घर के आस पास उचित दिशा में लगाने से, पूरे साल घर में धन, सुख, समृद्धि बनी रहती हैं। कनेर के पेड़ के उपस्थिति के कारण नकारात्मक ऊर्जा चली जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का समावेश होता हैं। जिस घर के आंगन या गार्डन में कनेर के पीले पेड़ होते हैं वहाँ साक्षात माता लक्ष्मी का वास होता हैं।
कनेर के फूल का औषधीय गुण: कनेर का पेड़, पत्तियां, फूल और छाल के कई औषधीय गुण संजीविनी बूटी की तरह कार्य करते हैं। जिसमें सफेद पुष्प आयुर्वेद की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता हैं। घाव को ठीक करने में कनेर के पत्ते का चूर्ण सहायक होता हैं। त्वचा रोग में दाद खाज खुजली में कनेली के जड़ बहुत मददगार होता हैं। बालों का झड़ना, चेहरे पर दाग धब्बो और पिम्पल दूर करने में सहायक होते हैं। हृदय से संबंधित बीमारी, बवासीर, दस्त की समस्या, नपुंसकता और जोड़ो के दर्द को भी यह कनेली का पेड़ ठीक कर सकता हैं। गांव में रहने वाले लोग अपने घरेलू समस्याएं को ठीक करने के लिए कनेर फल का उपयोग करते हैं। कनेर फल के बीज को निकालकर सिलबट्टा में पीसकर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। छोटे बच्चों के कान के बगल में होने वाले घाव का निवारण किया जाता है। कनेर फूल से आप अपने बालों का झड़ना रोक सकते हैं। सबसे पहले आप इस फूल को पानी में उबाल लें। उसके बाद उस पानी को छानकर ठंडा कर ले। फिर उस पानी से बालों को धोएं। इस उपाय को सप्ताह में 3 दिन करने से आपके बालों का झड़ना धीरे-धीरे बंद हो जाएगा। कम शब्दों में बोले तो कनेर का वृक्ष और उसका फूल आयुर्वेद चिकित्सा के लिए वरदान हैं।
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कनेर फूल का नुकसान:
कनेर के पेड़ और पुष्प को लेकर आवश्यक सावधानियां: जिस प्रकार हर सुखमय वस्तु दुख को उत्पन्न करने का कारण होता हैं। ठीक उसी प्रकार तमाम रोगों को ठीक करने वाला, देवी देवताओं को प्रसन्न करने वाला, कनेर का पुष्प या उसका पेड़ खतरों से भरा हैं। आयुर्वेद में विशेष होने के साथ साथ विषैले भी होते हैं। लेकिन यह भी सही है कि कनेर के जड़, तना, फूल और पत्तियां का उपयोग आयुर्वेद के दवा बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता हैं। जिसका प्रयोग आयुर्वेद में चिकित्सा के लिए करते हैं। कनेर के पेड़, फूल औऱ बीज के सभी हिस्सों में, जहर भरा हुआ रहता हैं। इसीलिए इनका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इसीलिए कनेर के पेड़ को घर में कभी नही लगानी चाहिए। कनेर के पेड़ को बच्चों के पहुँच से दूर रखना चाहिए। इसलिए इसे घर के अंदर लगाने की बजाय, इसको उपयुक्त स्थान घर के बाहर या फिर गार्डन में होता हैं।
ध्यान रखें: किसी भी बीमारी का पूर्ण उपचार के लिए कनेर के फूल, जड़ो औऱ फल या बीज के प्रयोग से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
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