Credit the Video : Anant Nadam YouTube Channel
नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने: श्री जगन्नाथ स्तोत्र का पाठ विधि और प्रार्थना: दोस्तों नमस्कार, आज हम आपको इस लेख के जरिए श्री जगन्नाथ मंत्र: नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने का अर्थ, लाभ, कल्याण और फायदे के बारे में बात करेंगे। इस मन्त्र के करने से इच्छित मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है। जो भी भक्त रथ का दर्शन करता है, या रथ को खींचने में मदत करता है, उस भक्त के सारे पाप भगवन हर लेते है। समस्त प्राणियों के मंगल के लिए, जानिए भगवान जगन्नाथ के नीलाचलनिवासय स्तोत्र। जय जगन्नाथ!
श्री जगन्नाथ स्तोत्र का पाठ:
भारत के चार धामों से एक महत्वपूर्ण धाम जगन्नाथपुरी हैं। जगत नियंता भगवान जगन्नाथ विष्णु के एक रूप हैं। इस स्तोत्र नीलाचलनिवासय का तात्पर्य भगवान जगन्नाथ से है, जो पवित्र नीलाचल पहाड़ी पर रहते हैं। प्रभु की कृपा से चारों दिशाओं में मंगल हो। यह नित्यय परमात्मने उसे शाश्वत सर्वोच्च आत्मा, सभी प्राणियों में व्याप्त, परम चेतना के रूप में पहचानता है। इसके अलावा, यह श्लोक भगवान जगन्नाथ के दिव्य भाई-बहन, बलभद्र और देवी सुभद्रा के आशीर्वाद का आह्वान करता है, जो शक्ति और शुभता के प्रतीक हैं। इस श्लोक के दिव्य दिव्य स्पंदन को अपने ऊपर हावी होने दें, जिससे आपका हृदय शांति, प्रेम और भक्ति से भर जाए। भगवान जगन्नाथ के प्रति समर्पण भाब से आध्यात्मिक संबंध का महसूस करें, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। भक्ति के सागर का गहराई से उस दिव्य आनंद का अनुभव करें। इस स्त्रोत का पाठ करने से, सम्पूर्ण जगत के नाथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ, आपके सारे कष्ट का निवारण करते हैं। समग्र मानव समाज को सुख, शांति, समृद्धि और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
श्री जगन्नाथ स्तोत्र पाठ का विधि:
- सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण, श्री बलराम एवं देवी सुभद्रा जी का पंचोपचार-जल, अक्षत-पुष्प, धुप, दीप और नैवेद्य से पूजन करने के बाद हाथ जोड़कर प्रभु का ध्यान करें।
- पूजन बाद स्त्रोत के पहले दो श्लोक से योगेश्वर श्री कृष्ण, श्री बलराम, और देवी सुभद्रा को दंडवत प्रणाम करें।
- पूजन और नमन करने के बाद किसी धुले हुए आसन पर बैठकर भगवान श्री जगन्नाथ जी के इस स्त्रोत का शांत चित्त होकर धीमे स्वर में पाठ करें।
- जब तक पाठ चलता रहे तब तक गाय के घी का दीपक भी जलता रहे।
- ऐसा कहा जाता कि इस स्त्रोत का सिर्फ एक बार पाठ करने से मानसिक शांति मिलने के साथ अनेक कष्टों का निवारण श्री भगवान जी की कृपा से जल्दी हो जाता है।
श्री जगन्नाथ स्तोत्र
अथ श्री जगन्नाथप्रणामः
नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने ।
बलभद्रसुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नमः ॥ १ ॥
जगदानन्दकन्दाय प्रणतार्तहराय च ।
नीलाचलनिवासाय जगन्नाथाय ते नमः ॥ २ ॥
अनाथस्य जगन्नाथ नाथस्त्वं मे न संशयः ।
यस्य नाथो जगन्नाथस्तस्य दुःखं कथं प्रभो ॥ ३ ॥
या त्वरा द्रौपदीत्राणे या त्वरा गजमोक्षणे।
मय्यार्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे ॥ ४ ॥
मत्समो पातकी नास्ति त्वत्समो नास्ति पापहा।
इति विज्ञाय देवेश यथायोग्यं तथा कुरु ॥ ५ ॥
श्री जगन्नाथ प्रार्थना
॥ श्री जगन्नाथ प्रार्थना ॥
रत्नाकरस्तव गृहं गृहिणी च पद्मा
किं देयमस्ति भवते पुरुषोत्तमाय ।
अभीर, वामनयनाहृतमानसाय
दत्तं मनो यदुपते त्वरितं गृहाण ॥ १ ॥
भक्तानामभयप्रदो यदि भवेत् किन्तद्विचित्रं प्रभो
कीटोऽपि स्वजनस्य रक्षणविधावेकान्तमुद्वेजितः ।
ये युष्मच्चरणारविन्दविमुखा स्वप्नेऽपि नालोचका-
स्तेषामुद्धरण-क्षमो यदि भवेत् कारुण्यसिन्धुस्तदा ॥ २ ॥
अनाथस्य जगन्नाथ नाथस्त्वं मे न संशयः ।
यस्य नाथो जगन्नाथस्तस्य दुःखं कथं प्रभो ॥ ३ ॥
या त्वरा द्रौपदीत्राणे या त्वरा गजमोक्षणे ।
मय्यार्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे ॥ ४ ॥
मत्समो पातकी नास्ति त्वत्समो नास्ति पापहा ।
इति विज्ञाय देवेश यथायोग्यं तथा कुरु ॥ ५ ॥
प्रार्थना समाप्त होने पर भगवान श्री जगन्नाथ के चरणों में पुष्पाजंलि अर्पित करें।
इसे भी पढ़े : समस्त कष्टों से मुक्ति के लिए ॐ कृष्णाय वासुदेवाय मंत्र
Disclaimer : Bhakti Bharat Ki / भक्ति भारत की (https://bhaktibharatki.com/) किसी की आस्था को ठेस पहुंचना नहीं चाहता। ऊपर पोस्ट में दिए गए उपाय, रचना और जानकारी को भिन्न – भिन्न लोगों की मान्यता और जानकारियों के अनुसार, और इंटरनेट पर मौजूदा जानकारियों को ध्यान पूर्वक पढ़कर, और शोधन कर लिखा गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि (https://bhaktibharatki.com/) किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करता। मंत्र के उच्चारण, किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ, ज्योतिष अथवा पंड़ित की सलाह अवश्य लें। मंत्र का उच्चारण करना या ना करना आपके विवेक पर निर्भर करता है।
इसे भी पढ़े : ओम का अर्थ, उत्पत्ति, महत्व, उच्चारण, जप करने का तरीका और चमत्कार
हमारे बारें में : आपको Bhakti Bharat Ki पर हार्दिक अभिनन्दन। दोस्तों नमस्कार, यहाँ पर आपको हर दिन भक्ति का वीडियो और लेख मिलेगी, जो आपके जीवन में अदुतीय बदलाव लाएगी। आप इस चैनल के माध्यम से ईश्वर के उपासना करना (जैसे कि पूजा, प्रार्थना, भजन), भगवान के प्रति भक्ति करना (जैसे कि ध्यान), गुरु के चरणों में शरण लेना (जैसे कि शरणागति), अच्छे काम करना, दूसरों की मदद करना, और अपने स्वभाव को सुधारकर, आत्मा को ऊंचाईयों तक पहुंचाना ए सब सिख सकते हैं। भक्ति भारत की एक आध्यात्मिक वेबसाइट, जिसको देखकर आप अपने मन को शुद्ध करके, अध्यात्मिक उन्नति के साथ, जीवन में शांति, समृद्धि, और संतुष्टि की भावना को प्राप्त कर सकते। आप इन सभी लेख से ईश्वर की दिव्य अनुभूति पा सकते हैं। तो बने रहिये हमारे साथ:
इसे भी पढ़े : सांस लेने और छोड़ने की क्रिया से मन स्थिर हो जाता है
बैकलिंक : यदि आप ब्लॉगर हैं, अपनी वेबसाइट के लिए डू-फॉलों लिंक की तलाश में हैं, तो एक बार संपर्क जरूर करें। हमारा वाट्सएप नंबर हैं 9438098189.
विनम्र निवेदन : यदि कोई त्रुटि हो तो आप हमें यहाँ क्लिक करके E-mail (ई मेल) के माध्यम से भी सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।
सोशल मीडिया : यदि आप भक्ति विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं, तो आपको Bhakti Bharat Ki संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। इस ज्ञानवर्धक वेबसाइट को अपनें मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें। उनके लिंक हैं:
कुछ और महत्वपूर्ण लेख:
Hari Sharanam
नित्य स्तुति और प्रार्थना
Om Damodaraya Vidmahe
Rog Nashak Bishnu Mantra
Ram Gayatri Mantra
Dayamaya Guru Karunamaya